- अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर हर कोई दिखा परेशान, आम दिनों की तुलना में घरों से बाहर निकलने में डर रहे थे बच्चे

- नहीं हुई मासूम की शिनाख्त, न ही मिला बच्चे का धड़, आस पास के गांवों में पुलिस तलाश रही लापता बच्चों का सुराग

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चौबेपुर के बीकापुर में मंगलवार को एक अजीब सा मरघटी सन्नाटा था। रोज की तरह घरों के बाहर खेलने वाले बच्चे कहीं गुम थे। पता नहीं क्यों हर कोई डरा-डरा सा था। इस डर की वजह कुछ और नहीं एक दिन पहले गांव में हुई एक मासूम की नरबलि थी। नन्हें-मुन्ने का कटा सिर गांव में मिला तो हर कोई इस खौफ में जीने लगा कि कहीं कोई तांत्रिक उनके भी कलेजे के टुकड़े को अपना निशाना न बना ले। यही कारण रहा कि बच्चों को आम दिनों में अकेले स्कूल भेज देने वाले मां-बाप मंगलवार को उन्हें स्कूल छोड़ने और वहां से लेने भी गए।

खौफ हर चेहरे पर

बीकापुर के लोगों के गले के नीचे अब तक ये नहीं उतर रहा है कि आखिर किसी ने अपने स्वार्थ के लिए एक मासूम की जान क्यों ले ली? दिल दहला देने वाली इस घटना की चर्चा गांव के बाहर भी पूरे दिन चलती रही। गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्गो और हर उम्र के लोगों के चेहरे पर इस बलि का खौफ साफ दिख रहा था। गांव के पूर्व प्रधान शैलेन्द्र त्रिपाठी का कहना था कि ये पहली बार हुआ है कि किसी ने गांव को दहला दिया। अब तो डर लग रहा है अपने बच्चों को अकेला छोड़ने में, क्योंकि पता नहीं कौन नरपिशाच उन पर नजरें गड़ाये बैठा हो? शायद यही वजह है कि घटना के अगले दिन यानि मंगलवार को हर मां अपने बच्चों को कलेजे से ही लगाये बैठे थे।

ये घटना चौंकाने वाली है। अब तक नरबलि के बारे में सुना था लेकिन पहली बार देखा। डर लगने लगा है अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर। पता नहीं कौन इस तरह की चीजें करके इंसानियत को शर्मसार कर रहा है।

शैलेन्द्र त्रिपाठी, ग्रामीण

बहुत डरा देने वाली घटना है ये। गांव में ऐसी हरकत कौन कर सकता है? ये सोचने वाली बात है। इस घटना के बाद गांव के हर बच्चे पर नजर रखने की जरूरत है। ऐसा करने वाले सिर्फ पागल होते हैं। इनका कोई भला नहीं होने वाला है इससे।

जूही त्रिपाठी, ग्रामीण