- निस्तारण नहीं होने से लाखों के वाहन थानों में कबाड़ में बदल जा रहे हैं

- कबाड़ की गाडि़यों के चलते थाने में बैठने तक खोजनी पड़ती है जगह

:: इंट्रो ::

जिले में पुलिस द्वारा बरामद चोरी के वाहनों का समय रहते निस्तारण नहीं होने से लाखों के वाहन थानों में कबाड़ में बदलते जा रहे हैं। हालात यह है कि थानों में वाहनों के कतार लगे हुए हैं। शिवपुर की बात करें तो यहां पुलिसकíमयों और शिकायत करने आने वालों के लिए जितने जगह नहीं उससे कई गुना वाहन परिसर में खड़े हैं। वहीं कोतवाली में बाहर और मेस के सामने वाहनों के ढेर लगे हुए हैं। सर्दी का मौसम हो या गर्मी, हर मौसम में यह वाहन यहां खड़े जंग खाते रहते हैं।

वर्षो से जिले के विभिन्न थानों में पड़ी कबाड़ गाडि़यां थाना परिसर की शोभा बढ़ा रही हैं। थाने में जब्त पड़े वाहनों की नीलामी न होने से लाखों रुपए के वाहन बर्बाद हो रहे हैं, जिससे सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। साथ ही अपराधियों से जब्त किए गए वाहन पुलिस के लिए सिरदर्द बन रहे हैं। वहीं इनकी देखरेख के पर्याप्त इंतजाम न होने से गाडि़यां कंडम हो रही हैं, जो आने वाले समय में कौडि़यों के भाव बिकेंगी। कई थानों में तो यह स्थिति है कि कबाड़ की गाडि़यों के चलते ना तो पुलिस कर्मियों के बैठने की जगह है और ना ही आने वाले फरियादियों के बैठने की व्यवस्था।

स्पॉट-1, थाना- कोतवाली

कोतवाली में पकड़ी गई चोरी और लावारिस मोटरसाइकिलों को थाना परिसर में रखे हुए करीब आठ साल से अधिक समय गुजर गया है। इसके बाद भी पुलिस नीलामी की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाई है। थाने के अंदर प्रवेश करते ही सैकड़ों गाडि़या देखने को मिल जाएंगी, जो यहां की जर्जर दीवारों में चार चांद लगाने का काम कर रही हैं। यहां करीब सौ से ज्यादा बाइक ऐसी हैं जो आज पूरी तरह से नीलामी की प्रक्रिया में खरी उतर सकती हैं, इसके बाद भी आज तक प्रक्रिया को लेकर कार्रवाई नहीं की जा सकी है।

स्पॉट- 2, थाना- शिवपुर

शिवपुर थाने के बाहर आज भी कबाड़ गाडि़यों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। वहीं इसके चलते सड़क पर जाम भी लग जाते हैं। यहां बाहर जितने वाहन खड़े हैं, उससे कम थाने के अंदर भी नहीं हैं। आठ से दस वर्ष पुरानी कंडम गाडि़यां थाने को सुशोभित कर रही हैं। शिवपुर थाने का आलम यह है कि यहां आने वाले फरियादियों को बैठने तक की जगह नहीं है। व्यवस्था ऐसी की यहां आने वाले फरियादी और थाने में तैनात पुलिसकर्मियों को अक्सर बैठने के लिए जगह खोजनी पड़ जाती है।

नीलामी से होगा राजस्व

जिले में ऐसे कई ऐसे थाने हैं जहां पर आठ से दस वर्ष पुरानी कबाड़ की बाइक थाना परिसर में रखी गई हैं। अगर इन घूल खा रही कंडम गाडि़यों की नीलामी हो जाए तो पुलिस प्रशासन को राजस्व की अच्छी इनकम हो सकती है।

पुलिस चलाती है अभियान

जिले में लगातार मोटर साइकिल चोरी होने के शिकायत बढ़ने पर पुलिस विशेष अभियान चलाती है। इस अभियान के दौरान जांच के क्रम में दर्जनों बाइक बगैर कागजात के पुलिस पकड़ती है। कागजात नहीं होने के चलते बाइक जब्त कर ली जाती है। कई बार पुलिस जब उनकी पड़ताल करती है तो पता चलता है कि वह मोटरसाइकिलें चोरी की हैं।

यह है नियम

शासन के नियमानुसार जब्त वाहन के 6 माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकार्ड में लेती है। इसके बाद न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चस्पा करने के अलावा समाचार पत्रों में इश्तेहार देने के बाद उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है।

क्यों नहीं हो पाता निस्तारण

पुलिस द्वारा बरामद किए गए अधिकांश वाहन चोरी के मामलों से संबंधित होते हैं। चोरी होने के बाद वाहन स्वामी की ओर से रिपोर्ट दर्ज करा दी जाती है। इसके बाद बरामदगी न होने पर पुलिस एफआर लगा देती है। वाहन स्वामी को बीमा कंपनी से भुगतान मिल जाता है। इसके चलते थानों में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जाती है।

::: कोट ::

समयावधि पूरा होने के बाद थानों में रखी गई गाडि़यों का आकलन करवाया जाएगा। इसके बाद उन्हें नीलाम कराए जाने की प्रक्रिया बहुत जल्द पूरी कर ली जाएगी।

विकास चंद त्रिपाठी

एसपी सिटी