वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी प्रकरण में कोर्ट अब सख्त हो गई है। एक बार भीड़ की वजह से कार्यवाही नहीं हो पाने से नाराज कोर्ट ने इस बार सभी आदेश काफी स्पष्ट शब्दों में दिए हैं। सर्वे का टाइम निर्धारित करने के साथ ही सबकी जिम्मेदारी भी तय कर दी है, ताकि भविष्य में किसी भी बहाने से कोर्ट के आदेश के पालन में बाधा न आ सके। डीएम व कमिश्नर पर जिम्मेदारी है कि हर हाल में कमीशन की कार्यवाही होनी चाहिए। यहां तक कहा है कि कमीशन के लिए तय कोर्ट कमिश्नर, विशेष कोर्ट कमिश्नर या सहायक कोर्ट कमिश्नर में से यदि एक भी उपलब्ध होता है तब भी कमीशन की कार्यवाही होगी। इसके साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव व डीजीपी को भी जिम्मेदारी दी है कि पूरी कार्यवाही पर नजर रखें, ताकि कार्यवाही में कोई भी बाधा न आ सके.
दो अपीलों पर आया फैसला
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने गुरुवार को दो अपीलों पर अपना आदेश सुनाया। इसमें एक प्रतिवादियों द्वारा एडवोकेट कमिश्नर बदलने की मांग को लेकर था तो दूसरे में वादी पक्ष की ओर से बैरिकेङ्क्षडग के अंदर तहखाने समेत अन्य उल्लेखित स्थलों का निरीक्षण कराने के बाबत स्पष्ट आदेश देने की मांग से संबंधित थी। विभिन्न प्रसंगों-संदर्भों का हवाला देते हुए सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर ने स्पष्ट किया कि प्रश्नगत मामले में अब तक एडवोकेट कमिश्नर द्वारा आंशिक रूप से कमीशन की कार्यवाही संपादित की गई है और इस स्तर पर एडवोकेट कमिश्नर पर अंगुली उठाना न्यायोचित नहीं है।
न्याय होता दिखना भी चाहिए
न्यायालय प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के कथनों में कोई बल नहीं पाती है कि एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाकर किसी अन्य से कमीशन कार्य करवाया जाए। ङ्क्षकतु न्यायिक व्यवस्था में एक उक्ति बहुत प्रचलित है कि- 'न्याय होना ही नहीं चाहिए वरन न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए.Ó अत: एडवोकेट कमिश्नर बदलने से संबंधित प्रार्थना पत्र को इस आशय के साथ निस्तारित किया जाता है कि एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा के साथ एडवोकेट विशाल ङ्क्षसह को विशेष एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया जाता है। सहायक एडवोकेट कमिश्नर के रूप में अधिवक्ता अजय प्रताप ङ्क्षसह को नियुक्त किया जाता है।
एक अधिवक्ता कराएंगे कार्यवाही
एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा व विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल ङ्क्षसह संयुक्त रूप से कमीशन की कार्यवाही संपादित करेंगे। यदि दोनों में एक किसी कारण से कमीशन कार्यवाही के लिए उपस्थित नहीं होता है तो एक को अधिकार होगा कि वह कमीशन कार्यवाही संपूर्ण करें। आशय यह कि यदि अजय कुमार मिश्रा अनुपस्थित होते हैैं तो विशाल ङ्क्षसह कमीशन की कार्यवाही को संपादित करेंगे। यदि विशाल ङ्क्षसह अनुपस्थित होते हैैं तो अजय कुमार मिश्रा कमीशन की कार्यवाही को संपादित करेंगे। यह आदेश न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेश के अनुक्रम में माना जाएगा। उन्होंने जिला प्रशासन को ताकीद की कि किसी भी प्रकार का बहाना बनाकर कमीशन कार्यवाही को टालने का प्रयास नहीं करेंगे।
नहीं रुकेगी कमीशन कार्यवाही
कमीशन कार्यवाही मामले में वादी पक्ष के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए आदेशित किया कि कमीशन कार्यवाही संपादित कराएं। कमीशन कार्यवाही स्थल पर न्यायालय द्वारा पूर्ववर्ती आदेश के अनुक्रम में संबंधित वादी, प्रतिवादी, अधिवक्ता, एडवोकेट कमिश्नर व उनके सहायक तथा कमीशन कार्यवाही से संबंधित व्यक्तियों को छोड़ कोई भी बाहरी व्यक्ति कमीशन की कार्यवाही में उपस्थित नहीं होगा। एडवोकेट कमिश्नर पक्षकारों द्वारा बताए गए ङ्क्षबदुओं पर फोटो लेने व वीडियोग्राफी करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
डीएम-सीपी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी
कोर्ट ने वाराणसी के जिला मजिस्टे्रट व पुलिस कमिश्नर को आदेशित किया कि कमीशन की कार्यवाही संपूर्ण करवाने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी उनकी होगी। पुलिस महानिदेशक व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को निर्देशित किया कि संबंधित कार्यवाही का पर्यवेक्षण सुनिश्चित करें, जिससे कि जिले के प्रशासनिक अधिकारी कमीशन कार्यवाही को टालने का कोई बहाना न बना सकें। कमीशन कार्यवाही सुबह आठ से दोपहर 12 बजे तक लगातार प्रत्येक दिन जब तक समाप्त नहीं हो जाती है तब तक चलेगी। कमीशन कार्यवाही में किसी के द्वारा कोई अवरोध उत्पन्न किया जाता है तो एफआइआर दर्ज करवा कर सख्त से सख्त विधिक कार्यवाही की जाए। किसी भी दशा में कमीशन की कार्यवाही नहीं रोकी जाएगी चाहे किसी पक्षकार द्वारा सहयोग किया जाए या नहीं। वाद लिपिक को आदेशित किया कि अविलंब आदेश की प्रति संबंधित अधिकारियों को नियम अनुसार प्रेषित करें। एडवोकेट कमिश्नर 17 मई तक कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दाखिल करेंगे। पत्रावली 17 मई को कमीशन रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए पेश की जाएगी.
पत्नी और मां दोनों मुझे लेकर चिंतित: जज
प्रतिवादी पक्ष की ओर से एडवोकेट कमिश्नर पर सवाल खड़ा करने को लेकर न्यायालय का मत है कि यह कमीशन कार्यवाही एक सामान्य कमीशन है जो कि अधिकतर सिविल वादों में सामान्यतया करवाई जाती है। शायद ही कभी एडवाकेट कमिश्नर को प्रश्नांकित किया जाता है। सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि इस साधारण से सिविल वाद को बहुत ही असाधारण बनाकर एक डर का माहौल पैदा किया जा रहा है। डर इतना है कि अपनी व परिवार की सुरक्षा की ङ्क्षचता बनी रहती है। घर से बाहर होने पर बार-बार पत्नी के द्वारा सुरक्षा के प्रति ङ्क्षचता व्यक्त की जाती है। बुधवार को लखनऊ में मां ने बातचीत के दौरान मेरी सुरक्षा को लेकर ङ्क्षचता व्यक्त की। मीडिया द्वारा प्राप्त खबरों से उन्हें जानकारी हुई कि शायद मैं भी कमिश्नर के रूप में मौके पर जा रहा हूं। इस पर मां द्वारा मुझे मना किया गया कि मैं मौके पर कमीशन पर ना जाऊं.
अधिकारी के अहंकार के कारण जनता के धन का दुरुपयोग
वादी पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र का निस्तारण करते हुए अदालत ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि वादी की ओर से 41 पृष्ठ का विस्तृत व सुस्पष्ट वाद पत्र दाखिल किया गया है। इसकी भाषा ऐसी नहीं है कि वह एक सामान्य प्रज्ञावान व्यक्ति के समझ में न आए। वादी की ओर से वाद पत्र में वर्णित आधारों पर कमीशन की कार्यवाही किए जाने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। यह बात न्यायालय की समझ से परे है कि जिला प्रशासन को इतनी स्पष्ट भाषा क्यों समझ में नहीं आई। जिला प्रशासन द्वारा कमीशन कार्यवाही में रुचि ली गई होती तो यह अब तक पूर्ण हो चुकी होती। आदेश पर कार्यवाही नहीं होने पर कोर्ट द्वारा संबंधित अधिकारी पर अर्थदंड लगाया जाता है तो प्रदेश सरकार उसके विरुद्ध उससे बड़े न्यायालय में जाती है। इससे सरकार का भारी मात्रा में धन व्यय होता है, जो कि जनता से कर के रूप में लिया जाता है। अर्थात आम जनता के धन का दुरुपयोग होता है.
शनिवार से होगी कमीशन की कार्यवाही
ज्ञानवापी परिसर प्रकरण में अदालत द्वारा बहुप्रतिक्षित आदेश आने के बाद एडवोकेट कमिश्नर की टीम ने शनिवार से कमीशन की कार्यवाही शुरू करने का निर्णय लिया है। नवनियुक्त सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर के नए आदेश की प्रति शुक्रवार को वादी व प्रतिवादी पक्ष को मुहैया कराई जाएगी। इसके बाद कार्यवाही से जुड़ी तैयारियों को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा। शनिवार से कमीशन की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
हाईकोर्ट पहले कर चुकी है याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ज्ञानवापी परिसर प्रकरण में कमीशन कार्यवाही के लिए एडवोकेट कमिशनर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर चुकी है। आठ अप्रैल 2022 को सिविल जज ने अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करते हुए कमीशन की कार्यवाही संपादित करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से हाईकोर्ट के याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका को खारिज करते हुए 21 अप्रैल को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कहा था कि साक्ष्य इक_ा करने के लिए यदि कमीशन भेजा गया है तो इससे याची के अधिकारी का उल्लंघन नहीं होता। कमीशन भेजना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं है.