काशी विद्यापीठ के छात्र नेताओं के जुलूस के चलते पूरा शहर रहा जाम, धक्का-मुक्की और भगदड़ के बीच छात्रसंघ के लिए 38 ने भरा पर्चा

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की उड़ी धज्जियां, टाइट सिक्योरिटी और बीएसएफ की तैनाती के बावजूद जमकर भिडे़ कई गुट

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ छात्रसंघ चुनाव में नॉमिनेशन के चलते शुक्रवार को पूरा बनारस परेशान रहा। शहर के तमाम इलाकों से निकले छात्रसंघ के लिए पर्चा भरने वाले नेताओं के नामांकन जुलूस ने शहर की हर रोड को जाम कर दिया। राह चलते लोगों को परेशान किया गया। साइकिल या स्कूटी से जा रही लड़कियों के साथ बदतमीजी की। बुजुर्गो को भी नहीं बख्शा। सड़क पर देर तक अपना जुलूस रोके रखा और दूसरे गुट के साथ टकराव को आमंत्रित किया। वरूणापार इलाके में तो हालत इतनी खराब हो गयी कि कई एम्बुलेंस घंटों जाम में फंसे रहे पर इन तथाकथित छात्र नेताओं का उन पर दिल नहीं पसीजा। स्टेशन जा रहे कई लोगों की ट्रेन छूटी तो ऑफिस जा रहे लोग 12 बजे के बाद ही दफ्तर पहुंच सके।

किसी को किसी की परवाह नहीं

इन जुलूसों के दौरान लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की जमकर धज्जियां उड़ायीं गयीं। नॉमिनेशन के दौरान भी खूब धक्का मुक्की हुई। कई थानों की फोर्स के अलावा बीएसएफ की तैनाती का भी कोई असर नहीं दिखा। शक्ति प्रदर्शन के तांडव के चलते काशी विद्यापीठ कैम्पस के अलावा बाहर भी पूरे दिन तनाव की स्थिति रही। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठी भी पटकनी पड़ी। इससे उत्पन्न भगदड़ के कारण पूरे इलाके की दुकानें बंद हो गयीं। नॉमिनेशन के लिए विद्यापीठ रोड व यूनिवर्सिटी कैंपस में जबरदस्त सिक्योरिटी का इंतजाम किया गया था। इस रोड पर पैदल के अलावा किसी को भी आने-जाने की छूट नहीं थी। नामांकन जुलूस व वाहनों को इंग्लिशिया लाइन तिराहे तो दूसरी ओर घंटी मिल चौराहे पर ही रोक दिया जा रहा था। इस दौरान मानविकी संकाय में कैंडीडेट्स के साथ उसके एक समर्थक व एक प्रस्तावक को ही अंदर जाने की छूट थी।

ऐसे हुई उपद्रव की शुरुआत

सुबह से नॉमिनेशन प्रॉसेस चल ही रहा था कि दोपहर एक बजे अचानक घंटी मिल चौराहे पर दो कैंडीडेट के जुलूस आमने-सामने हो गए। इसी बीच समर्थकों में धक्का मुक्की होने लगी। फिर देखते ही देखते माहौल गरमाने लगा और समर्थकों में हाथापायी होने लगी। बवाल बढ़ता देख पुलिस एक दूसरे को मौके से हटाने लगी। लेकिन वो हटने को तैयार नहीं थे। स्थिति बिगड़ती उससे पहले वहां तैनात बीएसएफ के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। बीएसएफ जवान हाथापायी और हंगामा करने वालों को खदेड़ने लगे, जिससे भगदड़ मच गया। समर्थक इधर उधर भागने लगे। बिना लाठी डंडे के ही जवानों ने समर्थकों की भीड़ को तितर बितर कर दिया। कुछ देर की भगदड़ और हंगामे के बाद बीएसएफ के जवानों ने चौराहे पर मोर्चा संभाल लिया। तब जाकर स्थिति सामान्य हुई।

रोक तो कहीं तार-तार हुई संहिता

एक तरफ इंग्लिशिया लाइन से घंटी मिल चौराहे तक कफ्र्यू जैसा माहौल रहा तो दूसरी ओर ठीक बगल में आचार संहिता खुलेआम तार-तार हुई। समर्थक रोक के बावजूद ढोल नगाड़े पर नाचते हुए वाहनों के लंबे काफिले के साथ नॉमिनेशन करने पहुंचे। इसमें न केवल पालिटिकल पार्टीज के झंडों का प्रयोग किया गया, बल्कि पि्रंटेड प्रचार सामग्री का भी खुल्लम खुल्ला प्रदर्शन हुआ। यही नहीं डीजे बजे और नारे भी लगे। खास बात यह कि यह सब सिक्योरिटी फोर्सेस के सामने हुआ। लेकिन किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की। इन सबके बीच पांच पदों के लिए 38 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

जाम ने सबको किया परेशान

सिटी के सबसे बिजी रोड को बंद कर देने और दूसरे रोड पर नामांकन जुलूस निकलने से सिटी के एक बड़े हिस्से में भीषण जाम लग गया। यूनिवर्सिटी में नॉमिनेशन स्टार्ट होते ही साजन चौराहा, सिगरा, मलदहिया, तेलियाबाग, इंग्लिशिया लाइन, कैंट, रोडवेज, अंधरापुल, चौकाघाट सहित अन्य एरिया जाम से जकड़ गए। इन रोड्स पर वाहनों की लंबी लाइन लग गयी। घंटों से जबरदस्त ट्रैफिक जाम से जूझ रहे लोगों को निजात दिलाने के लिए खुद एसपी ट्रैफिक को रोड पर उतरना पड़ा। बावजूद इसके दोपहर बाद नॉमिनेशन समाप्त होने के बाद ही जाम खत्म हुआ। तब लोगों ने राहत की सांस ली।