बीएचयू में पं। मदन मोहन मालवीय के सम्पूर्ण वाड्मय के प्रकाशन पर आयोजित कार्यशाला में बोलीं साउथ एशिया यूनिवर्सिटी की वीसी

VARANASI

महामना पं। मदन मोहन मालवीय के सम्पूर्ण वाड्मय के प्रकाशन के मद्देनजर सोमवार को बीएचयू के अभिनव भवन में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। बतौर चीफ गेस्ट साउथ एशिया यूनिवर्सिटी की वीसी प्रो। कविता शर्मा ने काशी की विद्वत् परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि बीएचयू द्वारा नवसृजित भारत अध्ययन केन्द्र शुभ संकेत है। हालांकि स्वतंत्रता के बाद ऐसी योजना की स्थापना में इतने साल लग गए यह आश्चर्यजनक है। उन्होंने मालवीय वाड्मय की प्रकाशन योजना हेतु किए जा रहे प्रयास की सराहना की।

कहा कि इस सकंलन में मालवीय जी के भारतीय शिक्षा के प्रति देसी दृष्टिकोण तथा राष्ट्रीयता का परिप्रेक्ष्य विस्तारपूर्वक शामिल किया जाना चाहिए।

मनीषियों ने बताए हैं मार्ग

जाने-माने विचारक एवं साहित्य अकादमी के पूर्व पदाधिकारी प्रो। इन्द्रनाथ चौधरी ने कहा कि परवर्ती गुलामी युग की सबसे बड़ी विडम्बना है कि हम कैसे आधुनिक बनें? महामना मालवीय, महात्मा गाँधी, महर्षि अरविन्द, विवेकानन्द आदि लगभग डेढ़ दर्जन भारतीय मनीषियों ने इसके लिए प्रशस्त मार्ग बताए हैं। प्रो। कमलेश दत्त त्रिपाठी ने कहा कि महामना मालवीय का जीवन उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष एवं स्वतंत्रता आन्दोलन की समु”वलता का प्रतीक है। आ‌र्ट्स फैकल्टी डीन प्रो कुमार पंकज ने अध्यक्षता की।

शताब्दी समारोह प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रो। पीसी उपध्याय ने स्वागत किया तथा भारत अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो। सदाशिव कुमार द्विवेदी ने समारोह का संचालन किया। प्रो। रेवा प्रसाद द्विवेदी, पद्मश्री प्रो। रामहर्ष सिंह, प्रो। कविता शर्मा, प्रो। इन्द्रनाथ चैधरी, शताब्दी समारोह प्रकोष्ठ के ओएसडी डॉ विश्वनाथ पाण्डेय, के। चन्द्रमौली तथा डा। राकेश पाण्डेय आदि ने विचार व्यक्त किए।