- जलकल की ओर से सीवर सफाई को अधिकृत एजेंसी को नहीं मिल रहे सफाईकर्मी

-सफाई नहीं होने से मोहल्लों में फैला रहता है गंदा पानी, कई जगह सीवर चोक

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VARANASI

शहर में सीवर साफ करने के लिए शुरू हुई नई व्यवस्था पब्लिक के लिए मुसीबत बन गई है। जलकल की ओर से अधिकृत एजेंसी को मैनपावर नहीं मिल रहा है। जिससे करीब एक हफ्ते से मोहल्लों में सीवर सफाई का काम काफी धीमा हो गया है। यह स्थिति तब है, जबकि एजेंसी को करीब तीन गुना ज्यादा पेमेंट देकर करार हुआ है। एजेंसी अब तक सौ से कम कर्मी ही आउटसोर्स कर सकी है। डेली सफाई नहीं होने से कई जगह सीवर का पानी ओवरफ्लो कर सड़क व गलियों में बह रहा है। कई जगह सीवर चोक भी हो गया है। इससे खासतौर पर वे मोहल्ले ज्यादा प्रभावित हैं। जहां सैकड़ों साल पुरानी सीवर पाइपलाइन है।

क्या है नई व्यवस्था?

शहर में सीवर मेंटिनेंस का काम पहले 11 ठेकेदारों के जिम्मे था। सीवर की सफाई के एवज में जलकल इन्हें हर महीने 14 लाख रुपये का भुगतान करता था। लेकिन 30 अप्रैल से यह व्यवस्था खत्म कर दी गई। एक मई से लखनऊ की एक एजेंसी को सीवर सफाई का ठेका दे दिया गया है। विभाग से करार के मुताबिक एजेंसी आउटसोर्सिग से 286 सीवर कर्मियों से सफाई करवाएगी। इनकी मॉनीटरिंग के लिए 75 सुपरवाइजर भी रहेंगे। कर्मियों को 265 रुपये और सुपरवाइजर को 325 रुपये प्रति महीने के हिसाब से मानदेय का भुगतान होगा।

इन मोहल्लों में हो रही दिक्कत

शहर के बंगाली टोला, पक्का महाल, मदनपुरा, चौक समेत दर्जन भर जगहों पर सीवर लाइनें जर्जर हो चुकी हैं। ऐसे में डेली सफाई नहीं होने से यहां हालत नारकीय हो गए हैं। इसके अलावा औरंगाबाद, शिवपुरवा, छित्तूपुर, लल्लापुरा, पितरकुंडा, घंटी मिल, सिद्धगिरीबाग, जयप्रकाश नगर, निराला नगर, नई बस्ती, रामापुरा, रेवड़ी तालाब, नक्कीघाट, कज्जाकपुरा, जगतगंज, आदमपुर, गिरजाघर समेत तमाम जगहों पर दिक्कत बढ़ गई है। कई जगह हालत यह है कि पेयजल की पाइप में सीवर का गंदा जा रहा है। सीवर सफाई के एवज में एजेंसी को हर महीने 40 लाख दिया जाएगा। ऐसे में जलकल पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। पहले यह काम हर महीने 14 लाख देकर हो जाता था। लेकिन करीब तीन गुना अधिक पैसा देने पर भी व्यवस्था सुचारु तरीके से नहीं चल रही है। विभाग से जुड़े लोगों के मुताबिक करार होने के बाद एजेंसी ने पहले से पर्याप्त मैनपावर की व्यवस्था नहीं की। जिससे दिक्कत आ रही है।

एक नजर

- 4 जोन हैं जलकल के

- 286 आउटसोर्सिग कर्मी लगेंगे

- 75 सुपरवाइजर करेंगे मॉनीटरिंग

- 40 लाख प्रति महीना आएगा खर्च

नई एजेंसी सीवर सफाई व्यवस्था सुचारु रूप से करने का प्रयास कर रही है। अगर मैनपावर की कमी है तो इसकी व्यवस्था एजेंसी को ही करनी है। विभागीय जेई मोहल्लों की व्यवस्था पर नजर रख रहे हैं।

बीके सिंह, महाप्रबंधक, जलकल