- इस साल बन रहा है अद्भुत संयोग, 15 दिन के पितृ पक्ष में एक दिन की हानि के कारण बढ़ रहा है नवरात्र का एक दिन

- अश्व पर हो रहा है मां का आगमन जबकि मुर्गे पर होगा प्रस्थान

-आगमन नहीं है फलदाई, आ सकती हैं प्राकृतिक आपदाएं

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कई सालों बाद इस बार पितृ पक्ष और नवरात्र पर अद्भुत संयोग है। इसे माना तो अच्छा जा रहा लेकिन कुछ वजहों से नवरात्र के बढ़ने के बाद भी इसका फल शुभदाई नहीं होगा। दस दिन के नवरात्र में देवी का आगमन अश्व यानि घोड़े पर हो रहा है। इसे ज्योतिषि अच्छा नहीं मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि मां का अश्व पर आना उनके रौद्र रूप को दर्शाता है। इसके कारण प्राकृतिक आपदाएं दुनिया को परेशान कर सकती हैं। वहीं पितृ पक्ष पर भी इस साल एक दिन की हानि है। ये पखवारा नहीं 14 दिन का ही होगा।

अश्व पर आगमन मुर्गे पर प्रस्थान

नवरात्र की शुरुआत इस बार एक अक्टूबर से हो रही है। इस बारे में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पंडित राजेन्द्र प्रसाद मिश्र का कहना है कि नवरात्र दस दिन का होना तो शुभ है। क्योंकि देवी एक दिन ज्यादा भक्तों के बीच रहेंगी लेकिन देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है जो शुभ फलदाई नहीं है। जबकि प्रस्थान मुर्गे पर है जो मिश्रित फल देगा यानि अच्छा और बुरा दोनों। पंडित राजेन्द्र मिश्र के मुताबिक मां के घोड़े पर आने से इस साल भूकंप, बारिश आदि की संभावनाएं ज्यादा हैं। वहीं राजसत्ता और दुनिया में स्त्रियों का बल बढ़ेगा। हालांकि साल के अंत तक दस दिन के नवरात्र का शुभ फल भी लोगों को मिलेगा।

17 से शुरू होगा पितृ पक्ष

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति के सदस्य और ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के मुताबिक इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से प्रारंभ होकर 30 सितंबर तक चलेगा। इस पक्ष में नवमी तिथि की हानि है जबकि पंचमी व षष्ठी का श्रद्ध 21 सितंबर को किया जाएगा। दूसरी ओर शक्ति आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र आश्रि्वन शुक्ल प्रतिपदा एक अक्टूबर से प्रारंभ होकर दस अक्टूबर अर्थात आश्रि्वन शुक्ल नवमी तक किया जाएगा। 11 अक्टूबर को नवरात्र का पारण होगा और विजयादशमी मनाई जाएगी। नवरात्र में रविवार को द्वितीय तिथि की वृद्धि है जो दो व तीन अक्टूबर को है। सब मिलाकर देखा जाए तो 30 तिथियों का एक मास आश्रि्वन पूरा रहेगा। अंतर बस यह है कि आश्रि्वन कृष्ण पक्ष में नवमी के क्षय से 14 दिन का जबकि शुक्ल पक्ष में द्वितीया की वृद्धि से 16 दिन का होगा।

ऐसे होंगे पितृपक्ष में श्राद्ध

- 17 सितंबर - प्रतिपदा का श्राद्ध

- 18 सितंबर - द्वितीया का श्राद्ध

- 19 सितंबर - तृतीया का श्राद्ध

- 20 सितंबर - चतुर्थी का श्राद्ध

- 21 सितंबर - पंचमी श्राद्ध

- 22 सितंबर - पष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध

- 23 सितंबर - अष्टमी का श्राद्ध

- 24 सितंबर - नवमी का श्राद्ध

- नवमी को मातृ पूजन किया जाएगा

- 25 सितंबर - दशमी का श्राद्ध

- 26 सितंबर - एकादशी का श्राद्ध

- 27 सितंबर- द्वादशी का श्राद्ध

- 28 सितंबर - त्रयोदशी का श्राद्ध - 29 सितंबर - चतुर्दशी का श्राद्ध

- 30 सितंबर - अमावस्या का श्राद्ध और पितृ विसर्जन होगा

नवरात्र होगा कुछ यूं

- एक अक्टूबर शारदीय नवरात्र के लिए होगी कलश स्थापना

- दिन में 11.30 बजे से 12.30 बजे तक कलश स्थापन होगा शुभकारी

- शारदीय नवरात्र में चित्रा और वैधृति योग में कलश स्थापना से बचना चाहिए

- दो और तीन अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाएगा

- क्योंकि दोनों ही दिन द्वितीया का मान है

- वहीं दस अक्टूबर को शाम 5.28 बजे तक नवमी मान्य है

- यानि दशहरे का मान 11 अक्टूबर को होगा