- साक्षरता के लिये खर्च हो चुके हैं अरबों रुपये लेकिन आज तक पूर्ण साक्षर नहीं बन सका बनारस

- सर्व शिक्षा की राजधानी में आज भी हजारों लोग हैं अंगूठा छाप

VARANASI

अपने बनारस में लोगों को साक्षर बनाने के लिये कई दशक से तमाम योजनाएं चल रही हैं। कभी ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड, कभी साक्षरता अभियान तो कभी सर्व शिक्षा अभियान। लेकिन क्या है इन अभियानों का सच। क्या वास्तव में डिस्ट्रिक्ट के सभी लोग साक्षर हो गए हैं? इस सवाल का जवाब सरकारी एजेंसियों से लेकर समाज को साक्षर बनाने वालों के पास भी नहीं है। इससे भी बड़ा सवाल यह कि लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी संपूर्ण साक्षरता को हम प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। इसके पीछे के कारणों को जब तक सिस्टम समझ नहीं पाएगा तब तक यही हाल रहेगा। एक तरफ निरक्षरों को साक्षर किया जा रहा है तो दूसरी ओर फिर से निरक्षरों की फौज मुंह बाए खड़ी हो जा रही है। यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। वर्तमान में बनारस की टोटल साक्षरता रेशियो 7भ्.म्0 परसेंट है।

करोड़ों बह गए पानी में

बिना पढ़े लिखे लोगों को साक्षर बनाने के लिए पिछले कई दशक से डिस्ट्रिक्ट में कैंपेन चल रहा है। घर से लेकर मोहल्लों तक और गांव से लेकर शहर तक ऐसे लोगों को ढूंढकर उन्हें साक्षर बनाने का काम एक दो साल नहीं बल्कि सालों से हो रहा है। इस पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। बावजूद इसके नतीजा बहुत संतोषजनक नहीं है। सिचुएशन यह है कि अभी भी डिस्ट्रिक्ट में हजारों लोग निरक्षर है। ये ऐसे लोग हैं जिन्हें अपना नाम तक लिखने नहीं आता है। जहां जरूरत होती है, ये अंगूठा ही लगाते हैं। फिर भी डिस्ट्रिक्ट में शिक्षा के नाम पर कैंपेन लगातार संचालित हो रहा है।

हर साल मिल रहे ड्रॉप आउट

सब पढ़ें-सब बढ़ें का स्लोगन लेकर पिछले दो दशक से संचालित सर्व शिक्षा अभियान कब अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा, यह किसी को पता नहीं है। इस कैंपेन पर अब तक व‌र्ल्ड बैंक की मदद से करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। कैंपेन फिर भी जारी है। खास बात यह कि इस अभियान के तहत हर साल हाउस होल्ड सर्वे भी किया जाता है। जिसमें स्कूल न जाने वाले बच्चों को सर्च किया जाता है। डिपार्टमेंट की ओर से एक बार फिर स्कूल न जाने वाले बच्चों को सर्च किया जा रहा है। इसका भी नतीजा जल्द ही सबके सामने होगा।

सिर्फ म्म्.म्9 परसेंट महिलाएं साक्षर

पूर्ण साक्षरता के लिए कमर कसे डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न विभाग तैयार हैं। साल दर साल निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने के लिए विभिन्न तरह के कैंपेन संचालित हो रहे हैं। इतने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट में महज म्म्.म्9 परसेंट महिलाएं ही साक्षर हैं। जबकि 8फ्.77 परसेंट पुरूष साक्षर हैं। इस रेशियो को बढ़ाने के लिए कई सालों से गवर्नमेंट से लेकर डिपार्टमेंट तक कर रहे हैं, लेकिन जिस हिसाब से साक्षरता दर बढ़ना चाहिए नहीं बढ़ पा रहा है।

पूर्ण साक्षरता की राह में रोड़े

- सरकारी योजनाएं लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रही हैं

- सर्व शिक्षा अभियान में भी भारी गड़बड़ी है। रुपये की लूट के चक्कर में ही हकीकत से ज्यादा बच्चे स्कूल में एनरोल्ड दिखाये जाते हैं

- बच्चों की ज्यादा संख्या दिखाकर मिड डे मील, यूनिफॉर्म आदि के बजट में किया जाता है खेल

- उम्रदराज लोगों को साक्षर बनाने का कैंपेन भी अपने मकसद से भटक गया है

-पेपर पर डिस्ट्रिक्ट के सेंट परसेंट बच्चे स्कूल जाते हैं जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है

-हर साल एडमिशन लिए बच्चे घरेलू समस्या के चलते स्कूल छोड़ देते हैं

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जिले में शिक्षा केंद्र

प्राथमिक विद्यालय क्फ्70

जूनियर हाईस्कूल क्ख्7म्

माध्यमिक विद्यालय फ्7भ्

वैकल्पिक शिक्षा केंद्र 0

महाविद्यालय 7म्

स्नातकोत्तर कॉलेज ख्क्

यूनिवर्सिटी 0भ्

साक्षर लोगों का रेशियो

टोटल 7भ्.म्0 परसेंट

पुरूष 8फ्.77 परसेंट

महिला म्म्.म्9 परसेंट