-संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में 'शिक्षा में शाश्वत जीवन मूल्य' विषय पर आयोजित सेमिनार में बोले राम नाईक

-टीचर्स को कराया जिम्मेदारियों का एहसास

VARANASI

संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के शताब्दी भवन में 'शिक्षा में शाश्वत जीवन मूल्य' विषय पर आयोजित सेमिनार में गवर्नर राम नाईक ने टीचर्स को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए आईना दिखाया। कहा कि आज शिक्षा का स्तर गिर गया है। टीचर्स व उनसे जुड़े संगठनों को सिर्फ रुपयों की चिंता रहती है। वे अपने अपने मूल उद्देश्यों से भटक गए हैं। ऐसे में जब तक शिक्षा और गुणों का विकास नहीं होगा तब तक जीवन का मूल्य सिद्ध नहीं होगा। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित सेमिनार में गवर्नर ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जागरुकता की आवश्यकता है।

वर्किंग स्टाइल पर उठाया सवाल

गवर्नर ने टीचर्स की वर्किंग स्टाइल पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कोई कुछ नहीं कर पाता है तो शिक्षक बनना चाहता है। शिक्षा क्षेत्र में आने का उसका मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना होता है। अच्छी शिक्षा के लिए अब अच्छे शिक्षक की जरूरत है। शिक्षा का व्यापार करने के लिए लोग स्कूल, कॉलेज खोलने लगे हैं, जिनका लक्ष्य सिर्फ आमदनी करना है। फीस के नाम पर पांच की जगह सौ रुपये लिए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार फैल रहा है। यह एक तरह से छात्र-छात्राओं एवं उनके पैरेंट्स के साथ धोखा है।

हर किसी को विचार रखने का अधिकार : गवर्नर

सेमिनार के बाद मीडिया से बात करते हुए गवर्नर राम नाईक ने कहा कि हर किसी को अपना विचार रखने का अधिकार है। वे पिछले दिनों शैक्षणिक संस्थानों में राम मंदिर मुद्दे पर हुई चर्चा एवं उसके बाद हुए विवाद मामले में सवाल पूछने पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विचार रखने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। हां, यह जरूरी है कि वह विचार राष्ट्र विरोधी न हो। कहा कि देश में जनतंत्र है। सुब्रमण्यम द्वारा राम मंदिर मामले को उठाए जाने के सवाल पर उन्होंने कुछ भी कहने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।