वाराणसी (ब्यूरो)लो आज से अभिभावकों के लिए टेंशन भरा महीना शुरू हो गयाएक अप्रैल से सभी स्कूल खुल रहे हैंऐसे में फीस, कॉपी किताब, डे्रस के अलावा ट्रांसपोर्टेशन का टेंशन सताने लगा हैकई अभिभावक को तो यह भ्रम है कि पिछले साल जो फीस होगी उतना ही देना होगा, लेकिन ऐसा भ्रम पाल रखे हैं तो निकाल दीजिए क्योंकि इस बार बच्चों को पढ़ाने में 25 से 30 परसेंट का अतिरिक्त भार जेब पर पडऩा तय हैएक बच्चे को पढ़ाने में इस बार आपकी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा स्कूले वाले ले जाएंगे.

केस-1

सिगरा निवासी अमित पोद्दार प्राइवेट जॉब करते हैंहर महीने 35 हजार रुपए सेलरी मिलती हैउनके दो बच्चे पढ़ते हैैंआजकल वह स्कूल की फीस व ड्रेस को लेकर चिंतित हंैसोच में पड़ गए हैं कि हर साल स्कूल संचालक फीस में तो वृद्धि कर ही रहे हैं, साथ ही ट्रांसपोर्टेशन में भी 5 परसेंट का इजाफा कर दिया गया हैजो बजट सोच कर रखे थे उस पर स्कूल संचालकों ने पानी फेर दियाअब 35 हजार में से 15 हजार रुपए तो बच्चों की फीस चली जाएगीइसके बाद कॉपी, किताब डे्रस के लिए 10 हजार रुपए अलग से रखना पड़ेगास्कूल खुलने के बाद स्कूलों में जो इवेंट होगा, इसके लिए अलग से हर महीने एक हजार से लेकर दो हजार रुपए अतिरिक्त भार पड़ता हैपढ़ाई के नाम पर अब हर महीने 20 से 25 परसेंट का जेब पर अतिरिक्त बोझ पडऩा तय है.

केस-2

मैदागिन के रहने वाले अनिल शाह का स्कूल खुलने के बाद परेशानी देखने लायक हैएक बेटा उनका शहर के क्रिश्चियन स्कूल में पढ़ता है तो दूसर बेटा सीबीएसई बोर्ड में हैवह मोबाइल का मैसेज देखकर हैरान हैं कि इस बार फीस, ट्रांसपोर्टेशन से लेकर कॉपी, किताब में 10 से 15 परसेंट की वृद्धि कर दी गईपिछले साल अपने बच्चे की फीस 52 सौ रुपए देते थेइस बार बढ़कर 58 सौ रुपए हो गयाबस का किराया जहां 2250 रुपये था, वह इस बार 2550 रुपए कर दिया गयाइस सबके बाद जब स्कूल खुलेंगे तो बच्चों के प्रोजेक्ट तैयार करने और इवेंट के नाम पर हजार से हजार दो हजार रुपए लिए जाएंगेयह सब जोड़कर वह सदमे में हैं कि हर महीने गाढ़ी कमाई का 20 से 25 परसेंट का रुपए सिर्फ स्कूल वाले ही ले जाएंगे.

यह शहर के सिर्फ दो अभिभावकों की परेशानियां नहीं जनाब, अमूमन सभी गार्जियंस इस महंगी पढ़ाई से जूझ रहे हैंएक बार की बात हो तो अलग लेकिन स्कूल संचालक हो या फिर कॉपी, किताब या फिर डे्रस विक्रेता, सभी आपकी गाढ़ी कमाई पर नजरें गड़ा रखे हंैसभी ने अपने-अपने हिसाब से दामों में इजाफा कर दिया हैअधिक से अधिक स्कूलों में उनका किताब, कॉपी, टाई, बेल्ट बिके, इसके लिए वह स्कूल खुलने से पहले ही जुगाड़ लगा चुके हैं.

चल रहा कमीशन का खेल

टाई, बेल्ट विक्रेता हो या फिर कॉपी, किताब के विक्रेता सभी चाहते हैं कि उनका प्रोडक्ट स्कूलों में अधिक से अधिक बिकेइसके लिए वह भारी कमीशन तो देते ही हैैं, साथ ही गिफ्ट बाउचर वगैरह भी समय-समय पर स्कूल संचालकों को पहुंचाते हैंकमीशन खिलाने के चक्कर में वह अभिभावकों की मजबूरियां भूल जाते हैैंइस सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि कॉपी, किताब पर पांच से दस परसेंट नहीं बल्कि 30 से 35 परसेंट कमीशन सिर्फ स्कूलों को जाता हैतभी स्कूल वाले किताब अपने स्कूल में पढ़ाने के लिए एग्री करते हैैं.

टाई, बेल्ट भी खरीदना जरूरी

अभिभावकों के लिए कॉपी, किताब के साथ बच्चों के लिए टाई, बेल्ट और डायरी भी खरीदना अनिवार्य हैएलकेजी से लेकर क्लास 12 तक के टाई, बेल्ट के रेट अलग-अलग हैंएलकेजी के सौ रुपए तो क्लास पांच के 150 रुपए तो वहीं क्लास 12 के 200 रुपए में सिर्फ टाई मिल रहा है जबकि बेल्ट का रेट अलग हैऐसे ही सभी स्कूल अपने यहां डायरी के लिए अपना अलग-अलग रेट निर्धारित कर रखे हैैंजो स्कूल खुलते ही अभिभावकों से लिया जाएगाअभिभावकों की गाढ़ी कमाई का मजबूत हिस्सा स्कूल की पढ़ाई में ही चला जा रहा है.

इवेंट के लिए अलग से फीस

किताब, कॉपी, टाई, बेल्ट और डायरी में अभिभावकों की गाढ़ी कमाई जाने के बाद जब स्कूल खुल जाते हंै तो हर महीने इवेंट का दर्द अभिभावकों को सताने लगता हैइसके लिए सभी स्कूल अपने-अपने अनुसार इवेंट फीस निर्धारित कर रखे हैंइवेंट फीस में भी हर साल 15 से 20 परसेंट बढ़ाया जाता हैजैसा स्कूल वैसा इवेंट फीस रहता है। 1 हजार से लेकर 2 हजार रुपए तक स्कूल संचालक सिर्फ इवेंट फीस ले लेते हैंइसके बाद प्रोजेक्ट तैयार कराने के नाम पर हजार से दो हजार रुपए खर्च हो जाता है.