-पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद पीडि़तों की संख्या अधिक

-समस्या निस्तारण को डीएम ने बढ़ाई सुविधा तो बढ़ गई शिकायतें

-पहले अधिकारी और तहसील दिवस में लगाते थे फरियाद, अब चौपाल, जन सुविधा केंद्र भी है एक ऑप्शन

abhishek.singh@inext.co.in

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'ज्यों-ज्यों इलाज किया मर्ज बढ़ता ही गया'। कुछ ऐसा ही हाल पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस का भी है। जहां नए डीएम पब्लिक की समस्याओं को कम करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, वहीं शिकायतें हैं कि बाढ़ के पानी की तरह बढ़ती जा रहीं हैं। सुनवाई में तेजी और कड़ी कार्रवाई के बावजूद शिकायतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। वजह क्या है? ये तो रिसर्च का टॉपिक है लेकिन आंकड़ें बताते हैं कि बनारस में हर माह औसत सात हजार शिकायतें पंजीकृत हो रही हैं। हर महीने लगभग इतनी ही नहीं शिकायतें दर्ज हो रही हैं।

चौपाल से लेकर फोन तक

वैसे तो यूपी के हर शहर में समस्याएं हैं। लेकिन जहां खुद प्रधानमंत्री सांसद हो, वहां समस्याओं की बाढ़ हैरान करती है। प्रदेश सरकार का भी फोकस यहां है। यही वजह है कि अधिकांश अफसर अपने चैम्बर में सुबह दस बजे से दोपहर क्ख् बजे तक जनता से मिल रहे हैं। साथ ही तहसील दिवस पर समस्याएं सुनी जा रही हैं। नए डीएम ने जन चौपाल और जन सुविधा केंद्र की भी व्यवस्था कर दी है। हर अधिकारी को एक सप्ताह के अंदर शिकायत का निस्तारण करने का आदेश दिया। इसके बावजूद शिकायतों की संख्या सुरसा का मुंह साबित हो रही है। चौपाल में जहां डेली सौ से अधिक लोग अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं, वहीं जन सुविधा केंद्र पर क्फ्0 से अधिक लोगों के फोन आ रहे हैं।

वर्जन-

पब्लिक की समस्याओं के निस्तारण के लिए चौपाल, जन सुविधा केंद्र जैसी व्यवस्था की गई है। सभी समस्याओं का निस्तारण किया जा रहा है। समस्याएं खत्म होंगी तो शिकायतों के आने का सिलसिला भी कम हो जाएगा।

विजय किरन आनंद, डीएम

हर कहीं बस प्रॉब्लम ही प्रॉब्लम

केंद्र/माध्यम शिकायतें अवधि

जन सुविधा केंद्र - क्8ब्8 (क्ब् दिन में)

जन चौपाल - 7फ्भ् (पांच दिन में)

तहसील दिवस - क्ख्90 (एक दिन)

जनता से मुलाकात - ख्भ्0 (एक दिन)

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कहां कहां हो रही है समस्याओं की सुनवाई

क्। जन सुविधा केंद्र

डीएम की पहल पर कलेक्ट्रेट परिसर में शुरू किए गए जन सुविधा केंद्र में फोन नंबर 0भ्ब्ख्-ख्भ्08ब्म्ब् पर सुबह छह बजे से रात दस बजे तक शिकायत कर सकते हैं।

ख्। जन चौपाल

पब्लिक को सरकारी दफ्तर का चक्कर न काटना पड़े इसके लिए डीएम रोजाना अलग-अलग एरिया में चौपाल लगा रहे हैं। जहां हर तरह की शिकायत की जा सकती है।

फ्। तहसील दिवस

शासन की योजना के तहत हर दूसरे और चौथे मंगलवार को तहसील पर तहसील दिवस का आयोजन होता है। यहां कोई भी अपनी समस्या रख सकता है।

ब्। जनता से मुलाकात

हर प्रशासनिक अफसर रोजाना सुबह दस बजे से दोपहर क्ख् बजे तक अपने चैम्बर में जन सुनवाई करते हैं।

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मातहत सुनते नहीं इसलिए शिकायतें रुकती नहीं

जमीन-पानी बना जिंदगी का दुश्मन

-शहर में पानी और गांव में है जमीन संबंधी विवाद से जुड़ी शिकायतों की है भरमार

- अफसर तो शिकायत सुन लेते हैं लेकिन नीचे के कर्मचारी दौड़ते हैं जनता को

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जमीन और पानी भी क्या कभी जिंदगी के दुश्मन बन सकते हैं? शायद जवाब होगा नहीं। पर बनारस में ये दो चीजें सबसे आम समस्या के रूप में सामने आ रही हैं। प्रशासन लेवल पर शिकायतों की सुनवाई में यही सामने आ रहा है कि शहर के लोग शुद्ध पेयजल के लिए जूझ रहे हैं। जबकि ग्रामीण एरिया के लोग जमीन संबंधी विवाद को लेकर थाने और अफसरों के यहां चक्कर काट रहे हैं।

इन शिकायतों ने बढ़ाया सिरदर्द

बनारस में क्राइम संबंधी शिकायत प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में कम है। यहां बदमाशों का खौफ नहीं बल्कि छोटी-छोटी समस्याओं से पब्लिक ज्यादा परेशान है। जन शिकायतों के लिए जितने भी फोरम हैं उसमें शहर क्षेत्र से पानी, सीवर और बिजली समस्याएं ज्यादा आ रही हैं। दूसरी ओर रूरल एरिया में महंगी जमीन पर पड़ती भू माफिया और बिल्डर की नजरों ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। इसके बाद आपसी विवाद से जुड़ी शिकायतें भी आम हैं।

सुलझाने की बजाय उलझा रहे

ज्यादातर शिकायतों की पड़ताल में यही सामने आ रहा है कि जन सुनवाई में अफसरों की ओर से दिए गए निर्देशों का उनके ही मातहत ठीक ढंग से पालन नहीं कर रहे। इतना ही नहीं, पब्लिक जब समस्या लेकर थाने-चौकी पर, लेखपाल के यहां, जेई के यहां, सरकारी दफ्तरों में बैठे बाबुओं के यहां पहुंच रही है तो वो भी उनकी समस्या सुलझाने की बजाय उलझा ही रहे हैं। नजीता जन शिकायतों से जुड़े फोरम जैसे तहसील दिवस, जन चौपाल, जन सेवा केंद्र आदि में शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

ये शिकायतें आती हैं अधिक

-जमीन पैमाइश विवाद

-जमीन पर अवैध कब्जा

- दूषित पेयजल आपूर्ति

- शुद्ध पानी की अनुपलब्धता

- बिजली कटौती व लो वोल्टेज

- सीवर की समस्या

- घरेलू विवाद/बंटवारा

- महिला हिंसा व छेड़खानी

- खाद्यान्न न मिलना

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एक माह पहले कुछ यूं था शिकायतों का हाल

शिकायत - पहले - अब

जन सुविधा केंद्र - 00 - क्फ्0

जन चौपाल - 00 - क्0भ्

तहसील दिवस - 800 से 900 - क्ख्00 से अधिक

जनता से मिलना - क्0 से ख्0 - ख्भ् से अधिक

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कॉलिंग

शहर में बिजली, पानी, सड़क, सीवर जैसी अनेक समस्याएं हैं। जिनके बारे में जिला प्रशासन से कहा जाता है। मगर सिर्फ आश्वासन मिलता है, कार्रवाई बहुत कम होती है।

सोमनाथ विश्वकर्मा, व्यापारी नेता

आश्वासन से अधिक जिला प्रशासन अगर कार्रवाई करें तो कई समस्याओं से जल्द निजात मिल जाए। पब्लिक की शिकायत पर कई अधिकारी सिर्फ कागजी कार्रवाई पूरी करते रहते हैं, हकीकत में सुधार का कोई प्रयास नहीं करते।

रत्नाकर वर्मा, व्यापारी नेता

शहर हो या गांव, सभी जगह छोटी-छोटी समस्याएं हैं। मगर प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण समस्या का स्तर बढ़ता जा रहा है। अगर हर छोटी शिकायत पर आश्वासन के बजाए कार्रवाई की जाए तो काफी राहत मिले।

संजीव सिंह बिल्लू, व्यापारी नेता