सरकारी दफ्तर के परिसर में टॉयलेट की है हालत बुरी, प्रेशर आने पर भी जाने से कतराते हैं लोग

विभाग के कर्मियों की ही होती है सफाई की जिम्मेदारी

VARANASI

हजारों लोगों की भीड़ जहां रोज पहुंचती है, पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी जहां रोज बैठते हों और जहां शहर के लोगों को अच्छी से अच्छी व्यवस्था देने के लिए प्लैन तैयार किये जाते हैं, ऐसी जगह पर व्यवस्थित साफ सुथरा टॉयलेट का न होना काफी परेशानी भरा होता है। हालांकि इस तरह की बदतर हालत शहर के ज्यादातर सरकारी दफ्तर और हॉस्पिटल की रहती है।

यहां आज हम आप को जिला मुख्यालय और कचहरी के भीतर के टॉयलेट की सच्चाई दिखा रहे हैं। परिसर में कुछ ही दिन पहले जायका के तहत एक कम्यूनिटी टॉयलेट बनाया गया है। लेकिन इसके अलावा जो भी यूरिनल पॉइंट्स बने हैं उनकी हालत बहुत बुरी रहती है जो बदबू और गंदगी से भरा रहता है।

कचहरी परिसर में रोजाना लगभग ख्0 हजार लोग पहुंचते है। लेकिन इसके सापेक्ष यहां पर कम्यूनिटी टॉयलेट की व्यवस्था बहुत कम है और जो है भी उनमें गंदगी की भरमार रहती है। रोजाना सफाई न होने के कारण बदबू और बहते यूरीन के कारण लोगों को काफी परेशानी होती है।

विभाग की ही है सफाई की जिम्मेदारी

जिस डिपार्टमेंट के परिसर में टॉयलेट होते हैं, उनके साफ-सफाई की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होती है। लेकिन विभाग अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता है। सबसे ज्यादा बुरा हाल सरकारी हॉस्पिटल का होता है। मंडलीय हॉस्पिटल और डीडीयू हॉस्पिटल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जहां के टॉयलेट से आने वाली बदबू इतनी ज्यादा होती है कि मरीज और तीमारदारों के लिए उसमें जाना दुश्वार हो जाता है।

नगर निगम में भी हाल बेहाल

शहर की साफ-सफाई के लिए जिम्मेदार विभाग नगर निगम में भी टॉयलेट का हाल बेहाल ही है। यहां भी अगर आप टॉयलेट के सामने से गुजरेंगे तो नाक बंद करने को मजबूर होंगे। नगर आयुक्त ने अपना कार्यभार संभालने के बाद निगम परिसर का दौरा किया था तो उन्हें साफ-सफाई में शौचालय का खास ध्यान दिया जाना चाहिए लेकिन उनके आदेश का पालन होता परिसर में नहीं दिखता है।

सरकारी दफ्तरों और हॉस्पिटल परिसर में बने टॉयलेट के सफाई की जिम्मेदारी उनकी ही होती है। जबकि इन परिसर में बने जायका के टॉयलेट के सफाई की जिम्मेदारी सुलभ संस्था की है। निगम परिसर की बात की जाए तो इनका सफाई रोज करायी जाती है।

बीके द्विवेदी, अपर नगर आयुक्त

सरकारी हॉस्पिटल के टॉयलेट की हालत तो ऐसी होती है कि पूछिये मत उसमें जाने के लिए बहुत हिम्मत जुटानी पड़ती है। इतनी ज्यादा बदबू और गंदगी रहती है।

राकेश कुमार

हमें अक्सर कचहरी आना जाना होता है। यहां पर अगर टॉयलेट जाना पड़े जाए तो काफी परेशानी होती है। टॉयलेट की गंदगी और बदबू से तो नाक में दम हो जाता हैं

मोंटी जायसवाल