--BHU के VC ने अमेरिका में ग्लोबल एलुमनी मीट को किया संबोधित

-पुरातन छात्रों को किया आह्वान, BHU की बेहतरी के लिए आयें आगे

VARANASI

अंग्रेजों ने भारत में यूनिवर्सिटीज की स्थापना अपने स्वार्थ के लिए पढ़े लिखे कामगार पैदा करने के उद्देश्य से किया। जबकि बीएचयू की स्थापना राष्ट्र निर्माण के महान उद्देश्य से की गयी। महामना ने कभी भी सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया। वह स्वयं में भारत की अभिव्यक्ति थे। ये बातें बीएचयू के वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने बीएचयू के शताब्दी वर्ष समारोह के अंर्तगत अमेरिका के कैलिफोर्निया में आयोजित ग्लोबल एलुमनी मीट के दौरान कहीं। वह यहां बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे।

किया सम्मानित भी

वीसी ने इस मीट में कहा कि बीएचयू की स्थापना सिर्फ रोजगारपरक शिक्षा के लिए नहीं बल्कि उस ज्ञान के लिए की गयी जो एक नये बदलते भारत का निर्माण करने में सहायक हो। बीएचयू पिछले सौ साल से महामना के उन्हीं महान विचारों के साथ मानव जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित बीएचयू के पुरातन छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने नये विचारों के साथ आगे आयें और बतायें कि कैसे बीएचयू वर्तमान की चुनौतियों का सामना करते हुए अपने शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बना सकता है। कहा कि यूनिवर्सिटी महत्वपूर्ण है लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी का माहौल वहां की संस्कृति है। उन्होंने कुछ पुरातन छात्रों को सम्मानित किया। इस अवसर पर एसयूएनआई, बफैलो के प्रेसिडेंट प्रो। सतीश त्रिपाठी, लॉरेंस टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट प्रो। वीरेन्द्र कुमार मुदगिल, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के विवेक अग्रवाल, शिव नारायण आदि विशिष्ट पुरातन छात्र उपस्थित थे।