वाराणसी (ब्यूरो)। गुरुवार की सुबह आठ बजे से 10 बजे तक फार्मासिस्टों ने कार्य नहीं किया। इस दौरान अस्पताल परिसर से लेकर पर्ची काउंटर तक लंबी लाइन लगी रही। दस बजे के बाद काउंटर खुला तो कोविड, रेबीज व अन्य टीका लगवाने के अलावा ओपीडी के पर्चे बनने शुरू हुए। तब तक मरीजों की लाइन काफी ज्यादा हो चुकी है। महिला और पुरुष की लाइन अलग होने के बावजूद 250 से 350 लोग कतार में घंटों लगे रहे। इस दौरान अस्पताल परिसर में भीड़ अधिक होने से कोविड गाईडलाइन की धज्जियां उड़ती रहीं।

इलाज से पहले पर्ची की परेशानी
गुरुवार को मंडलीय हॉस्पिटल ओपीडी में इलाज के लिए अल सुबह से ही सैकड़ों मरीज और उनके परिजन पहुंचने लगे थे। उधर, परिसर में आठ बजे से डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन की हड़ताल 10 बजे तक जारी रही। ऐसे इलाज से पहले पर्ची के लिए मारा-मारी देखने को मिली। कई घंटो तक लोग पर्ची के लिए जूझते रहे।

पर्ची बनी तो इंजेक्शन के लिए संघर्ष
अस्पताल में घंटों कतार में लगकर लोग इलाज के लिए पर्ची कटवाकर जैसे ही रेबीज इंजेक्शन लेने कक्ष में गए तो वहां रजिस्ट्रेशन और वैक्सीन लगाने वाले कर्मी ही गायब मिले। मरीजों के काफी हो-हल्ला मचाने पर करीब आधे घंटे बाद स्टाफ के आने पर इंजेक्शन लगना शुरू हो सका।

मुझे रेबीज इंजेक्शन लगवानी थी। दो घंटे लाइन में लगी रही। महिलाओं की लाइन में कुछ पुरुष आगे जाकर पर्ची कटा रहे थे। उन्हें कोई कुछ बोलने वाला नहीं था। व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं दिखती।
साक्षी, पितरकुंडा

अस्पताल परिसर की निगरानी नहीं होने से आस-पास के ऑटो चालक अपने वाहन को बेरोक-टोक यहां पार्क कर घर चले जाते हैैं। इससे इलाज के लिए आए नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
राकेश वर्मा, वाराणसी

मंडलीय अस्पताल में मरीजों की हमेशा से भीड़ रहती है। अस्पताल प्रबंधन को लोगों की सुविधा के लिए कम से कम पांच काउंटर बनाने चाहिए। आधे से ज्यादा वक्त तो लाइन में ही कट जाता है।
आबिद, पीलीकोठी

मैैं दो घंटे तक लाइन में लगा रहा। लोग आगे जाकर पर्ची कटा रहे थे। इसके चलते लाइन आगे नहीं बढ़ रही थी। यहां पर्ची काउंटर की जिम्मेदारी एक सिपाही के भरोसे नहीं संभाली जा सकती। कम से कम तीन सुरक्षाकर्मी लगाएं जाए।
पंकज पाल, चौकाघाट

अस्पताल में आए सभी मरीजों का इलाज किया जा रहा है। फार्मासिस्ट की स्ट्राइक से 10 बजे तक थोड़ी असुविधा हुई। काउंटर पर अतिरिक्त सिपाही की तैनाती के लिए पत्र भेजा जाएगा।
डॉ। प्रसन्न कुमार, एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल, कबीरचौरा