वाराणसी (ब्यूरो)श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व घरों एवं मंदिरों में मनाई जा रही हैंकुछ जगहों पर गुरुवार को कान्हा की जयंती मनाई गई तो कुछ जगहों पर शुक्रवार को मनाई जाएगीइसको लेकर बाजार भी रंग बिरंगी पोशाकों, आकर्षक झूलों व ग्वालों की पोशाकों से सजे हुए हैंभगवान की पोशाक एवं साज-सज्जा सामग्री से सजी दुकानों पर लोग खरीदारी को पहुंच रहे हैंहालांकि इस बार श्रद्धा के आगे महंगाई भारी पड़ती दिख रही हैबाजारों पर जन्माष्टमी का रंग पूरी तरह चढ़ चुका हैगोदौलिया से लेकर चौक तक और चौकम्भा से लेकर ठठेरी बाजार तक इसका बड़ा मार्केट हैबाजारों में कान्हा की मूर्तियों से लेकर आदि जरूरी सामान 15 प्रतिशत तक महंगे दामों पर मिल रहे हैं.

जेब पर पड़ रहा असर

आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर पड़ रहामहंगाई के चलते लोग छोटी मूर्तियों को खरीदना ही ज्यादा पसंद कर रहे हैंबाजार में कान्हा की मूर्ति 150 से लेकर 3500 रुपए तक की हैकान्हा के जन्म की खुशियां मनाने के लिए लोग तैयार हैं तो बाजार भी पूरी तरह सज चुके हैंजन्माष्टमी का रंग बाजारों पर छाने लगा हैदुकानों पर लड्डू गोपाल की मूर्ति, मुकुट, बांसुरी से लेकर हिंडोले तक उपलब्ध हैंलकड़ी, मेटल और चांदी के हिंडोले लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.

काफी महंगी पोशाक

शहर में मूर्ति विक्रेताओं, किराना से लेकर पूजन सामग्री बेचने वालों के पास ग्राहक भी पहुंच रहे हैंमहिलाएं बच्चों के लिए भी कान्हा की पोशाक खरीद रही हैंलेकिन, इस बार सामान पहले की तुलना में महंगा मिल रहा हैग्राहकों के मुताबिक छोटे से लेकर बड़ा सामान 15 प्रतिशत तक कीमत बढ़ाकर मिल रहा हैछोटे बच्चों के लिए कान्हा की पोशाक काफी महंगी मिल रही है.

ड्राई फ्रूट्स के दाम भी बढ़े

कान्हा के भोग में पांच चीजें जरूरी होती हैभोग में देसी घी, सूखे मेवे व इलायची से तैयार की गई आटे की पंजीरी, माखन-मिश्री, मखाना-पाग, मखाने की खीर और पंचामृत (जिससे लड्डू गोपाल को नहलाया जाता है) शामिल हैभाग मखाना, गरी व चिरौंजी, किशमिश, छुआरा, मेवे और देसी घी से तैयार होते हैंबाजारों में सूखे मेवे के दाम आसमान छू रहे हैं.

आइटम कीमत

मूर्तियां : 150 से 3500

मेटल झूला : 250 से 500

मुकुट : 60 से 150

बांसुरी : 20 से 50

पोशाक : 30 से 250

कुंडल : 20 से 100

बच्चों की पोशाक : 250 से 850