वाराणसी (ब्यूरो)बृज इंक्लेव कालोनी की रहने वाली श्रुति सरीन समलैंगिक हैंवह अपनी सहेली के मानिषी के साथ पिछले चार साल से रह रही हंैपरिवार से सपोर्ट नहीं मिलने के कारण वह किराये पर रहती हैैंनामी शापिंग मॉल में दोनों सेल्स गर्ल हैंवह अपने रिश्ते को समाज के सामने रखना चाहती हंै, लेकिन हिचक रही हैं.

केस-2

मड़ौली सेंट जॉन कालोनी की रहने वाली स्वाती डिसूजा भी समलैंगिक हैंवह अपनी सहेली सिमरन के साथ पिछले दो साल से रह रही हंैवह बताती हैं कि उनके मम्मी-पापा इसके विरोधी नहीं, लेकिन जिस सोसाइटी में रहती है, उसमें इसका जबर्दस्त विरोध हैइसलिए अपने रिश्ते को वह उजागर नहीं कर रही हंै.

केस-3

शिवपुर स्थित सोसाइटी की रहने वाली रुखसाना मूल रूप से मऊ की रहने वाली हंैअपनी मौसी की लड़की के साथ पिछले सात महीने से यहां रह रही हंैदोनों समलैंगिक हैंवह बताती हैं कि हमारे रिश्ते के बारे में परिवार को पता चला तो विरोध शुरू हो गयाइसलिए दोनों यहां आ गईंकानूनी सपोर्ट नहीं मिलने से वह इस रिश्ते को सार्वजनिक करने में डरती हैं.

ये तीन केस सिर्फ उदाहरण हैंशहर में ऐसे तीन सौ से अधिक जोड़े हैं, जो अपने दोस्ताना रिश्ते को सार्वजनिक करना चाहती हैं, लेकिन इसके लिए वे साहस नहीं जुटा पा रही हैंकई समलैंगिक लड़कियों का कहना है कि बनारस धर्म को लेकर काफी संवेदनशील शहर है, जहां छोटी-छोटी चीजों को लेकर बड़ा बखेड़ा शुरू हो जाता हैयही वजह है कि हम लोग बंद कमरे में ही अपने रिश्ते निभा पाते हैंकालोनी या सोसाइटी के लोगों से उनका संपर्क बहुत कम होता हैत्योहारों पर वे सिर्फ अपने क्लब के सदस्यों से मिलते हैं और उन्हीं के साथ एॅज्वाय करते हैं.

परिवार का नहीं मिल रहा साथ

दोस्ताना रिश्ते में रहने वाली समलैंगिक महिलाएं कहती हैं कि हमारे रिश्ते को समाज स्वीकार नहीं करता है या विरोध करता है, इससे दुख नहीं होता हैलेकिन जब हमारे परिवार यानी माता-पिता ही इसका विरोध करते हैं तो मन काफी आहत होता हैभुनेश्वर नगर कालोनी की रहने वाली नीलम बताती हैं कि वह अपने रिश्ते को लेकर कई बार अपने मम्मी-पापा से बात की, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हैंवह कहते हैं कि जिस रिश्ते को समाज नहीं मानता है, उसे मैं भी नहीं स्वीकार कर सकता हूंमैं भी उसी समाज का हिस्सा हूं.

समलैंगिकता के मामले बहुत कम आते हैंअभी तक हमारे पास सिर्फ दो मामला आया थावह शादी करना चाहती थी, जिसका पहले कोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराना चाहती थी, लेकिन मैंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि दो युवती एक साथ रह सकती हैं, लेकिन वह शादी नहीं कर सकती हैंदोनों के साथ रहने की स्थिति में कोई परेशान नहीं कर सकता हैइस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दो बालिग अपनी मर्जी से बिना शादी के साथ रह सकते हैं

-संगीता विश्वकर्मा, अधिवक्ता

समाज में बहुत तेजी से बदलाव आ रहा हैलोगों की सोच भी बदल रही है, लेकिन कुछ मसला या रिश्ते ऐसे है, जिसे बनारस जैसे शहर में लोग स्वीकार करने को तैयार नहीं हैहमारे समाज में समलैंगिकता को अच्छे नजरिए से नहीं देखा जाता हैजब तब इसे कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी, तब तक समाज में समलैंगिकता का विरोध होता रहेगा रहेगा

-रोली राघव, सोशल वर्कर

सबसे अधिक लड़कियां दोस्ताना रिश्ते को स्वीकार कर रही हैंइसके पीछे सबसे बड़ा कारण है पुरुष हिंसालगातार पुरुषों के अत्याचार की खबरें आती हैंपहले की महिलाएं या लड़कियां काफी सहनशील होती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं हैअब की लड़कियां काफी मुखर और बोल्ड हैंआजकल की युवतियां शादी को लेकर डरी रहती हैंउसे डर रहता है कि शादी के बाद पति प्रताडि़त करेगाइसलिए साथ पढऩे या कालोनी में रहने के दौरान दो लड़कियां इस तरह के रिलेशनशिप में रहना ज्यादा सेफ समझती हैहालांकि, यह एक मानसिक विकृति भी हैकिशारों की सही तरीके से काउंसलिंग की जरूरत है.

-तुलिका रानी, मनोवैज्ञानिक