बीएचयू में 'वैश्वीकरण और महिलायें: मुद्दे एवं चिंता' विषयक सेमिनार का उद्घाटन

बतौर चीफ गेस्ट राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा ने महिला सुरक्षा पर जताई चिंता

VARANASI

वर्तमान भारतीय व्यवस्था के अंर्तगत नीति निर्माण में महिलाओं का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। यह विडंबना है कि बड़ी संख्या में महिलाएं कार्य करने के लिए बाहर निकल रही हैं पर हम उन्हें सुरक्षित परिवेश देने में असमर्थ रहे हैं। यह विचार बुधवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिथा कुमार मंगलम ने बीएचयू में कहीं। वह केएन उडप्पा ऑडिटोरियम में 'वैश्वीकरण और महिलायें: मुद्दे एवं चिंता' विषयक सेमिनार के उद्घाटन समारोह में बोल रही थीं। सेमिनार का आयोजन इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी व सोशल साइंस फैकल्टी की ओर से किया गया था। उन्होंने विश्व बैंक का हवाला देते हुए कहा कि इस शताब्दी की सबसे बड़ी व्यावसायिक समस्या यौन शोषण है। हमें इस समस्या के समाधान पर गंभीरता से सोचना होगा।

इच्छा शक्ति से मिलती है सफलता

बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर विश्व के सभी महाद्विपों की सबसे ऊंची चोटियों की विजेता अपर्णा कुमार ने कहा कि पर्वतारोहण शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक चुनौती देते हैं किन्तु यदि दृढ इच्छाशक्ति और लगन हो तो किसी भी लक्ष्य को पाया जा सकता हैं। विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर विभूति पटेल, ने स्मार्ट शहरों के नियोजन में लैंगिक आवश्यकता को समायोजित करने पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने किया। स्वागत स्वागत प्रोफेसर अरविन्द कुमार जोशी और प्रोफेसर आभा चौहान ने किया। विषय स्थापना डॉ श्वेता प्रसाद ने किया। धन्यवाद प्रकाश डॉ सीडी अधिकारी ने किया। संचालन शोध छात्रा पूजा सिंह ने किया।