काशी विद्यापीठ में आयोजित सेमिनार में एक्सपर्ट ने रखे विचार

VARANASI

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसी तरह तकनीकी के भी लाभ व हानि है। स्मार्ट मोबाइल का कुछ लोग दुरूपयोग कर रहे हैं। वाट्सएप से अनावश्यक मैसेज भेजते रहते हैं। इससे ई-प्रदूषण बढ़ रहा है, जो पर्यावरण के लिए अधिक घातक है।

काशी विद्यापीठ में मंगलवार को आयोजित 'जलवायु परिवर्तन : विकासशील देशों पर प्रभाव' विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी में यह बातें सामने आयीं। मुख्य अतिथि एयर वाइस मार्शल डा। अजीत त्यागी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर कृषि, जल संरक्षण, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। ऐसे में भारत की मुख्य भूमिका निभाने की जरूरत है। छात्रपति शाहू जी महाराज विवि (कानपुर) के डा। काशिफ अहमद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का अधिक प्रभाव विकासशील देशों पर पड़ रहा है। इससे मलेरिया जैसी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। वीसी प्रो। टीएन सिंह ने कार्बन के बढ़ने की गति पर चिंता व्यक्त की। कहा कि अन्य प्रदूषणों से अधिक नुकसानदायक ई-प्रदूषण है। इससे शारीरिक व मानसिक विकृतियां भी बढ़ रही है। विशिष्ट अतिथि कमिश्नर दीपक अग्रवाल, आजमगढ़ के एडीजे मोहम्मद अली, लखनऊ विवि के प्रो। ध्रुव सेन सिंह, बीएचयू के प्रो। एनके दुबे सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किए।