वाराणसी (ब्यूरो)। जिले में गंगा ने खतरे की घंटी बजा दी है। उफनाई गंगा के बढ़ते जलस्तर से गंगा के तटीय इलाके के लोगों की बेचैनी भी बढ़ा दी है। इस कारण बनारस के 84 घाटों का आपस में संपर्क तो टूट ही गया है। साथ ही गंगा आरती के लोकेशन में भी परिवर्तन करना पड़ा है। दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा जलस्तर शनिवार शाम 6 बजे तक जल आयोग के मीटर गेज पर 66.22 मीटर दर्ज किया गया, जो इस सीजन के सर्वाधिक तक पहुंच गया। इस तरह वार्निंग लेवल 70.26 व डेंजर लेवल 71.26 मीटर से कुछ ही कम रह गया है। वहीं पुलिस ने नाविकों व नदी किनारे रहने वालों को सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। रामनगर थाना प्रभारी नाव से कोदोपुर, डोमरी, सूजाबाद पहुंचे। लाउड हेलर से एनाउंस करके बताया कि गंगा में नौका संचालन प्रतिबंधित है। तटवर्ती लोगों से कहा कि नदी का जलस्तर बढ़ रहा है, सभी लोग सावधानी बरतें.
लोगों को सता रहा है डर
गंगा में पानी के खतरे के निशान के करीब आने पर लोगों की बैचेनी बढ़ गई है। साथ ही कई परिवर्तन हो गए हैं, लेकिन किनारे रहने वाले लोगों को अब डर लग रहा है। अगर गंगा विशालकाय रूप में आती है तो उनके घरों में पानी घुस जायेगा, जिससे उनकी दैनिक दिनचर्या पूरी तरीके से अस्त व्यस्त हो जाएगी। पिछले सालों में देखा गया है कि गंगा के जलस्तर बढऩे पर लोगो को किस तरह की दुश्वारियों का सामना करना पड़ा था.
मछुआरे व नाविकों के सामने परेशानी
गंगा में जो नाविक सैलानियों को घूमा कर अपनी आमदनी करके अपने परिवार का जीवनयापन करते थे, उनके लिए अब परेशानी हो गई है। शासन ने गंगा के खतरे को देखते हुए चप्पू वाली नावों को गंगा में जाने से बैन कर दिया है। अब सिर्फ मोटर बोट का सफर किया जा रहा है। इसी के साथ नाव की मदद से बाहरी इलाकों के मछुआरों के लिए समस्या शुरू हो गई है.
यजमान और पुरोहित भी परेशान
काशी में गंगा को मोक्षदायिनी के रूप में जाना जाता है। ऐसे में गंगा के किनारे हजारों की संख्या में देश-विदेश से भक्त आते हैं और अपने कर्मकांड को संपन्न करवाते हैं। गंगा जबसे खतरे के निशान पर आई है तभी से इनके पूजा पाठ वाली लोकेशन को चेंज करना पड़ा है। यहां तक कि कई की लोकेशन को विस्थापित करना पड़ा है, जिसके कारण अब उनके सामने जीवनयापन की समस्या शुरू हो गई है.
वरुणा में पहुंचेगा पानी
अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर गंगा का जलस्तर इसी तरीके से लगातार बढ़ता रहा तो बाढ़ आनी तय है। अगर गंगा में बाढ़ आती है तो वरुणा नदी का भी जलस्तर बढ़ेगा। इसके साथ ही शहर के कई इलाकों को अपने चपेट में लेगी, जिसके साथ ही लोगों को काफी परेशानी और नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
गंगा किनारे खतरे वाले इलाके
नगवा, सामनेघाट, छित्तूपुर, अस्सी, शिवाला
वरुणा किनारे खतरे वाले इलाके
कोनिया, कोईराजपुर, इमिलियाघाट, चमांव, अहिरान, मजीदिया घाट
ये बोले नाविक व पार्षद
पानी तेजी से बढ़ रहा है। प्रशासन ने नाव का संचालन भी बंद करवा दिया है। ऐसे में जीवनयापन का संकट उत्पन्न हो गया है.
राकेश साहनी, नाविक
गंगा का जलस्तर बढऩे से खतरा की आंशका हो गई है, लिहाजा घाट के आसपास रहने वाले लोगों के लिए बैचेनी शुरू हो गई है। अब हम सभी अपने सामानों को सुरक्षित करने लगे हैं.
प्रमोद माझी, नाविक
हमारा मकान भी तटीय इलाके में घाट के ऊपर है। अभी तो सामान्य है लेकिन जैसी ही बाढ़ आती है तो परेशानी शुरू हो जायेगी.
इंद्रनाथ मुखर्जी, पार्षद, बंगाली टोला
जल पुलिस लगातार मानीटर कर रही है। हम हर परिस्थति से निपटने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही गंगा के किनारों पर बाढ़ राहत चौकी भी बनाई गई है, जो यथासंभव सहायता करेगी.
रामसेवक गौतम, डीसीपी, काशी जोन