-डीएलडब्ल्यू कर्मी टीके मुकेश की हत्या करने से पहले बदमाश कैंपस में मना रहे थे पार्टी

-मंडुवाडीह पुलिस को नहीं लगी भनक, पांच दिन बाद भी हत्यारे पकड़ से बाहर

सेंसेटिव माने जाने वाले डीएलडब्ल्यू में सिक्योरिटी कितनी लचर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कर्मचारी टीके मुकेश की हत्या करने से पहले अपराधी कैंपस में पार्टी मना रहे थे। इसका खुलासा पुलिस के ही छानबीन में सामने आया है। घटना के दिन कैंपस स्थित एक क्वार्टर में जमे अपराधियों ने योजना बनाई और रात में टीके मुकेश को मौत की नींद सुला दिया। सोर्स बताते हैं कि डीएलडब्ल्यू में बिहार, झारखंड के संदिग्धों का आना जाना अधिक होता है, खास कर तब और बढ़ जाता है जब टेंडर खुलने का समय होता है।

टेंडर को लेकर गई हैं तीन जानें

डीएलडब्ल्यू में ठेका को लेकर कुछ छुटभैये माननीय बन गए तो कुछ माननीय बनने के कतार में लगे हुए हैं। ठेकेदारी के विवाद में अब तक तीन हत्याएं साल 2001, 2003 और 2011 में हो चुकी हैं। सभी हत्याओं के पीछे डीएलडब्ल्यू के एक चर्चित ठेकेदार और उसे शह देने वाले आकाओं का हाथ रहा। मामले की तस्दीक कर रही पुलिस को टी मुकेश के मोबाइल कॉल डिटेल्स से हत्या के पीछे एक पूर्व विधायक के करीबियों की संलिप्ता सामने आई है। टी मुकेश द्वारा इनके कार्यो की जांच बैठाने के चलते मामला ठनका था, एक समारोह में कर्मचारी नेता ने ठेकेदार व उसके भाई को चैलेंज भी किया था।