-शव वाहिनी से शव को लाने वाले कर्मचारी भावनाओं को देखते हुए दे रहे छूट

-अंतिम क्रिया करने के बाद किया जा रहा शव को पैक

कोरोना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। हर रोज कोरोना से ग्रसित मरीजों के आंकड़े बढ़ रहे हैं। वहीं इससे मौत का भी मामला हर रोज सामने आ रहा है, जो सभी को झकझोर देने का काम कर रहा है। इस महामारी ने सभी समुदायों को प्रभावित किया है फिर चाहे हिंदू हो या मुस्लिम समुदाय या फिर सिख या ईसाई, सभी को अपने आगोश में ले लिया है। ऐसे में सरकार ने अपनी गाइडलाइन में यह स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया था कि कोरोना से संक्रमित हुए लोगों की मौत में कोविड प्रोटोकॉल के तहत पूरी तरह से बॉडी को पैक करके दाह संस्कार किया जाएगा। भले ही किसी की मौत कोरोना से क्यों न हुई हो लेकिन हर एक व्यक्ति की आस्था और विश्वास का जुड़ाव उसके संस्कार से है। कई ऐसे क्रिया कर्म होते हैं जो हर एक इंसान अंतिम समय में अपने परिजनों का करना चाहता है, लेकिन सरकार के नियमों के अनुसार उसे यह करने की अनुमति नहीं। कोरोना से ग्रसित मरीजों की सुरक्षा के मद्देनजर मृतक के परिजनों को बॉडी से दूर रखा जाता है। कई लोग ऐसे हैं जो परिवार में किसी की कोरोना से मौत होने के बाद अंतिम संस्कार के दौरान जो क्रिया होती हैं उन्हें फॉलो करने की चाहत रखते हैं। लेकिन नियमों औऱ सुरक्षा के चलते वह ऐसा नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब कोविड से हुई मौत में भी परिजन मृतक के अंतिम संस्कार में जो मलीन खोड़सी (पिंडा इत्यादि) कर सकते हैं इसके लिए उन्हें थोड़ी सहूलियत दी गई है।

कोरोना से हुई मौत के मामले में सरकार और जिला प्रशासन ने परिजनों की सुरक्षा को देखते हुए कई नियम प्रभावी किए थे। जिसमें यदि परिवार में किसी की मौत कोरोना से होती है तो शव से उनके परिजनों को दूर रखा जाएगा। जिसके चलते परिजन मृतक के निमित्त जो संस्कार किए जाते हैं वह नहीं कर पाते थे। स्मार्ट सिटी वाराणसी के तहत चलाए जा रहे निशुल्क शव वाहिनी में कोरोना से हुई मौत की जानकारी पर उन्हें घाट तक पहुंचाने का काम करते हैं। स्मार्ट सिटी के तहत शव वाहिनी पर तैनात कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जो भी कोरोना से मौत हो रही है उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के क्रिया कर्म में दूर से ही सही लेकिन अनुमति दी गई है और इसके बाद टीम बॉडी को घाट तक लेकर आएगी।

कोरोना से हुई मौत के परिजनों को उनके अंतिम संस्कार के दौरान जो भी कर्म किए जाते हैं उसके लिए सहूलियत दी गई है। लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है।

गौरांग राठी

नगर आयुक्त, वाराणसी