वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस को आध्यात्म और आस्था की राजधानी के साथ-साथ मोक्ष की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर पूरे देश के कोने-कोने से लोग मोक्ष की प्राप्ति के लिए दाह संस्कार के लिए आते हंै। पिछले एक सप्ताह से गंगा नदी में आई बाढ़ के कारण दाह संस्कार में लोगों को काफी हद तक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जलस्तर बढऩे से गंगा नदी का पानी मणिकर्णिका से लेकर हरिश्चंद्र घाट के ऊपर बहने लगा है। इस कारण लोगों की चिंताएं बढऩे लगी है। इस कारण अंतिम संस्कार में भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में स्थानीय लोगों और प्रशासन के सहयोग से गलियों में चिताओं का दाह संस्कार किया जा रहा है। इस कारण स्थानीय लोगों में बीमारियों का भी खतरा मंडरा रहा है.
निकल रहे धुएं के गुबार
जबसे गंगा नदी में बाढ़ के साथ जलस्तर में तेजी आई है, तबसे गलियों में दाह संस्कार किया जा रहा है। इस कारण गलियों में रहने वाले लोगों को तमाम तरीके की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि चिताओं से निकलने वाले धुएं लोगों के घरों में जा रहे हैं। इस कारण उन्हें जीवन जीने में सांस लेने में काफी हद तक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि लोगों ने कहा कि जबसे चिताओं को गलियों में लगाया जा रहा है तबसे आïवागमन में भी काफी परेशानी हो रही है। पूरी गली हमेशा लकडिय़ों से जाम रहती है.
बीमारियों का सताने लगा है डर
गलियों में चिताओं का दाह संस्कार किये जाने के कारण लोगों को अब संक्रामक बीमारियों का डर सताने लगा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इनसे निकलने वाली राखों के कारण उनके घर के दरवाजे से लेकर घर के अंदर तक राख चली जाती है जिसके कारण उन्हें अस्थमा के साथ तमाम तरीके की संक्रामक बीमारियों का खतरा सताने लगा है.
नहीं है ऑप्शन, प्रशासन भी परेशान
गंगा नदी में भारी मात्रा में पानी होने से बाढ़ के हालात होने पर प्रशासन भी लाचार साबित हो रहा है। ऐसे में हरिश्चन्द्र घाट से लगी केदार गली जोकि सबसे ऊंचे जगह पर है, उसी जगह पर लकडिय़ों के माध्यम से चिताओं का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.
अब तो हमारे वार्ड की गलियों में अंतिम संस्कार किया जा रहा है जिसकी वजह से स्थानीय लोगीं को काफी परेशानी का सामना करना हो रहा है.
राजेश यादव चल्लू, पार्षद
गलियों में भारी मात्रा में लकडिय़ों के ढेर रखे जा रहे हैं, जिस कारण आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है। कहने पर लोग झगड़ा करने के लिए तैयार हो जा रहे हैं.
विक्रम चौधरी, नागरिक
गलियों में दाह संंस्कार होने के कारण कई तरीके की बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है। अब इसके धुएं के कारण सांस लेने में परेशानी हो रही है.
बबलू चौधरी, नागरिक
प्रतिवर्ष की भंाति इस वर्ष भी बाढ़ की विभीषका के कारण चिताओं का अंतिम संस्कार गलियों में किया जा रहा है। दरअसल अधिक बाढ़ के कारण घाट के इलाके डूब गए हैं.
संदीप श्रीवास्तव, पीआरओ, नगर निगम