कतार में बीमार, OPD में MR

-मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा में मरीजों से पहले MRs को अटेंड कर रहे हैं डॉक्टर्स

-लाइन में लगे-लगे पेशेंट्स होते हैं परेशान मगर नहीं दिया जाता कोई ध्यान

--SIC की हनक ताख पर रख डॉक्टर्स कर रहे हैं मनमानी

VARANASI

Scene-1

स्थान-कबीरचौरा मंडलीय हॉस्पिटल की न्यू ओपीडी बिल्डिंग

दिन- शुक्रवार

समय- दोपहर 12 बजकर दस मिनट

रूम नंबर 31 चेस्ट फिजिशियन डॉ। राजकुमार शर्मा के ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी लाइन लगी रही। ऐसे में डॉ। राजकुमार शर्मा मरीजों को न देखकर बल्कि एमआर की दवाइयां समझ रहे थे। तीमारदार संग बीमार की टीस थी कि आखिर कब यह सिलसिला थमेगा?

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रूम नंबर 33 चेस्ट फिजिशियन डॉ। एसी मौर्या के ओपीडी के बाहर पेशेंट्स अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे लेकिन डॉक्टर साहब तो एमआर से सेटिंग में बिजी रहे। एक के बाद एक एमआर का आना-जाना लगा रहा।

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रूम नंबर 34 में फिजिशियन डॉक्टर के पास भी एमआर पहुंचे। ओपीडी में पेशेंट नहीं होने के चलते डॉक्टर साहब बड़े आराम से एमआर से मिले। एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के जाने बाद दूसरे एमआर के आने का क्रम बना रहा।

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रूम नंबर 42 ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ। हरिचरण शर्मा के ओपीडी में भी एमआर का आना जाना लगा रहा। लेकिन मरीजों की लंबी लाइन होने के चलते अधिकतर एमआर अंदर नहीं जा पा रहे थे।

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बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर पर स्थित स्किन ओपीडी तो एमआर का अड्डा बताया जाता है। डॉ। मुकुंद श्रीवास्तव के ओपीडी में एक मरीज को देखने के तुरंत बाद चार एमआर से हाल-चाल किया जाता रहा। स्किन ओपीडी में दवाएं और कुछ गिफ्ट पैकेट एमआर डॉक्टर साहब को भेंट करते रहते हैं। इसकी एसआईसी के पास कम्पलेन भी पहुंच चुकी है।

ये पांचों सीन्स तो महज बानगी भर हैं। मंडलीय हॉस्पिटल की इमरजेंसी, ओपीडी से लेकर वॉर्डो तक मरीजों का दोहन हो रहा है। डॉक्टर जिसके लिए बैठाए गए हैं, जिस कर्म का उन्हें वेतन मिलता है उस कर्म से ही भाग रहे हैं। सुबह आठ बजे से दो बजे के बीच चलने वाले ओपीडी से फ्री होने के बाद ही मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को अटेंड करने की परमिशन डॉक्टर्स को दी गई है लेकिन न डॉक्टर मान रहे हैं और न ही एमआर की एंट्री पर बैन लग पा रहा है। डीजे आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में ऐसे आधा दर्जन डॉक्टर्स ओपीडी टाइम में मरीजों को न देखकर बल्कि एमआर से दवाइयां समझते नजर आये। कुछ एमआर तो बाकायदा खाने-पीने का आइटम भी साथ में लाए थे। जिन्हें डॉक्टर अपने टेबल के नीचे रख लिए। कतार में लगे बीमार संग तीमारदार अपनी पीड़ा व्यक्त करते रहे लेकिन डॉक्टर्स पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

MR बैठा रहे 'आदमी'

कुछ कंपनी के एमआर की सेटिंग डॉक्टर्स से इतनी जबरदस्त हो चुकी है कि ओपीडी में उनका उठना-बैठना शुरू हो गया है। डॉक्टर साहब को अपने वश में कर एमआर अपनी ओर से एक लड़का तक ओपीडी में बैठा रहे हैं, जो डॉक्टर साहब की सहायता करता है। मरीजों की पर्ची लगाने से लेकर उनकी पर्ची पर दवा तक लिख रहा है। लगभग सभी डॉक्टर्स के ओपीडी में अलग से दो से तीन लड़के बैठे नजर आते हैं।

OPD शुरू होते ही जमावड़ा

सुबह आठ बजे से ओपीडी शुरू होते ही एमआर का आना शुरू हो जाता है। सुबह दस बजे के बाद जो एमआर की टोलियां आनी शुरू होती हैं वह दोपहर दो बजे तक लगातार जारी रहती है। डॉक्टर्स को लुभाने के लिए तरह-तरह के गिफ्ट भी दिए जाते हैं। ताकि डॉक्टर्स उन्हीं की कंपनी की दवाएं लिखे।

शेल्टर बना कार्डियक बिल्डिंग

मंडलीय हॉस्पिटल में एमआर की एंट्री पर रोक को कौन कहे? यहां तो पुरानी कार्डियक बिल्डिंग ही एमआर का शेल्टर बन चुका है। सुबह से दोपहर तक एक-डेढ़ दर्जन एमआर यहां आराम फरमाते हैं। इसके बाद यही से ओपीडी की ओर रुख करते हैं।

चेस्ट में दर्द रहता है, वही दिखाने के लिए आए है लेकिन डॉक्टर साहब तो एमआर से बात करने में मशगूल हैं।

सुशील पांडेय, मैदागिन

यही रोज का यहां नाटक है। मरीज लाइन लगाकर खड़ा रहे और एमआर तुरंत जाकर ओपीडी में बैठ जा रहे हैं।

मोहम्मद खरे, लाट भैरव

यहां की स्थित बहुत खराब है। मरीजों की डॉक्टर सुनते नहीं है लेकिन एमआर को बुलाकर ओपीडी में बैठाते हैं।

पंकज, कबीरचौरा

आधा घंटा से लाइन में लगी हूं, लेकिन डॉक्टर साहब हैं कि मरीजों को देख ही नहीं रहे हैं। एमआर से बात करने में बिजी हैं।

मीरा देवी, भोजूबीर

ओपीडी टाइम में एमआर से मिलना ही नहीं है। इसके लिए कई बार चेतावनी भी दी जा चुकी है। लेकिन बहुत हो चुका अब, ऐसे डॉक्टर्स पर सीधे कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। बीएन श्रीवास्तव, एसआईसी

मंडलीय हॉस्पिटल, कबीरचौरा

मंडलीय अस्पताल पर एक नजर

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रोजाना आते हैं मरीज

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डॉक्टर की है पोस्ट

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डॉक्टर्स हैं मौजूदा समय में

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से अधिक चलते हैं ओपीडी

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से अधिक दिन भर में आते हैं एमआर