-बनारस में मिले हैंड ग्रेनेड ने बढ़ाई टेंशन, आतंकियों के निशाने पर हैं कौन?

-बड़ी घटना से पहले आतंकी ऐसे ही करते हैं ट्रायल

-इससे पहले हुए कई आतंकी धमाकों में किया गया था छोटे-छोटे ट्रायल

kumar.abhishek@inext.co.in

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बनारस में मिला हैंड ग्रेनेड कहीं किसी बड़े धमाके का ट्रायल तो नहीं। ऐसे कई सवाल न सिर्फ सुरक्षा के जिम्मेदारों के दिमाग में घूम रहे हैं बल्कि लोगों को भी इसका खौफ सताने लगा है। ये सवाल दिमाग में आना गलत भी नहीं है। क्योंकि आतंकी अक्सर बड़ी घटनाओं को अंजाम देने से पहले छोटे-छोटे ट्रायल करते हैं। जिससे कि वे सुरक्षा व्यवस्था के साथ अपनी तैयारी को भांप सकें। बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी बनारस पहले ही आतंकवादियों के निशाने पर रही है। अब पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने से बनारस की संवेदनशीलता और बढ़ गई है। पौराणिक नगरी होने से जहां टूरिस्टों का आना-जाना हमेशा रहता है, वहीं अब पीएम के संसदीय क्षेत्र होने से देश के मंत्रियों और वीवीआईपी के भी आने का सिलसिला बढ़ गया है। ऐसे में यह शहर आतंकी के निशाने पर है, यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगी। पिछले साल खुफिया एजेंसी ने गृह मंत्रालय को पांच पेज का पत्र भेजा था। जिसमें कई लोगों के नाम थे, जो आतंकियों के निशाने पर हैं। इस पत्र में काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि और अयोध्या का रामलला मंदिर को भी निशाना बनाये जाने की बात कही गई थी।

केस - क्

गोरखपुर के गोलघर में ख्फ् मई ख्007 को तीन स्थान पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। मगर ये ब्लास्ट उतने शक्तिशाली नहीं थे, इसमें एक भी मौत नहीं हुई थी। मगर इसके छह माह बाद ख्फ् नवंबर को फैजाबाद, लखनऊ और बनारस की कचहरी में जबरदस्त बम धमाके हुए थे। अकेले बनारस में नौ मौत हुई थी और भ्0 से अधिक लोग घायल हुए थे।

केस - ख्

ख्म् जुलाई ख्008 को अहमदाबाद में 70 मिनट के अंदर सिलसिलेवार धमाके हुए। जिसमें भ्0 से अधिक लोगों की जान गई और ख्00 से अधिक घायल हुए। इसके बाद सूरत में ख्9 और फ्0 जुलाई को पुलिस की चेकिंग में सिलसिलेवार ख्ख् जिंदा बम मिले थे। जिससे एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम किया गया। इसके बाद क्फ् सितंबर ख्008 को दिल्ली में तीस मिनट के अंतराल में तीन जगह हुए बम धमाकों ने राजधानी को हिला दिया। गुजरात में हुए धमाकों को दिल्ली ब्लास्ट से पहले ट्रायल के रूप में देखा गया। इन सभी ब्लास्ट में यासीन भटकल का नाम आया।

केस - फ्

ख्ब् जुलाई ख्008 को बंगलुरू के चनपट्टना इलाके में धमाका हुआ। यह धमाका सड़क किनारे ड्रेनेज में हुआ था। इस धमाके में कोई भी घायल नहीं हुआ। मगर अगले दिन ख्भ् जुलाई को बंगलुरू में सिलसिलेवार नौ बम विस्फोट हुए। जिसमें एक महिला समेत दो लोगों की मौत हुई।

केस - ब्

ख्भ् मई ख्0क्क् को दिल्ली हाईकोर्ट के गेट नंबर सात में धमाका हुआ। मगर धमाका कम शक्तिशाली था, इससे कोई नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद क्फ् जुलाई ख्0क्क् को मुंबई में तीन जगह लगातार विस्फोट हुआ। इसमें ख्म् लोग मारे गए, जबकि क्फ्0 से अधिक घायल हुए।

केस - भ्

दो अगस्त ख्0क्क् को जौनपुर में रसूलपुर नहर में विस्फोट हुआ। आतंकियों ने एक प्लास्टिक के बोरे को नहर में बहाकर भीषण विस्फोट किया था। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि नहर के किनारे पेड़ों के पत्ते झड़ गए थे। मगर इसके बाद 7 सितंबर ख्0क्क् को दिल्ली हाईकोर्ट के गेट नंबर भ् पर धमाका किया। इस धमाके में क्ब् लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल हुए। जौनपुर में पानी के अंदर किये धमाके में पीईटीएन (पेंटा इथ्रिटॉल टेट्रा नाइट्रेट) का इस्तेमाल किया गया था। यह ट्रायल था। क्योंकि दिल्ली में हुए विस्फोट के समय मानसून चल रहा था। बारिश की संभावना को देखते हुए ट्रायल किया गया था।