केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के लोग सुबह से ही शहर भर में घूम घूम कर दुकानें बंद कराते रहे। कुछ ने दुकानें बंद की तो बहुत से इलाकों में दुकानें खुली रहीं। कबीर चौरा, लहुराबीर, सिगरा, अर्दलीबाजार आदि इलाकों की दवा दुकानें खुली रहीं। वहीं लंका में कुछ ने अपनी दुकानें बंद रखीं। कई इलाकों में दुकानें खुली रहने के चलते लोगों को अधिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ी। हड़ताल पर रहे संगठनों ने इस बंदी से लगभग छह करोड़ रुपये के कारोबार प्रभावित होने का दावा किया है.
हुआ सभा का आयोजन
सप्तसागर दवा मंडी में सभा का आयोजन हुआ। इसमें वक्ताओं ने कहा कि रिटेल मेडिसिन शॉप्स पर फार्मासिस्ट की आवश्यकता ही नहीं है। आज के समय में डॉक्टर्स दवाएं लिखते हैं और उन्हें पढ़ कर सिर्फ पेशेंट्स को देना भर होता है। यह काम कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति कर सकता है। वक्ताओं ने कहा कि सरकारी आदेश का पालन करने से साठ हजार से अधिक दवा की दुकानें बंद हो जायेंगी और दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो जायेगा। सभा में मेडिसिन बिजनेस से जुड़ी अन्य समस्याओं जैसे नई दवा नीति में दवा विक्रेताओं का मुनाफा यथावत रखने, अन्यायपूर्ण दवा कानून संशोधन 2008 में सुधार आदि मांगों पर भी चर्चा हुई। सभा में मुख्य रूप से अंजनी कुमार गुप्त, संदीप चतुर्वेदी, शोभनाथ सोनकर, रविकांत जायसवाल, मुस्तफा, विजय अस्थाना, संजय प्रजापित, गोपाल पांडेय, अरविंद, सुजीत, रतीश श्रीवास्तव आदि ने अपने विचार व्यक्त किये.
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के लोग सुबह से ही शहर भर में घूम घूम कर दुकानें बंद कराते रहे। कुछ ने दुकानें बंद की तो बहुत से इलाकों में दुकानें खुली रहीं। कबीर चौरा, लहुराबीर, सिगरा, अर्दलीबाजार आदि इलाकों की दवा दुकानें खुली रहीं। वहीं लंका में कुछ ने अपनी दुकानें बंद रखीं। कई इलाकों में दुकानें खुली रहने के चलते लोगों को अधिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ी। हड़ताल पर रहे संगठनों ने इस बंदी से लगभग छह करोड़ रुपये के कारोबार प्रभावित होने का दावा किया है।
हुआ सभा का आयोजन
सप्तसागर दवा मंडी में सभा का आयोजन हुआ। इसमें वक्ताओं ने कहा कि रिटेल मेडिसिन शॉप्स पर फार्मासिस्ट की आवश्यकता ही नहीं है। आज के समय में डॉक्टर्स दवाएं लिखते हैं और उन्हें पढ़ कर सिर्फ पेशेंट्स को देना भर होता है। यह काम कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति कर सकता है। वक्ताओं ने कहा कि सरकारी आदेश का पालन करने से साठ हजार से अधिक दवा की दुकानें बंद हो जायेंगी और दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो जायेगा। सभा में मेडिसिन बिजनेस से जुड़ी अन्य समस्याओं जैसे नई दवा नीति में दवा विक्रेताओं का मुनाफा यथावत रखने, अन्यायपूर्ण दवा कानून संशोधन 2008 में सुधार आदि मांगों पर भी चर्चा हुई। सभा में मुख्य रूप से अंजनी कुमार गुप्त, संदीप चतुर्वेदी, शोभनाथ सोनकर, रविकांत जायसवाल, मुस्तफा, विजय अस्थाना, संजय प्रजापित, गोपाल पांडेय, अरविंद, सुजीत, रतीश श्रीवास्तव आदि ने अपने विचार व्यक्त किये.
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