वाराणसी (ब्यूरो)हमेशा राजस्व का रोना रोने वाले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने करोड़ों को कबाड़ को सड़क पर छोड़ दिया हैअगर बिजली विभाग के जिम्मेदार चाह जाएं तो इन कबाड़ों को बेचकर सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का फायदा फायदा पहुंचा सकते हैं, मगर वो ऐसा कर नहीं रहे हैंदरअसल स्मार्ट सिटी वाराणसी को लटकते तारों के जंजाल से तो मुक्त करने के लिए यहां दो फेज में आईपीडीएस वर्क का काम कराया गया थाउस दौरान गली-मोहल्लों में बिजली के पोल और घरों के बाहर लगे इंसूलेटर पैनल व अन्य इक्यूपमेंट्स को हटाकर वहां अंडरग्राउंड केबलिंग कर पोल की जगह जंक्शन बॉक्स लगाने का प्रस्ताव थाप्रपोजल के अकॉर्डिंग सब कुछ वैसा ही हुआ हैमगर कई मुहल्लों अभी बिजली के पुराने पोल और घरों में इंसूलेटर पैनल लगे हुए हंै, जबकि आईपीडीएस परियोजना को पूरा हुए दो साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है.

सरकारी संपत्ति बना कारण

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक आईपीडीएस परियोजना को बनारस में मूर्त लेने में करीब 4 साल का समय लगा थापहले फेज में पुरानी काशी क्षेत्र और दूसरे फेज में पहडि़य़ा, सारनाथ आदि थाइन दोनों फेज का काम पूरा हो चुका हैकाम के दौरान यह तय था कि पुरानी बिजली सामग्री को वहां से हटा लिया जाएगा, लेकिन अभी भी कई ऐसे मुहल्ले और गलियां है जहां पुराने लोहे के पोल लगे थे वे आज भी वैसे खड़े ही हैंयही नहीं गलियों में जा रहे ओवरहेड तार को सपोर्ट देने के लिए लोगों के घरों की दीवार पर लगाए गए लोहे का इंगल को भी नहीं हटाया गया हैमकान मालिक भी सरकारी संपत्ति समझकर इसे हटाने से तौबा कर रहे हैंपुराने काशी क्षेत्र में हुए आईपीडीएस वर्क वाले सिटी के हर गली, सड़क, चौक या चौराहा कहीं भी देखेंगे तो पुराने लोहे का एकाध पोल जरूर मिल जाएगालक्सा, गोदौलिया, सिद्धगिरीबाग, गुरुबाग, कमच्छा, रथयात्रा, रविन्द्रपुरी, खोजवा आदि क्षेत्रों में पुराने पोल खड़े हैं

हजारों में है पोल की कीमत

लोहे के एक बिजली के पोल का वजन करीब 10 क्विंटल या उससे ज्यादा तक हैइन्हें उखाड़कर बाजार में स्क्रैप के भाव भी बेचा जाए तो बिजली विभाग को प्रति पोल में 10 हजार से 11 हजार रुपए तक मिल जाएंगेइसकी तरह अगर लोगों के घरों में लगे लोहे के इंगल को भी निकालकर बेचा जाए तो विभाग को एक इंगल से दो से तीन हजार फायदा हो जाएगासाथ ही मकान मालिक के घर का दाग भी मिट जाएगादेखा जाए तो इन दोनों फेज में हुए आईपीडीएस वर्क के बाद वहां एक दो नहीं सैकड़ों ऐसे पोल देखने को मिल जाएंगे जो सिर्फ शोपीस बनकर खड़े हैकिसी भी पार्ट्स का कोई यूज नहीं हैअगर इन पाट्र्स को नहीं भी बेचा गया तो जहां आईपीडीएस वर्क नहीं हुए है वहां इसका इस्तेमाल किया जा सकता है

खुबसूरती में दाग के साथ खतरा भी

जानकारों की मानें तो जब आईपीडीएस वर्क शुरू हुआ था, तब यह तय था कि जितने भी पुराने बिजली के पोल और लोगों के घरों में तारों के सपोर्ट के लिए लगे इंगल हैं, उसे उखाड़ लिया जाएगाइसमें नगर निगम को भी जिम्मेदारी दी गई थीलेकिन जल्दबाजी में परियोजना तो पूरी कर ली गई, लेकिन ज्यादातर पोल आर इंसूलेटर युक्त इंगल को वैसे ही छोड़ दिया गयाओवरहेड तारों के हटने के बाद सेफ्टी के साथ क्षेत्र की खुबसूरती तो बढ़ गई, लेकिन ये पुराने पोल अब इनकी खुबसूरती में दाग तो लगा ही रहे हैं करंट फैलने का खतरा भी बढ़ा रहे हैंऐसा इसलिए कि जमीन के अंदर से जा रहा बिजली का केबल अगर कट गया तो उस पोल में करंट आ सकता है, जो किसी के लिए भी जान का खतरा बन सकता है

अब इन पोल को हटाना मुश्किल हैइस परियोजना को पूरा करने वाली एजेंसी पैकअप कर जा चुकी हैउस वक्त पोल हटाने के दौरान नगर निगम की ओर से बोला गया था कि कुछ पोल पर स्ट्रीट लाइट लगे हैं, इसलिए उसे न हटाया जाएबाद में पता चला कि ऐसा नहीं हैअब इसे हटाने का प्रयास किया जाएगा.

एपी शुक्ला, चीफ इंजीनियर, पीवीवीएनएल