नवीं मोहर्रम पर इमाम चौक पर बैठाये गये ताजिये, मुस्लिम इलाकों में रही चहल-पहल, अकीदतमंदों ने पढ़ा फातिहा

VARANASI:

नवीं मोहर्रम पर शुक्रवार को शहर के मुस्लिम बहुल इलाके 'या हुसैन या हुसैन' की सदाओं से गूंज उठे। शहीदाने कर्बला की याद में मुस्लिम भाइयों ने शहर के तमाम इमाम चौकों पर ताजिये बैठाये और इमाम हुसैन की शहादत को शिद्दत से याद किया। ताजियों को देखने के लिए देर रात तक लोगों का हुजूम उमड़ता रहा। महिलाओं और पुरुषों ने इमाम चौकों और इमामबाड़ों में उपस्थित होकर जियारत की। सुन्नी हजरात ने शहर के विभिन्न इलाकों में जलसे का आयोजन किया जबकि उलेमाओं ने देर रात तक तकरीर की। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैय्यद फरमान हैदर ने दरगाहे फातमान व चौक में तकरीर में कहा इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाया है। अब तमाम दुनिया के इंसानों को चाहिए कि इमाम हुसैन के पैगाम को बचाएं।

देखने को मिली कारीगरी

कारीगरी के बेहतरीन नमूनों के रूप में सजे कलात्मक ताजियों को देखने के लिए शाम को शुरू हुई भीड़ देर रात तक जमी रही। प्रशासन ने ताजियों की जगह पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। लल्लापुरा स्थित रांगे का ताजिया, बाकराबाद के बुर्राक का ताजिया, बजरडीहा स्थित शीशे का ताजिया, उल्फत बीबी के हाता का जरीवाला ताजिया, पठानी टोला स्थित नगीने का ताजिया, मजीद पहलवान कमेटी का फूलों का ताजिया, दालमंडी स्थित पीतल के ताजिये संग अकीदतमंदों की खासी भीड़ नजर आयी। अर्दली बाजार में अंजुमन इमामिया व दरगाहे फातमान में अंजुमन हैदरी के नौजवानों ने अंगारों पर चल कर या हुसैन की सदायें बुलंद की। अंगारों पर चल रहा हर नौजवान 'हम चलेंगे आग पर और पांव जल सकता नहीं, कर्बला वालों का गम दिल से निकल सकता नहीं' के जज्बात से लबरेज दिखा।

निकला दूल्हे का जुलूस

मुहर्रम की परंपरा का निर्वाह करते हुए शिवाला स्थित इमामबाड़े से देर रात दूल्हे का जुलूस निकला। इसमें शामिल हजारों लोग 'या हुसैन या हुसैन' कहते हुए पारंपरिक रास्तों से गुजरते हुए फातमान पहुंचे। इस दौरान लोग रास्ते में दर्जनों स्थानों पर दहकते अंगारों से गुजर रहे थे। इसके पहले दूल्हा बने व्यक्ति ने शिवाला घाट पर गंगा में स्नान भी किया।