सीन-1

दिन- सोमवार

समय-दोपहर 12 बजकर 13 मिनट

स्थान- मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा का कक्ष संख्या पांच, मेडिसिन विभाग

मंडलीय हॉस्पिटल की ओपीडी मरीजों से फुल है, इसी बीच मास्क लगाए डॉक्टर साहब मरीजों का पर्चा छोड़कर एमआर से दवाओं की लिस्ट देख रहे हैं। हर पांच से दस मिनट के गैप में एमआर के आने का क्रम लगा रहा।

सीन-2

दिन- सोमवार

समय-दोपहर 12 बजकर 17 मिनट

स्थान- मंडलीय हॉस्पिटल कबीर चौरा का कक्ष संख्या दो, बाल रोग विभाग

बीमार बच्चों को लेकर उनके पेरेंट्स काफी देर से खड़े हैं जबकि डॉक्टर्स साहब बेफिक्र होकर एमआर से बातचीत में मशगूल हैं। ऐसे ही हर रोज एमआर-डॉक्टर मिल रहे हैं।

सीन-3

दिन- सोमवार

समय-दोपहर 12 बजकर 22 मिनट

स्थान- मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा का कक्ष संख्या चार, मेडिसिन विभाग

एमआर हर ओपीडी में डॉक्टर्स से मिलने के बाद इन डॉक्टर साहब से मिल रहे हैं, जबकि ओपीडी के बाहर दर्जनों मरीजों की भीड़ लगी हुई थी। लेकिन मरीजों की चिंता छोड़ डॉक्टर साहब एमआर को समय दे रहे हैं।

आई स्टिंग

-ओपीडी में पेशेंट से पहले एमआर को टाइम दे रहे हैं डॉक्टर्स, एक से दो बजे के बीच में एमआर से मिलने का है समय

एसएसपीजी मंडलीय हॉस्पिटल में मरीजों का हाल है बेहाल, आई नेक्स्ट के स्टिंग में हुआ खुलासा

VARANASI

एमआर-डॉक्टर गठजोड़ ने मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा के चिकित्सा व्यवस्था को बीमार बना दिया है। मंडलीय हॉस्पिटल, कबीरचौरा में ओपीडी के वक्त मरीजों के समय में एमआर सेंधमारी कर रहे हैं। खुलेआम एमआर व डॉक्टर्स की सेटिंग गेटिंग चल रही है। ये खुलासा आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में हुआ। नियम विरुद्ध चल रहे इस खेल को रोकने के लिए हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती, जिसका खामियाजा दर्द से कराहते मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। शासन स्तर से चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लगातार सुविधाएं जरूर मुहैया कराई जा रही हैं, लेकिन बनारस में इसकी हकीकत आई नेक्स्ट के स्टिंग में कुछ यूं खुलकर सामने आई है।

दोपहर एक से दो बजे का है समय

पूर्वाचल सहित बिहार के मरीजों से भरा रहने वाले श्री शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय हॉस्पिटल में रोजाना लगभग एक से डेढ़ हजार मरीज अपना चेकअप कराने पहुंचते हैं, यही कारण है कि सुबह आठ से दो बजे के बीच ओपीडी में मरीजों की भीड़ उमड़ी रहती है। इसी बीच में एमआर की आवाजाही शुरू हो जाती है, जबकि एमआर एक से दो बजे के बीच में डॉक्टर से मिल सकते हैं। लेकिन मंडलीय हॉस्पिटल में इसका उलटा हो रहा है।

एमआर के आगे बेकार एसआईसी

स्टिंग करने के बाद हॉस्पिटल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ। आरपी चतुर्वेदी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि एमआर को सख्त हिदायत दी गई है कि ओपीडी खत्म होने पर डॉक्टर्स से मिलें। कई बार नोटिस भी जारी की जा चुकी है, हालांकि इस मामले में अब उन पर कार्रवाई की जाएगी। एसआईसी का यह बयान बताने के लिए काफी है कि हॉस्पिटल में उनकी कोई नहीं सुनता है।