-मंडुआडीह आरओबी को लखनऊ की डिजाइन कंपनी ने दी संजीवनी

-अभी कश्मीर के चिनाब नदी पर पुल का इस टेक्निक से हो रहा वर्क

VARANASI

मंडुआडीह आरओबी का काम रेलवे की सुस्ती से काफी पिछड़ा हुआ था। खुद सीएम ने मौके का जायजा लेकर काम की स्पीड बढ़ाने का निर्देश दिया था। लेकिन काम परवान नहीं चढ़ पा रही था। इसके बाद रेलवे ने लखनऊ की डिजाइन कंपनी से संपर्क साधा। कंपनी ने बो स्ट्रिंग गर्डर टेक्निक से काम स्टार्ट किया और शुक्रवार को दोपहर दो से शाम पांच बजे के बीच म्ब् मीटर स्ट्रिंग गर्डर को खिसका दिया गया। अभी देश में महज एक जगह कश्मीर के चिनाब नदी पर पुल निर्माण में इस टेक्निक से काम किया जा रहा है। कंपनी का दावा है कि इस तरह का आरओबी देश में पहली बार काशी में ही बन रहा है। मसलन, आरओबी के समीप ही मंडुआडीह स्टेशन भी है। इसके अलावा कैंट स्टेशन से दर्जनों ट्रेंस यहीं से गुजरती है। ऐसे में ट्रेनों का ऑपरेशन रोककर आरओबी का काम कराना बेहद मुश्किल लग रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए रेलवे ने इस टेक्निक का सहारा लिया।

इस तरह हुआ ट्रांसफर

म्ब् मीटर लंबे बो स्ट्रिंग गर्डर को दो पावर मोटर विंच की मदद से एक स्पॉन से दूसरे पर स्थानांतरित किया गया। इससे ट्रेनों का ऑपरेशन सामान्य रहा। अब अंतिम दो स्पॉन को जोड़ने के बाद आरओबी को चालू कर दिया जाएगा।

दो फेज में पूरा होगा वर्क

रेलवे अपने हिस्से के आरओबी का काम पिछले तीन महीने से करा रहा है। उसे तीन स्पॉन पर क्ब्0 मीटर लंबे आरओबी को बनाना था। चार-चार मीटर के तीन पिलर होने के चलते दो फेज में म्ब्-म्ब् मीटर का काम ही कराना है। पहले फेज के तहत शुक्रवार को दो स्पॉन के बीच का वर्क खत्म हो गया। अब बचा आधा वर्क क्भ् अगस्त तक खत्म करने का दावा किया जा रहा है।

भ्भ् कर्मियों ने संभाली कमान

गोरखपुर के उप मुख्य अभियंता एनके सिंह व अधिशासी अभियंता राम अवध सिंह के नेतृत्व में भ्भ् कर्मचारियों ने कार्य को अंजाम दिया।

एक नजर आंकड़ों पर

-क्ब्0 मीटर लंबा है आरओबी

-फ् स्पॉन के बीच में जुड़ा होगा आरओबी।

-फ्भ्0 टन एक बो स्ट्रिंग गर्डर का वजन है।

-क्0 मीटर ऊंचा है स्ट्रिंग गर्डर।

-म्00 टन क्षमता वाला है एक स्लैब।