अभी तक 10 से कम ही ब्लैक फंगस के मरीज आए हैं सामने

वाराणसी में भी आए दिन ब्लैक फंगस के एक-दो मामले सामने आ रहे हैं। अभी तक 10 से कम ही ब्लैक फंगस के मरीजों की पुष्टि हुई है। हालांकि यह बीमारी आम लोगों को होने की आंशका कम है। सुगर, कैंसर या गंभीर रूप से कोरोना से पीडि़त मरीजों में इस बीमारी की संभावना है। बावजूद इसके आम लोग ब्लैक फंगस को लेकर ज्यादा पैनिक होने लगे हैं। आंख या नाक में थोड़ी सी समस्या होने पर लोग तुरंत डाक्टरों के पास पहुंच जा रहे हैं, जबकि गर्मी के दिनों में कंजक्टिवाइजिस समेत कई तरह की समस्याएं आंखों में आती रहती है। शहर के आई स्पेशलिस्ट के अनुसार ब्लैक फंगस को लेकर पैनिक नहीं, बल्कि अवेयर रहने की जरूरत है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने आई स्पेशलिस्टों से बातचीत की। उन्होंने कई अहम जानकारियां दी।

सामान्य लोग न डरें

डॉ। अनुराग टंडन ने बताया कि कोविड के दौरान जिसे स्टेरॉयड ज्यादा दी गयी हो, डायबिटीज, कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हैं, उन्हीं में इस बीमारी की संभावना ज्यादा है। सामान्य लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। गर्मी के दिनों में आंखों में कंजक्टिवाइटिस समेत छोटी-मोटी दिक्कतें आती हैं। ऐसे में पैनिक न हो, डाक्टर से सलाह लेकर ही दवा का सेवन करें। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के डर से इन दिनों उनके पास ज्यादा लोग आ रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी में यह लक्षण नहीं दिखे।

सिर्फ तीन मरीजों में मिला फंगस

डॉ। अभिषेक चंद्रा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते वह सिर्फ क्रिटिकल केस देख रहे हैं। अभी तक 50 से अधिक मरीजों की जांच की, जिसमें तीन ऐसे मरीज मिले, जिन्हें ब्लैक फंगस के लक्षण दिखे। बीएचयू, अलखनंदा हास्पिटल में मरीजों का इलाज शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस से अवेयर रहने की जरूरत है। आंखों में दर्द, फूलना, कोई चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए तो तुरंत इसका इलाज कराए। इसके अलावा सामान्य मरीजों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। हालांकि जब से कोरोना की दूसरी लहर आई है, तभी से ब्लैक फंगस सामने आया है। इसके पहले साल में एक या दो मरीज तरह के आते थे।

तीन मरीजों का चल रहा है इलाज

डॉ। आरके ओझा बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस की शिकायत आने लगी है। शहर के एक बड़े हॉस्पिटल में मेरी निगरानी में ब्लैक फंगस के तीन मरीजों का इलाज चल रहा है। ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं, आंख, नाक कान गले, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से तुरंत दिखाएं और लग कर इलाज शुरू करें।

नहीं मिल रही है दवा

सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो। केके गुप्ता ने बताया कि ब्लैक फंगस की दवाएं व इंजेक्शन अब दुकानों पर नहीं उपलब्ध हैं। इसलिए इसकी मांग सरकार से की गई है। इसमें इंफोटेरेसिन बी भी शामिल है। आईसीएमआर को इस रोग में उपयोग होने वाली दवाओं की सूची भेज दी है। साथ ही पोस्ट कोविड ब्लैक फंगस नाम से ग्रुप भी बनाया गया है।

धूलकण कर रहा है बीमार

बीएचयू के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ। विश्वंभर सिंह के अनुसार ब्लैक फंगस के मामले में स्प्रे वाले लोकल सैनिटाइजर और धूलकण वाले वातावरण की भूमिका भी सामने आ रही है। इन सस्ते सैनिटाइजर में मेथेनाल की मात्रा जरूरत से कहीं ज्यादा होती है, जो हमारी आंख और नाक की कोशिकाओं को मृत कर फंगस को उगने का बेहतर वातावरण तैयार कर रही है। हम जानते हैं कि मशरूम हो या फिर हमारे शरीर में होने वाले दाद-खाज, खराब नाखून और कान में खुजली इत्यादि फंगस की वजह से होते हैं जो मृत कोशिकाओं या ऊतकों पर उगते हैं।