- सारनाथ मिनी जू में जल्द ही लाए जाएंगे विदेशी पक्षी, शिमला से आएंगे गोल्डन और सिल्वर पिजन

- इनके वेलकम को लेकर तैयारियां जोरों पर, किए जा रहे हैं प्रॉपर अरेंजमेंट्स

- पक्षी विहार की कंडीशन अब पहले से ज्यादा बेहतर, व्यवस्थाओं में हुआ इंप्रूवमेंट

VARANASI : दूर देश से नए मेहमान सारनाथ आने वाले हैं। ये इतने खूबसूरत होंगे कि जिसने एक बार इन्हें देखा वह इनका दीवाना हो जाएगा। इनकी अदाएं तो शब्दों में बयान करना मुश्किल है। यहां बात किसी विदेशी मैम की नहीं बल्कि परिंदों की हो रही है। सारनाथ मिनी जू में जल्द ही दो फेमस ब‌र्ड्स का जोड़ा आने वाला है। इन्हें गोल्डेन एण्ड सिल्वर पिजन के नाम से जाना जाता है। इनके आने से पहले इनके स्वागत की तैयारी की जा रही है। बाड़े तैयार हो रहे हैं व बोर्ड के जरिए माहौल तैयार हो रहा है।

हर दिल अजीज ये परिंदे

वन विभाग गोल्डेन और सिल्वर पिजन को लाने की तैयारी कर चुका है। इन्हें शिमला के पिजौर गार्डेन से लाया जाएगा। जल्द ही दोनों विदेशी पक्षी सारनाथ पक्षी विहार की रौनक में में चार चांद लगाएंगे। प्रभागीय वनाधिकारी मूलचंद्र के अनुसार इसके लिए वन विभाग की ओर से पत्राचार शुरू कर दिया गया है। वैसे तो ढेरों आकर्षक पक्षी मिनी जू में मौजूद हैं लेकिन आने वाले इन मेहमानों की बात ही कुछ निराली है। गोल्डेन कबूतर बेहद खूबसूरत होता है। यह दुनिया के चुनिंदा जंगलों में ही पाया जाता है। गोल्डेन पिजन पश्चिमी चीन के पहाड़ी जंगलों में पाया जाता है। इसके साथ ही यह इंग्लैंड के कुछ जंगलों घने जंगलों में भी नजर आता है। इसके पंख सुनहरे और पूंछ का पिछला हिस्सा चमकीला लाल होता है। पीली आंखें इसकी खूबसूरती को और निखार देती हैं। इसके सर पर सुनहरे रंग की शिखा भी होती है। नर पक्षी लगभग 90 सेमी लंबा होता है। नर के मुकाबले मादा थोड़ी कम सुंदर होती है। ये आनाज के साथ पत्तियों आदि का सेवन करते हैं। दिन का ज्यादातर वक्त जमीन पर दाना चुगने में बिताते हैं। रात में पेड़ों पर सोते हैं। इनके बारे में सबसे खास बात यह है कि ये एक समय में आठ से बारह अंडे देते हैं। सिल्वर कबूतर की बनावट और व्यवहार भी काफी हद तक ऐसी ही होती है। ये चाइना के पूर्वी दक्षिणी और उत्तरी म्यांमार के जंगलों में मिलते हैं।

बदल रहे हालात

गोल्डेन और सिल्वर पिजन का जोड़ा सारनाथ आएगा। इससे इनके प्रजनन की उम्मीद भी है। नए आने वाले मेहमानों के लिए बाड़े तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें चिडि़यों के लिए बनाए गए बाड़ों के करीब ही रखा जाएगा ताकि उन्हें अकेलापन न महसूस हो। वहीं बात अगर जू की हालत की करें तो इसमें पहले के मुकाबले काफी इंप्रूवमेंट हुआ है। टूटे बाड़ों की मरम्मत की गयी है। रंग-पेंट करके उन्हें नए जैसा लुक दिया गया है। साथ ही साफ-सफाई का भी बंदोबस्त किया है। पूर्वाचल के एकमात्र पक्षी विहार में पहले से ही ढेरों पशु-पक्षी मौजूद हैं। इनमें खास तौर पर हिरन, बारहसिंघा, काकातुआ, हंस, बगुला, घडि़याल आदि हैं। जिनमें से बलिया से काला हिरण हाल ही में यहां लाया गया है। पक्षी विहार में झील को बेहतर बनाया जा रहा है। वहीं बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले आदि भी लगाए जा रहे हैं।