-एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद भी 10 से ने दी कोरोना को मात

-एनआरसी में 4500 एचआईवी मरीजों का चल रहा है इलाज

केस-1

जिले के निवासी मयंक दो साल से एचआईवी पॉजिटिव हैं। पिछले दिनों वे कोरोना पॉजिटिव हो गए। होम ऑइसोलेशन में रहने के बाद उन्होंने कोरोना से जंग जीत ली। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर एचआईवी का इलाज करा रहे है।

केस-2

जिले के ही सोनू यादव पिछले तीन साल से एचआईवी का इलाज करा रहे हैं। पिछले माह वे कोरोना पॉजिटिव हो गए। कोविड प्रोटोकॉल के तहत इलाज कराते हुए उन्होंने कोरोना को मात देकर खुद को स्वस्थ कर लिया। अब इनका सिर्फ एचआईवी का इलाज चल रहा है।

ये दो केस तो सिर्फ उदाहरण है। बनारस में एक दो नहीं 10 ऐसे कोरोना कोविड पेशेंट मिले हैं, जो एचआईवी पॉजिटिव थे, लेकिन एआरटी सेंटर की सूझबूझ और बेहतरीन काउंसलिंग की बदौलत इन सभी मरीजों ने कोरोना को मात देकर खुद को स्वस्थ कर लिया। कोरोना संक्रमण टीबी और एचआईवी जैसे मरीजों के लिए सबसे ज्यादा घातक बताया गया है, क्योंकि इस रोग से पीडि़तों की इम्युनिटी पावर बेहद कमजोर हो चुकी रहती है, लेकिन इन 10 मरीजों ने जिस तरह से कोरोना से जंग जीती.इससे यह सिद्ध हो चुका है कि अगर रोगी सही तरीके से चिकित्सकों द्वारा सुझाए गए दवाओं का सेवन करें तो कोई भी वायरस इन पर हावी नहीं हो पाएगा।

पहले से ले रहे हैं एंटी वायरल की दवाएं-

एसएमओ डॉ। प्रीति अग्रवाल का कहना हैं कि एचआईवी पेशेंट्स का इम्युनिटी सिस्टम बहुत कमजोर होता है, इसलिए कोरोना का भी खतरा सबसे ज्यादा रहता है। लेकिन एचआईवी पेशेंट्स की पहले से ही एंटी वायरल दवाएं चलती हैं। इसलिए इन पर कोरोना का हमला उतना नहीं हो रहा जितना अन्य पर हुआ है। अगर एचआईवी संक्रमित ट्रीटमेंट के दौरान बिना गैप के नियमित दवा खाते हैं तो उनकी जान को ज्यादा खतरा नहीं हो सकता। वर्तमान में सेंटर में उन सभी मरीजों को जांच के लिए बुलाया जा रहा है जो एचआईवी संक्रमित हैं। ऐसे लोगों को जांच और दवायें देने के साथ ही कोरोना से बचने और इम्यूनिटी स्ट्रांग करने के उपाय भी बताये जा रहे है।

खुला है एआरटी सेंटर-

एचआईवी पॉजिटिव मरीज लॉकडाउन की वजह से हॉस्पिटल खुलने में अंदेशा जाहिर कर रहे हैं, तो उनके लिए ये जानकारी अहम है। डीडीयू हॉस्पिटल में स्थित एआरटी सेंटर एड्स पीडि़तों के लिए खुला है। मरीजों को यहां दवा और जांच दोनों की सुविधा है। यहां पर एआरटी की टीम मुस्तैदी से तैनात है। एआरटी सेंटर की काउंसलर सुस्मिता तिवारी बताती हैं कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार लॉकडाउन होने के बाद भी सेंटर में कहीं से कोई कमी नहीं किए जा रहे हैं। एचआईवी संक्रमित मरीजों की काउंसलिंग कर लगातार अवेयर किया जा रहा है।

नई दवा है ज्यादा पावरफुल

चिकित्सकों का कहना हैं कि कुछ महीने पहले ही सरकार ने एचआईवी पेशेंट के लिए अब तक की सबसे महंगी दवा लांच की है। यह दवा पहले से कहीं ज्यादा पावरफुल है। एक पेशेंट को हर महीने 30 हजार की दवा फ्री में दी जा रही है। यह दवा ही इनकी इम्युनिटी का आधार है।

अब एचआईवी पॉजिटिव का भी वैक्सीनेशन

डॉ। प्रीति ने बताया कि अभी तक लोगों के मन में यही सवाल था कि क्या एचआईवी पेशेंट कोरोना से बचने के लिए वैक्सीनेशन करा सकते है या नहीं। तो अब इसका जवाब आ चुका है। नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम की ओर से यह साफ कर दिया गया कि अब आम लोगों की तरह एचआईवी पेशेंट भी कोविड वैक्सीन लगवा सकते है। इससे उनके स्वास्थ्य पर कोई असर नहंी पड़ेगा।

जिले में करीब 4500 एचआईवी पेशेंट का ट्रीटमेंट चल रहा है। इसमें 10 पेशेंट कोरोना संक्रमित पाए गए। इन सभी मरीजों ने कोरोना को मात दे दी है। इनके कोरोना से जंग जितने में सबसे बड़ी भूमिका सरकार की ओर से दी जाने वाली एचआईवी की नई दवा और सेंटर की ओर से हो रही काउंसलिंग की है। ऐसे लोगो पर प्रॉपर नजर रखने के लिए सेंटर की टीम काम कर रही है।

डॉ। प्रीति अग्रवाल, एसएमओ-एआरटी सेंटर