-यूपी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में आए निर्माता-निर्देशकों ने प्रदेश सरकार से मांगा सहयोग

-कहा वेब सीरीज में भी बड़े स्टार कास्ट व बजट की होती है जरूरत

VARANASI

नामी-गिरामी फिल्म मेकर यूपी में फिल्मों के साथ ही वेब सीरीज बनाना चाहते हैं। लेकिन उन्हें सरकार का सहयोग चाहिए। सोमवार को ऐसे विचार यूपी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में आए निर्माता-निर्देशक सावन कुमार, नरेश मल्होत्रा, तिग्मांशु धूलिया व अभिनेता अरुण बक्शी ने बनारस क्लब में मीडिया से बातचीत में रखे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार सब्सिडी दे रही है। ऐसे में गुजारिश बस इतनी सी है कि फिल्मों की तरह वेब सिरीज को भी सरकार सब्सिडी देने पर विचार करे। क्योंकि इसमें भी फिल्मों की तरह बड़े बजट और लंबे-चौड़े स्टार कास्ट की जरूरत होती है।

काशी है प्रेरणा स्त्रोत

निर्माता-निर्देशकों ने काशी को प्रेरणा का स्त्रोत बताया। कहा भारत ही नहीं शायद दुनिया में पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन ओपेन थिएटर में किया गया। काशी में गंगा किनारे किया गया यह प्रयोग आमजन तक पहुंचने के अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रहा। बनारस में जिस ओर भी कैमरा घुमा लें आकर्षक सीन मिल जाएगा। इसके नजदीक फिल्म सिटी बन जाने से स्थानीय कलाकारों के साथ ही यहां के बाजार को परवाज मिलेगा। सरकार कोशिश करे, हम निर्माता-निर्देशक हर संभव मदद को तैयार हैं। इस अवसर पर गीतकार श्रवण कुमार, निर्माता-निर्देशक कृष्णा मिश्रा, एस कुमार मोहन, बी सुभाष, डेविड कैपोर, अनिल शर्मा, सुनील सिरवैया सहित अभिनेत्री कीर्ति अडारकर, कवि महेश दुबे आदि थे।

कारोबार हो गई फिल्में

सावन कुमार ने कहा कि फिल्म मेकिंग एक कला है। पहले निर्माता-निर्देशक पर ही पूरी फिल्म की जिम्मेदारी होती थी। इससे हमारे घर-परिवार भी पल जाते थे। मगर कॉरपोरेट घरानों के दखल ने इसे विशुद्ध कारोबार बना दिया है। अधिकतर फिल्म अब वे लोग बना रहे हैं जिन्हें फिल्मों का ज्ञान ही नहीं हैं। यही वजह है कि अच्छी फिल्में अब कम ही बन पा रही हैं। दमदार स्क्रिप्ट, उम्दा संगीत, कुशल अभिनय, बेहतर निर्देशन, आकर्षक सिनेमैटोग्राफी आदि किसी फिल्म को यादगार बनाते हैं, जो वर्षो तक दर्शकों को याद रहती हैं।

फिल्मों की जवाबदेही

अभिनेता अरुण बक्शी ने कहा कि अधिकतर भारतीय फिल्में परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती हैं। इनकी मॉनीट¨रग के लिए सेंसर बोर्ड है। मगर वेब सीरीज के लिए कोई 'लाइन ऑफ कंट्रोल' नहीं है। इसमें गाली-गलौच, सेक्स सहित समाज की तमाम विकृतियां मिलेंगी, जिन्हें परिवार के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता है।