-बीएमसी की ओर से सिटी में बांटे गए ई-रिक्शे हो रहे बाहर

-बैंक से महंगे फाइनेंस के कारण यूथ हो रहे दूर

VARANASI

बड़े धूमधाम से डेढ़ साल पहले बनारस में ई-रिक्शा के संचालन की शुरुआत हुई। शहर के लिए तब यह नया था। इसके पीछे सबसे बड़ा मकसद बेरोजगार यूथ को काम देना था। पहले कैंटोनमेंट स्थित मल्टी परपज ग्राउंड और फिर डीएलडब्ल्यू में आयोजित भव्य समारोह में हजारों यूथ को ई-रिक्शा बांट भी दिया गया। लेकिन ये रोजी-रोटी के जुगाड़ की बजाए कुछ ही दिनों में ई-रिक्शा रोड से दूर होते चले गए। इसकी जगह जुगाड़ के ई-रिक्शा ने ले लिया। कारण कि मल्टी परपज ग्राउंड में जिस संस्था ने बेरोजगारों को ई-रिक्शा बांटा उसकी फॉर्मेलिटी बहुत टफ रही। जिसके चलते बहुत सारे बेरोजगारों ने ई-रिक्शा ले तो लिया पर बिना पैसा जमा किए ही भाग खड़े हुए। कमोवेश यही स्थिति आठ महीने बाद डीएलडब्ल्यू में बांटे गए ई-रिक्शे व बैटरी वाली नाव का भी हुआ। हालांकि ई-बोट तो कुछ दिनों में ही गंगा से बाहर हो गयीं।

म्0 परसेंट रोड से हटे

सिटी को पॉल्यूशन फ्री व बेरोजगारों को काम देने के दावे के साथ स्टार्ट किया गया प्रोग्राम इतना जल्दी दम तोड़ देगा इसका किसी को इल्म नहीं था, पर ऐसा ही हुआ। अच्छे मकसद के साथ स्वयंसेवी संस्था द्वारा स्टार्ट किए गए प्रोग्राम को पंख नहीं लग पाया। कमी कहां रह गयी यह तो जांच का विषय है लेकिन खुद संस्था के कर्ताधर्ता यह मानते हैं कि डेढ़ साल पहले सिटी में बांटे गए ई-रिक्शा में से म्0 परसेंट रोड से हट चुके हैं। महज ब्0 परसेंट ही रोड पर दौड़ रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय माइक्रो क्रेडिट संस्था द्वारा बांटे गए ई-रिक्शा का क्या हाल है?

होता रहता है एनाउंसमेंट

बुजुर्ग, बीमार, दिव्यांग व महिलाओं के लिए सिटी के चारो स्टेशंस पर ई-रिक्शा संचालित करने का प्लान बना। इसको पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने एक मई ख्0क्म् के डीएलडब्ल्यू दौरे के दौरान हरी झंडी दिखा दिया। खास बात यह कि पीएम के सामने कैंट, मंडुवाडीह, सिटी व सारनाथ रेलवे स्टेशंस पर लाचार पैसेंजर्स को ढोने के लिए क्म् ई-रिक्शा चलाने का संस्था ने एनाउंस किया। साथ ही संस्था ने ड्राइवर को सेलरी भी देने की घोषणा की। लेकिन इसमें से केवल कैंट स्टेशन पर ही ई-रिक्शा भेजा गया। तय हुआ कि ये ई-रिक्शा प्लेटफॉर्म से सर्कुलेटिंग एरिया के बीच चलेंगे। पर दुर्भाग्य कि कुछ दिन चलने के बाद ये गायब हो गए। सिचुएशन यह है कि अब स्टेशन कैंपस में एनाउंसमेंट होता रहता है और ये नजर नहीं आते। नाम न लिखने की शर्त पर एक ऑफिसर ने बताया कि कैंपस में ई-रिक्शा ढूंढे नहीं मिलते। पता ये कहां चलते हैं।

बैटरी चलने तक जमा किए ईएमआई

इन रिक्शों के रोड से नीचे उतरने के पीछे सबसे बड़ा कारण इनका अन्य कंपनियों के ई-रिक्शों से महंगा होना रहा तो दूसरा बैंक का फाइनेंस था। ऐसे में ई-रिक्शे का जब तक बैटरी ठीक तरीके से काम करता रहा तब तक फाइनेंस कराने वाले बेरोजगारों ने इसे चलाया और जैसे ही बैटरी ने जवाब दिया उसे खड़ा कर दिया। इसमें से अधिकतर को फाइनेंस करने वाले बैंक ने जब्त कर लिया है। यही वजह है कि बीएमसी की ओर से बांटे गए ई-रिक्शे सिटी से एक-एक कर बाहर होते जा रहे हैं।

संस्था की ओर से बांटे गए रिक्शे में से 800 ई-रिक्शे रोड पर दौड़ रहे हैं। वहीं कैंट स्टेशन पर भी ई-रिक्शा संचालित हो रहा है। रही बात ई-बोट की तो वह ठप है।

मनोज मिश्रा, ऑपरेशन इंचार्ज

बीएमसी