वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी में यौन हिंसा का दंश झेलने वाली 34 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं का गुनहगार कोई और नहीं, बल्कि उनके शौहर यानी पति ही हैंये पत्नी की सहमति के बिना उनके साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं, जबकि देश में यह आंकड़ा 82 प्रतिशत है। 3.7 फीसद महिलाएं तो गर्भावस्था में यौन हिंसा की शिकार हुई हैं। 0.7 प्रतिशत विवाहित महिलाओं ने जीवन में कभी न कभी यौन हिंसा झेली हैनेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है.

उम्र के साथ बढ़ते मामले

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक उम्र बढऩे के साथ-साथ यौन हिंसा के मामले बढ़ते जाते हैंमसलन, 18-19 साल की 4 प्रतिशत, 20-24 साल की 5 प्रतिशत, 25-29 साल की 6 प्रतिशत और 30 से ज्यादा उम्र की 7 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं यौन हिंसा का शिकार होती हैंयौन हिंसा पीडि़त 25 प्रतिशत महिलाओं के शरीर पर किसी न किसी तरह के जख्म के निशान हैं। 6 प्रतिशत विवाहिताएं तो गहरे घाव, हड्डियां और दांत तोडऩे जैसी ज्यादतियां भी बर्दाश्त कर चुकी हैं। 3 प्रतिशत को जलाया तक गया है.

जिन महिलाओं के बेटा-बेटी दोनों हैं, वे सबसे ज्यादा पीडि़त

यौन हिंसा झेलने वाली महिलाओं में 32.4 प्रतिशत ऐसी हैं, जिनके सिर्फ बेटे हैं। 31.2 प्रतिशत की सिर्फ बेटियां हैं, 37.7 प्रतिशत के बेटा-बेटी दोनों हैं और 18.6 प्रतिशत ऐसी हैं, जिनकी कोई संतान नहीं हैयानी जिन महिलाओं के लड़के-लड़की दोनों हैं, वे सबसे ज्यादा शारीरिक और यौन हिंसा झेल रही हैं, जबकि जिनके बच्चे नहीं हैं, वे सबसे कमयौन हिंसा पीडि़तों में 9 प्रतिशत ऐसी हैं, जो कभी स्कूल नहीं गईं, जबकि 12वीं या उससे ज्यादा पढ़ी-लिखी महिलाएं 4 प्रतिशत ही हैं

यौन हिंसा के पीछे शराब बड़ा कारण

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर, परिवेश, शराब, उम्र आदि का हवाला दिया गया हैशराब की बात करें, तो यह महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा का एक बड़ा कारण हैजहां पति शराब पीते हैं, वहां 50 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, जबकि देश में यह प्रतिशत 70 हैइसी तरह जिन घरों में शराब का प्रचलन नहीं है, वहां केवल 23 फीसदी महिलाएं इसका शिकार हुई हैं.

86 फीसद महिलाएं नहीं मांगती मदद

घरेलू और यौन हिंसा की शिकार होने वाली महिलाएं मदद लेने में पीछे रही हैंनेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 से लेकर अब तक बहुत बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। 2005-06, में ये दर 24 फीसदी थी, 2015-2017 में ये घटकर 14 फीसदी रह गई, जबकि 2019-21 में भी आंकड़ा 14 फीसदी ही रहाताजा आंकड़ों की बात करें तो यानी देश में हर तीसरी महिला इस वक्त घरेलू और यौन हिंसा का शिकार हो रही हैइन आंकड़ों में से सिर्फ 14 प्रतिशत महिलाएं ही मदद मांगने के लिए आगे आई हैं