'समूहन राष्ट्रीय भ्राम्यमान नाट्य समारोह' के अंतिम दिन आओ तनिक प्रेम का स्वतंत्रता भवन में हुआ भावपूर्ण मंचन

VARANASI

समूहन कला संस्थान' की ओर से संस्कृति मंत्रालय व बीएचयू के सहयोग से आयोजित आयोजित 'समूहन राष्ट्रीय भ्राम्यमान नाट्य समारोह' की तीसरी व अंतिम संध्या शुक्रवार को आओ तनिक प्रेम नाटक का मंचन किया गया। स्वतंत्रता भवन में अवितेको थियेटर गु्रप ने जि़दगी की भागदौड़ में खुद को भूले एक पति पत्नी की आत्म यात्रा को दर्शकों के सामने परोसा ।

दिखाया जीवन का जद्दोजहद

'आओ तनिक प्रेम करे' जीवन के जद्दोजहद में फंसे पति पत्‍‌नी ओम गुप्ता और सपन की कहानी है। उम्र के साठवें पड़ाव पर ओम को अचानक यह ख्याल आता है कि उसने तो जीवन भर प्रेम किया ही नहीं और यहीं से शुरू होती है दोनों की आत्म यात्रा। जिसमें जीवन की संवेदना है, उदासीनता है, कर्तव्य है, मां की ममता है तो पिता का आहत अहम भी है। पर प्रेम कहीं भी नहीं है। अभिव्यक्ति की अभाव दोनों में है जो दोनों को ही एक खालीपन की ओर लिये जा रहा है।

सशक्त अभिनय से फूंकी जान

कलाकारों के सशक्त अभिनय ने नाटक में जान फूंक दी। ओम की भूमिका हिन्दी मराठी फिल्मों और रंगमंच के चर्चित नाम राजेन्द्र जोशी ने निभायी तो सपन की भूमिका में हिन्दी और मैथिली की प्रसिद्ध रंगकर्मी विभा रानी ने अपने सहज अभिनय की छाप दर्शकों के मन पर छोड़ी। मंच पर प्रकाश व्यवस्था उदीयमान फिल्म निर्देशक विकास द्विवेदी का रहा तो संगीत संचालन रंजन ने किया। पाश्‌र्र्व व्यवस्था राकेश जायसवाल और भास्कर झा का था। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ बीएचयू के रजिस्ट्रार डॉ केपी उपाध्याय ने महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया। समूहन संस्था के निदेशक राजकुमार शाह ने धन्यवाद दिया।

बातचीत

रूम थियेटर है जमीन से जुड़ने का जरिया

एकल नाटक के मंचन में अपनी अलग पहचान रखने वाली विभा रानी ने कहा कि रूम थियेटर ही एक ऐसा जरिया है जिससे हम जमीन से जुड़े लोगों तक पहुंच सकते हैं। इससे न तो बड़े हॉल या जगह की जरूरत पड़ती है और ही ज्यादा खर्च होता है। मुंबई सहित कई शहरों में रूम थियेटर पर काम किया जा रहा है। ताकि आम लोगों को भी इससे जोड़ा जा सके। उन्होंने बताया कि 'आओ, तनिक प्रेम करें' के लिए महाराष्ट्र सरकार सर्वोच्च नाटक एवं कलाकार का सम्मान दिया है। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने मोहन राकेश सम्मान से भी सम्मानित किया है। फिलहाल विभा वृद्धा आश्रम, बंदियों के हालात पर भी नाटक लिख रही हैं।