- रियो ओलम्पिक में मेडल के लिए बुल्गारिया में पसीना बहा रहा छोरा गंगा किनारे वाला

- घर में चल रही शादी की तैयारी और बेटे को सपने में दिख रहा सिर्फ सोना

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VARANASI

हर मां-बाप का सपना होता है बेटे के लिए बहू लाना। मगर एक बेटा ऐसा भी है जिसने ठान लिया है कि पहले वो ओलम्पिक में दांव-पेंच दिखाकर देश के लिए सोना यानि गोल्ड मेडल लाएगा। उसके बाद ही घर में दुल्हन लाएगा। इस बेटे का नाम है नरसिंह यादव जिसने रियो ओलम्पिक (ब्राजील) के 7ब् केजी वेट रेसलिंग के लिए इंडियन टीम में क्वालीफाई किया है। मूलत: बनारस के चोलापुर स्थित संदहा गांव के निवासी नरसिंह इन दिनों बुल्गारिया में चल रहे इंडियन रेसलिंग टीम के ट्रेनिंग कैम्प में पसीना बहा रहे हैं। आई नेक्स्ट ने फोन पर नरसिंह से तैयारियों के बाबत बात की।

ओलंपिक में मेडल के लिए क्या खास तैयारी कर रहे हैं आप?

-ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की मेरी पूरी कोशिश है। इसके लिए कड़ी प्रैक्टिस कर रहा हूं। अपने फेवरेट दांव लगाने से अधिक अपोजिट पहलवान के दांव पर कैसे पलटवार करना है, इसकी प्रैक्टिस कोच साहब की देखरेख में कर रहा हूं।

लंदन ओलंपिक में मेडल से चूक गए थे, इस बार?

-लंदन ओलंपिक के समय मेरी तैयारी में कुछ कमी थी। जिसे इस बार पूरी तरह दूर कर लिया हूं। ओलंपिक को लेकर ही पिछले दो साल से लगातार प्रैक्टिस कर रहा हूं। इस बार मेडल जरूर आएगा।

सुशील कुमार का ओलंपिक जाने को लेकर कोर्ट जाने पर क्या कहेंगे?

-मैं पहलवान हूं। मुझे नहीं पता कि अभी मेरे पीछे क्या चल रहा है। मैं सिर्फ अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान दे रहा हूं। मैंने ओलम्पिक के लिए क्वॉलीफाई किया है और कुश्ती संघ ने मुझे परमीशन दी है, तभी मैं इस ट्रेनिंग कैम्प में हूं। मेरा ध्यान सिर्फ तैयारी और मेडल जीतने पर है।

घर पर आपकी शादी की जोर-शोर से तैयारी चल रही है?

-बेटे की शादी हर मां-बाप का सपना होता है। फिलहाल मेरा ध्यान सिर्फ ओलंपिक में मेडल जीतने का है। मेरे लिए परिवार से बढ़कर देश है। देश की शान तभी बढ़ेगी, जब मैं ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर वापस लौटूं।

बुल्गारिया में कैंप की कोई खास वजह?

बुल्गारिया में मौसम और टेंप्रेचर रियो की तरह ही है। ऐसे में यहां प्रैक्टिस से हमें रियो ओलंपिक में बाउट के दौरान प्रॉब्लम नहीं होगी। इस कैम्प में ओलंपिक को क्वालीफाई करने वाले विभिन्न वेट कैटेगरी के आठ भारतीय पहलवान हैं।

नाम: नरसिंह यादव

पिता: पंचम यादव

मां: भूलना देवी

जॉब: महाराष्ट्र पुलिस में डीएसपी

अचीवमेंट्स:

क्। नई दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल

ख्। मेलबर्न में कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल

फ्। लॉस वेजल्स में व‌र्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रांज मेडल

ब्। इंच्योन में एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल

भ्। दोहा में एशियन चैम्पियनशिप में ब्रांज मेडल

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किसान का बेटा है, गांव से निकला है

ओलंपिक में इंडिया को रिप्रेजेंट करने वाला महाराष्ट्र पुलिस में डीएसपी नरसिंह पंचम यादव बनारस के चोलापुर ब्लॉक स्थित खरदहां गांव के निवासी हैं। पिता पंचम यादव किसान हैं और मां भूलना देवी घरेलू महिला। गांव के ही एक छोटे से अखाड़े से नरसिंह ने अपने भाई भाई विनोद के साथ कुश्ती के दांवपेंच सीखा और जल्द ही बड़े पहलवानों को पटखनी देनी शुरू कर दी। बाद में नरसिंह अपने भाई के साथ महाराष्ट्र चले गए और आगे की तैयारी भाई की देखरेख में वहीं शुरू की। सुविधा मिली तो नरसिंह ने नए-नए रिकार्ड बनाना शुरू कर दिया। नतीजा अब रियो ओलंपिक में वह देश के सबसे बड़े पहलवान सुशील कुमार के स्थान पर 7ब् केजी वेट में इंडिया को रिप्रेजेंट कर रहे हैं। इस मुकाबले तक पहुंचने के लिए नरसिंह ने व‌र्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रांज मेडल भी जीता।

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ओलंपिक में पूर्वाचल के दो सितारे

रियो ओलंपिक में इस बार शामिल हो रहे भारतीय खिलाडि़यों में एक खिलाड़ी और एक कोच पूर्वाचल की मिट्टी से जुड़े हैं। खास बात ये है कि दोनों ही कुश्ती से जुड़े हैं। खिलाड़ी के तौर पर जहां बनारस के नरसिंह पंचम यादव 7ब् केजी वेट में इंडिया की ओर से खेलेंगे, वहीं ग्रीको रोमन कुश्ती टीम के कोच के रूप में गोरखपुर के चंद्रविजय सिंह टीम में शामिल होंगे। चंद्रविजय सिंह इससे पहले भी कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट में इंडिया टीम के कोच के तौर पर भाग ले चुके हैं।