- बीट सिपाहियों की चौपाल और समाधान दिवस का नहीं है कोई अता पता

- कागजों और थानों के बाहर लगे बोर्ड में ही सिमटा पूरा पुलिसिया प्लान

प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद ये उम्मीद थी कि पब्लिक की सुनवाई सरकारी ऑफिसेज संग थानों पर आसानी से होगी। इसके लिए बनारस में अलग से प्लान भी तैयार हुआ। गांव देहात में थानों की मनमानी को रोकने और बीट सिपाहियों को उनकी बीट पर मजबूत करने के लिए बीट चौपाल की शुरुआत हुई। इतना हीं नहीं थानों पर होने वाले थाना दिवस का नाम भी समाधान दिवस कर हर माह के दूसरे शनिवार को करने का आदेश हुआ। जिसके बाद हर थाने के बाहर बोर्ड लगाकर पब्लिक को जागरुक भी किया जाने लगा। लेकिन पुलिस वालों की सुस्ती के कारण ये सारी व्यवस्था सिर्फ कागज और बोर्ड में ही सिमटकर रह गई है। हालात ये है कि मारपीट हो या जमीन का कोई विवाद इन छोटे-छोटे मामलों के निस्तारण के लिए हर कोई सीधे कप्तान यानि एसएसपी के ऑफिस के चक्कर काट रहा है।

काट रहे चक्कर

पब्लिक को सीधे थानों या फिर उनके एरिया में गश्त करने वाले सिपाहियों से कनेक्ट कर मामले के निस्तारण के लिए शुरू हुई बीट चौपाल और समाधान दिवस का पूरा कांसेप्ट ही फेल हो चला है। बीते दिनों अलग अलग थानों से अटैच बीट सिपाही अपने अपने बीट एरिया में चौपाल लगाते थे। वहीं मंथ के सेकेंड शनिवार को थानों पर होने वाले समाधान दिवस पर भी वाद विवाद को ऑन द स्पॉट सॉल्व किया जाता था। क्षेत्र के मानिंद संग मिलकर होता है समस्या का समाधान होता था। लेकिन इन दोनों व्यवस्थाओं के बंद होने के बाद शिकायती पत्रों का लोड एसएसपी ऑफिस में बढ़ गया है। हाल ये है कि डेली 100 से ज्यादा शिकायती पत्र कप्तान के यहां सीधे पहुंच रहे हैं।

बीट सिस्टम से था फायदा

- 04 सिपाही हर बीट पर करते हैं वर्क

- 02 चौपाल लगाते थे हफ्ते में

- 20 से 25 शिकायतें आती थी एक बार में

- 02 माह चला चौपाल सिस्टम

- 5000 से ज्यादा आई शिकायतें

- 2000 से ज्यादा मामलों का हुआ निस्तारण

- 01 महीने से ज्यादा वक्त से बंद बंद

बढ़ गया साहब का लोड

- 3200 से ज्यादा शिकायतें हर महीने पहुंच रही हैं एसएसपी के यहां

- 1500 के करीब शिकायतों का हर मंथ हो रहा है निस्तारण

- 1000 शिकायतें एसपी सिटी और एसपीआरए के यहां पहुंच रही हैं हर मंथ

बीट व्यवस्था हो या फिर समाधान दिवस इसको और प्रभावी बनाने को कहा गया है। निर्धारित वक्त पर ये आयोजन होता है। इसमे लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई भी होती है।

बी महापात्रा, एडीजी जोन