-बीएचयू के ट्रामा सेंटर कैंपस में बोनमैरो व मल्टी आर्गन ट्रांसप्लांट एवं स्टेम सेल रिसर्च सेंटर तैयार

-अगले तीन माह में शुरू हो सकता है संचालन, लगाए गए सभी जरूरी अत्याधुनिक उपकरण

बनारस व आसपास के जिले के लोगों को लिवर, किडनी और अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट और बोन मैरो के साथ स्टेम सेल थेरेपी के लिए देश के मेट्रो सिटीज या दिल्ली, मुंबई के हाई-फाई अस्पतालों में जाकर जेब ढीली नहीं करनी होगी। क्योंकि यह सुविधा बनारस में ही मिलने जा रही है। बीएचयू के ट्रामा सेंटर कैंपस में बोन मैरो ट्रांसप्लांट एवं स्टेम सेल रिसर्च सेंटर तैयार कर लिया गया है। इस सेंटर में सभी जरूरी अत्याधुनिक उपकरण भी लग चुके हैं। बस देर है तो विशेषज्ञ डॉक्टर्स और कर्मचारियों के नियुक्ति की। अगले तीन महीने में इसके चालू हो जाने की उम्मीद है।

35 करोड़ है सेंटर की लागत

केन्द्र सरकार ने पूर्वाचल का एम्स कहे जाने वाले बीएचयू हॉस्पिटल को पूर्वोत्तर भारत का मेडिकल हब बनाने का प्लान बनाया है। इसके लिए यहां महामना कैंसर अस्पताल, सुपर स्पेशिएलिटी कॉम्प्लेक्स, मैटरनल चाइल्ड हेल्थ सेंटर, न्यूबॉर्न केयर यूनिट, मानसिक अस्पताल के साथ ही यहां 35 करोड़ की लागत से बोनमैरो ट्रांसप्लांट और स्टेम सेल सेंटर स्थापना की गई है। इसके शुरू हो जाने पर यहां बोन मैरो के साथ ही मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध होगी। खास बात ये भी हैं कि इसी भवन में बाईपास सर्जरी भी की जाएगी।

ब्लड कैंसर के इलाज में बोनमैरो

ब्लड कैंसर का बोनमैरो ट्रांसप्लांटेशन से इलाज संभव है। एक्यूटल्यूमीनिया और मल्टीपल माइलोमा कैंसर में जब कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से इलाज संभव नहीं होता है तब बोनमैरो का उपयोग किया जाता है। बोनमैरो हड्डियों के अंदर के मुलायम और वसायुक्त टिशू होते हैं, जिनसे रक्त कोशिकाएं बनती हैं। वहीं स्टेम सेल ऐसी कोशिकाएं होती है जो विभाजित होने के बाद फिर से पूर्ण रूप धारण कर लेती हैं। इनसे शरीर के किसी अंग की कोशिका तैयार की जा सकती है। इसमें आनुवंशिक रूप से जुड़े परिवार के सदस्य से स्टेम सेल निकालकर ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है।

सुपर स्पेशिएलिटी कॉम्प्लेक्स भी रेडी

एसएस हॉस्पिटल के अधिकारियों की माने तो बोनमैरो स्टेमसेल ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू करने की तैयारियां चल रही है। संसदीय कार्यालय पीएमओ के अधिकारियों के साथ बैठक में स्टाफ की नियुक्ति पर सहमती बनी है। मैन पॉवर मिलते ही सेंटर शुरू हो जाएगा। इसी के साथ 200 करोड़ की लागत से सुपर स्पेशिएलिटी कॉम्प्लेक्स भी उद्घाटन के लिए तैयार है।

पहला मदर मिल्क बैंक खुलेगा

मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट व स्टेम सेल रिसर्च सेंटर के अलावा यहां 25 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हो चले मॉडर्न मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ (एमसीएच) विंग में प्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक खुलेगा। इस बैंक के खुलने से किसी भी बच्चे को मां के दूध से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। ब्लड बैंक की तर्ज पर मिल्क बैंक में डोनर से दूध एकत्र किया जाएगा। माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट के बाद दूध को कांच की बोतलों में 30 मिलीमीटर की यूनिट बनाकर 0.20 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में रखा जाएगा। इससे छह माह तक दूध सुरक्षित रहेगा।

सेंटर ऑफ ऐक्सिलेंस

बीएचयू के 100 बेड के मॉडर्न मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ (एमसीएच) विंग को बनारस के पहले सेंटर ऑफ ऐक्सिलेंस का रूप दिया जाएगा। एमसीएच विंग की इंचार्ज प्रो। मधु जैन के मुताबिक यहां नि: संतान दंपतियों के इलाज के लिए एम्स की तरह आईवीएफ सेंटर के साथ कंगारू केयर यूनिट भी होगी। जिसमें उन बच्चों को रखा जाएगा, जिनका जन्म के समय कम वजन होता है।

बोनमैरो स्टेमसेल ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू करने की तैयारियां तेजी से चल रही है। अधिकारियों के साथ हुई बैठक में स्टाफ की नियुक्ति पर सहमती बनी है। मैन पॉवर मिलते ही सेंटर शुरू हो जाएगा। इसमें अभी दो से तीन माह लग सकता है।

-प्रो। एसके माथुर, एमएस-एसएस हॉस्पिटल बीएचयू