-वक्त से पहले काम पूरा करने के लिए जाने जाते हैं मेट्रोमैन

-उत्कृष्ट कार्यो को देखते हुए मिल चुका है पद्श्री व पद्मभूषण सम्मान

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VARANASI

बनारस जैसे शहर में कठिनाइयों के बाद भी मेट्रो की शुरुआत करने का जिम्मा उठाने वाले श्रीधरन टफ से टफ काम को चुटकी में निबटाने के लिए जाने जाते हैं। अपनी इसी विशेषता की वजह से उन्होंने उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक भारत में सार्वजनिक परिवहन के चेहरे को बदल कर रख दिया। यही वजह है कि आज दुनिया उनको मेट्रोमैन के नाम से जानती है। सरकार ने उनके उत्कृष्ट कार्यो को देखते हुए पद्श्री व पद्मभूषण सम्मानों से नवाजा।

90 दिन का काम ब्भ् दिनों में

टाइम पत्रिका ने तो उन्हें ख्00फ् में पूरी दुनिया में हीरो बना दिया। मेट्रोमैन ने जो भी काम अपने हाथ में लिया उसे समय से पहले अंजाम तक पहुंचा दिया। इसका एक उदाहरण है क्9म्फ् में रामेश्वरम व तमिलनाडु को जोड़ने वाला पम्बन पुल। पुल टूट जाने पर रेलवे ने उसके पुर्ननिर्माण के लिए छह महीन का समय तय किया लेकिन उस क्षेत्र के इंचार्ज ने ये अवधि तीन महीने कर दी। जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी गई और श्रीधरन ने मात्र ब्भ् दिनों में पुल चालू करा दिया। भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक कोंकण रेलवे परियोजना जिसके 7म्9 किलोमीटर के दायरे में 8ख् किलोमीटर में 9फ् सुरंगें और क्भ्0 पुल जैसे कठिन कार्य को उन्होंने समय से पूरा कर राष्ट्र को समर्पित कर दिया। भारत की पहली मेट्रो कोलकाता में उन्हीं की देन है। दिल्ली मेट्रो का तोहफा भी उन्होंने ही दिया।