वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस समेत पूर्वांचल भर के नागरिक लाखों की तादात में देश के कई राज्यों के साथ ही दुनिया के कई देशों में रहते हैैं। अब महाशिवरात्रि एक मार्च, वोटिंग सात मार्च और होली 19 मार्च 2022 में शामिल होने के लिए वे घर वापसी की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन उनकी राह में रोड़ा बन रही है लेट प्लानिंग। अब इस समय महाशिवरात्रि, होली और वोटिंग के आसपास की डेट में लगभग सभी ट्रेनों में रिजर्वेशन फुल है तो वेटिंग इतनी लंबी है कि उनके कंफर्म होने की कोई उम्मीद ही नहीं नजर आ रही। ऐसे में लोग फ्लाइट्स की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं तो उनके टिकटों में लागू फ्लैक्सी फेयर सिस्टम उनका बजट बिगाड़ दे रहा है। वाराणसी से नई दिल्ली का फ्लाइट में नार्मल किराया लगभग चार हजार है। लेकिन इस समय नई दिल्ली से वाराणसी के लिए टिकट बुक करने पर टिकट का किराया लगभग आठ हजार तक लिया जा रहा है। ये लगातार बढ़ता भी जा रहा है। पिछले वर्ष होली के समय में ही कई विमानन कंपनियों ने नई दिल्ली से वाराणसी तक का किराया 20 हजार रुपये तक वसूला था.
महाशिवरात्रि, होली और इलेक्शन
बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद पड़ रही महाशिवरात्रि पर चार दिनों का समारोह किया जा रहा है। समारोह 26 फरवरी से शुरू होगा और एक मार्च तक चलेगा। इसमें शामिल होने के लिए देश के साथ ही विदेशों से भी लाखों की संख्या में लोग आएंगे। बनारस में अंतिम चरण में सात मार्च को वोटिंग होनी है, इसमें भी शामिल होने के लिए देश के विभिन्न शहरों के साथ ही विदेशों से भी बनारस के वाशिंदे शामिल होने के लिए बुलाए जा रहे हैं। कई को तो प्रत्याशी अपने खर्चे पर भी बुला रहे हैं। इसी तरह होली के समय भी बनारस के लोग घर आएंगे तो यहां रहने वाले अपने घरों को लौटेंगे। ऐसे में जिन लोगों ने टिकटों की बुकिंग करा ली है, उनकी तो बल्ले-बल्ले है, लेकिन जो अब प्लानिंग कर रहे हैं, उनके सामने कई दिक्कतें रहेंगी.
ये है फ्लैक्सी फेयर सिस्टम
- फ्लैक्सी फेयर में टिकट किराए का सिर्फ 10 फीसदी देकर टिकट बुक किया जाता है।
- शेष पैसा यात्री टिकट बुकिंग से 15 दिनों के भीतर जमा किया जाता है
- लिंक या कस्टमर केयर से बात करके बाकी पेमेंट किया जा सकता है.
- बिना बुकिंग वालों के लिए जैसे-जैसे डेट करीब आएगी या बुकिंग बढ़ेगी, वैसे-वैसे टिकटों का रेट बढ़ता चला जाता है.
- फ्लैक्सी में टिकट कैंसिल कराने पर जमा हुई 10 फीसदी रकम की वापसी नहीं होती है.
दिल्ली से 22 फ्लाइटें
कोराना पाबंदी हटने पर देश और दुनिया की ट्रांसपोर्टेशन को रफ्तार मिली है। आमतौर पर नई दिल्ली (इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट) से बनारस (एलबीएस इंटरनेशनल एयरपोर्ट) के लिए रोजाना 22 फ्लाइटें हैैं। इनमें 10 डायरेक्ट और 12 कनेक्टिंग फ्लाइट शामिल हैं। चालू हफ्ते में 89 फ्लाइटें वाराणसी से दिल्ली पहुंच चुकी हैैं।
इंटरनेशनल फ्लाइट्स
दुबई, लंदन, टोरंटो, सिंगापुर, बैैंकॉक, काठमांडु, न्यूॉयर्क, पेरिस, मेलबर्न, सीडनी और मास्को के लिए यहां से सीधी फ्लाइट्स हैं।
वाराणसी से विभिन्न शहरों का नार्मल किराया
नई दिल्ली - 5.5 हजार से 7 हजार रुपये
बेंगलुरु - 9 से 10 हजार रुपये
कोलकाता - 8 से 10 हजार रुपये
भुवनेश्वर - 8 से 9 हजार रुपये
हैदराबाद - 8 से 9 हजार रुपये
अहमदाबाद - 6 से 7 हजार रुपये
जयपुर - 6 से 7 हजार रुपये
इंदौर- 5 से 6 हजार रुपये
गोवा - 5 से 6 हजार रुपये
रायपुर - 9 से 10 हजार रुपये।
नोट: फ्लैक्सी फेयर सिस्टम में जैसे-जैसे बुक होती जाती हैं टिकटें बढ़ता जाता है किराया, ये पांच गुना तक बढ़ सकता है।
ट्रेनों में लंबी वेटिंग
देश के महत्वपूर्ण शहरों से वाराणसी कैंट, बनारस (मंडुआडीह), काशी और पीडीडीयू नगर को आने वाली ट्रेनें पहले से ही फुल चल रही हैैं। ट्रेनों में एक्स्ट्रा कोच और स्पेशल ट्रेनें चलाने को लेकर अभी रेलवे ने कोई फैसला नहीं लिया है। ऐसे में लोग फ्लाइट्स की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां का किराया सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक जा रही है। महत्वपूर्ण ट्रेनों के किराए में भी फ्लाइट्स की तरह फ्लैक्सी फेयर सिस्टम लागू है, ऐसे में कई बार तो इनका किराया भी फ्लाइट्स के बराबर पहुंच जाता है। तब लोग सोचते हैं कि जब किराया बराबर है तो फ्लाइट्स से ही क्यों न सफर करें?
कोविड में काफी एक्सपेंसिव सफर किया गया। होली पर यूएई से वाराणसी की फ्लाइट टिकट भी लगभग दो गुना हो जाता है। आने-जाने का 35 से बढ़कर 70 हजार रुपए तक चला जाता है।
फैसल शाह, बिजनेसमैन, दुबई
बढिय़ा संयोग है। होली के साथ बनारस में लोकतंत्र का पर्व विधानसभा इलेक्शन भी सेलिब्रेट किया जाएगा। फेस्टिवल पर फ्लाइट कीटिकट प्राइज लगभग दो गुना हो जाता है। जैसे भी हो वोटिंग तो करनी है.
इं। अभिषेक सिंह, इंफाल
भव्य श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को निहारने और महाशिवरात्रि मनाने मैैं वाराणसी की आ रहा हूं। अभी से फ्लाइट की डेट को लेकर किराया लगभग डेढ़ गुना बता रहा है। फिर भी बाबा का दर्शन तो करना है।
सौरभ चंद्र पांडेय, लखनऊ