वाराणसी (ब्यूरो)मरीजों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं लेे रही हैपहले पर्चा लेने के लिए जद्दोजहद करना पड़ता था, अब ऑनलाइन के लिए परेशानी उठानी पड़ रही हैइस नई व्यवस्था में मरीजों की स्थिति देखने लायक हैकबीरचौरा मंडलीय अस्पताल हो या फिर पंदीनदयाल हॉस्पिटल, दोनों अस्पतालों में इलाज कराना मरीजों के लिए सिरदर्द बन गया हैओपीडी में दिखाने से पहले उनको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा तभी उनका इलाज किया जाएगाजबसे यह नया सिस्टम लागू हुआ तबसे मरीजों की फजीहत और बढ़ गई हैमोबाइल रहते हुए भी कई मरीज इस नए सिस्टम को समझ ही नहीं पा रहे हैंजो समझ गए हैं उनको भी ऑपरेट करने में दिक्कत हो रही हैक्योंकि अस्पताल में ज्यादातर मरीज ऐसे आते हैं जो काफी गरीब हैंउनके पास इलाज कराने तक का पैसा नहीं रहताकई ऐसे भी रहते हैं जिनके पास मोबाइल तो है लेकिन नेट की सुविधा ही नहीं हैऐसे मरीज करीब 70 परसेंट बताए जा रहे हैं.

सुबह आठ बजे से लंबी लाइन

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल हो या फिर पंदीनदयाल हॉस्पिटलसुबह आठ बजते ही पर्चा कटवाने के लिए लंबी लाइनें लग जाती हैंजब काउंटर्स पर पर्चा लेने के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें यह कहकर वापस कर दिया जाता है कि पहले मोबाइल एप में जाकर रजिस्ट्रेशन कराइएइसके बाद पर्चा दिया जाएगाफिर क्या मरीजों को इसके लिए फिर से कसरत करनी पड़ती हैलाइन से निकलकर व दीवार पर चस्पा किए गए निर्देश को पढ़ते हैंअगर मोबाईल पास में तो है ठीक नहीं तो उनको वापस कर दिया जाता है.

दूसरे काउंटर पर पहले से ही जद्दोजहद

इस काउंटर से हटाए जाने के बाद मरीज जब नयी बिल्डिंग के पास बने दूसरे काउंटर पर जाते हैं तो वहां पर पहले ही लंबी लाइनें लगी रहती हैंपर्चा लेने के लिए मरीजों को काफी जद्दोजहद करना पड़ता हैयह देखकर मरीज इलाज कराने से पहले ही हताश होकर वापस चले जाते हैंअस्पताल के इस सिस्टम ने मरीजों का मर्ज और बढ़ा दिया है.

कई मरीजों को जानकारी ही नहीं

कई मरीजों को नए सिस्टम के बारे में जानकारी ही नहीं हैंओपीडी में दिखाने से पहले ही वह पर्चा काउंटर पर लाइन लगा लेते हैंजब उनका नंबर आता है तो उनको पर्चा नहीं दिया जाता हैकाउंटर पर बैठा व्यक्ति कहता है कि वहां पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए नोटिस चस्पा की गई है, उसे पढ़ लीजिए और रजिस्ट्रेशन करा लीजिए तब लाइन लगाइए.

मरीजों को हुआ कष्ट

पर्चा के लिए लाइन लगाए राजू का आधे घंटे बाद जब नंबर आया तो उन्होंने राहत की सांस लीलेकिन, उनको भी पर्चा नहीं दिया गया क्योंकि मोबाइल पर रजिस्ट्रेशन करना भूल गए थेइसको लेकर उन्होंने काउंटर पर बैठे पर्चा काटने वाले से बहस भी कर ली लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकलाउनके पास मोबाइल था लेकिन स्मार्ट मोबाइल नहींइसलिए उनको दिक्कत हुईयही हाल अशरफ के साथ भी हुआऐसे कई मरीजों के साथ देखने को मिला, जिन्हें बिना पर्चा के ही वापस कर दिया गया.

70 परसेंट मरीजों के पास नेट ही नहीं

इलाज कराने आए अस्पतालों में करीब 70 परसेंट ऐसे मरीज हैं, जोकि बटन वाला मोबाइल यूज करते हैंकई ऐसे भी जिनके पास नेट की सुविधा नहीं हैंऐसे मरीज को अस्पताल में इलाज कराने के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है.

ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के पर्चा बनाने के लिए अस्पताल में व्यवस्था की गई हैमेन बिल्डिंग में ऑनलाइन पर्चा काटा जा रहा हैनई बिल्डिंग के ठीक सामने बने काउंटर्स पर ऑफलाइन पर्चा काटा जा रहा हैजिनके पास मोबाइल नहीं है, वह नयी बिल्डिंग के सामने बने काउंटर पर पर्चा बनवा सकते हैं.

डाएसपी सिंह, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, मंडलीय अस्पताल