- रामनगर की रामलीला में निर्णायक युद्ध में भगवान राम ने रावण के नाभि में बाण मारकर किया वध

RAMNAGAR: विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के छब्बीसवें दिन गुरुवार को रावण का रणभूमि में मृत्युशैय्या पर शयन और श्रीराम विजय की लीला का मंचन किया गया। विश्व को धर्म की सदा विजय और अधर्म का सदैव नाश होने की शिक्षा देने के उद्देश्य से मानव के रूप में प्रभु श्रीराम ने अधर्मी राक्षसराज रावण का अन्त किया। युद्ध में रावण के मूर्छित होने पर उसे महल में ले जाते देख रावण सारथी को धिक्कारता है। रावण मायावी रूप द्वारा रणभूमि में अपनी सम्पूर्ण शक्ति से श्रीराम पर प्रहार करता है। श्रीराम उसके प्रहार को विफल करते हुए अपने बाणों से रावण का शीश काटते हैं, लेकिन रावण का सिर कटने के बाद फिर से जुड़ जाता है। तब विभीषण श्रीराम को बताते हैं कि रावण के नाभि में अमृत है, जिसकी वजह से रावण पर बाणों का कोई असर नहीं हो रहा है। इसके बाद श्रीराम रावण के हृदय और नाभि पर बाणों से प्रहार करते हैं। हृदय पर बाण लगने से रावण विचलित हो जाता है। वहीं नाभि में बाण लगने से उसके नाभि से अमृत सूख जाता है। इसके बाद तत्काल श्रीराम रावण का दस शीश काट कर राक्षसराज का अंत करते हैं। आकाश से राम-रावण युद्ध का दृश्य देख रहे देवता श्रीराम का जयजयकार करते हुए पुष्प वर्षा करते हैं। प्रतीक स्वरूप लीला स्थल पर रावण का पुतला जलाया जाता है। लीला प्रेमी जयजयकार करते हैं। आरती के बाद आज की लीला का समापन होता है।