वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी शहर का गंदा पानी इन दिनों सीधे गंगा में प्रवाहित हो रहा हैइसमें मल कीचड़ भी शामिल हैजानकारी के मुताबिक सामने घाट से नक्खा नाला के बीच राइजिंग मेन फटना कारण बताया जा रहा है, लेकिन यह अब भी जांच का विषय बना हुआ है कि आखिर गंगा का पानी काला कैसे पड़ रहा है.हालाकि गंगा किनारे रहने वाले लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैंलोगों का कहना है कि गंगा में पिछले पांच या छह दिनों से पानी काला दिखाई दे रहा है, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से संज्ञान नहीं लिया गया हैकिनारे बसे लोगों ने कहा कि सफाई के नाम पर पर अब तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, इसके बावजूद आए दिन इस प्रकार की समस्याएं देखने को मिल रही हैंवहीं अस्सी नाला में एक होल दिखने से भी सवाल उठने लगा है कि आखिर नाले का पानी कहां जा रहा हैलोगों ने बताया कि यदि ये पानी नाले के नीचे की ओर जा रहा है तो यह किनारे रहने वाले लोगों के लिए काला पानी की सजा साबित होगा

क्यों हो रही गंगा काली

सामने घाट के पास नगर निगम की ओर से बायो रेमेडिएशन ट्र्रीटमेंट हो रहा है, पानी को रोकने के लिए बोरा लगाया गया हैउस बोरी के पहले एक पाइप पड़ी हुई है, जो सीधे नगवां स्थित मुख्य पंपिग स्टेशन पहुंचता हैये पाइप पहले से ही टैप्ड हैवहां से पंप किया जाता हैये पानी रमना 50 एमलएडी एसटीपी पर ट्रीटमेंट के लिए जाता हैसामने घाट के आगे और नक्खा नाला के पहले राइजिंग मेन फट गई है, जिसकी रिपयेरिंग चल रही हैराइजिंग मेन फटने के कारण ही गंदा पानी गंगा में जा रहा है, जिस कारण गंगा का पानी काला पड़ गया हैहालाकि इस पर जल निगम की ओर से काम किया जा रहा हैहालाकि नाले का गंदगी जाने से पानी का प्रदूषण लेवल 80 मिग्रा पर लीटर केमिकल ऑक्सीजन डिमांड है, जबकि इसकी पानी की बीओडी 30 मिग्रा तक होनी चाहिए

इन घाटों पर काला पानी

मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, बालाजी घाट, रामघाट, गंगा महल घाट के किनारे गंगा का पानी काला देखा गयाइनमें महल घाट के पास गंगा का पानी सबसे अधिक काला थामणिकर्णिका घाट के पास बसे कुछ लोगों का कहना है कि नदी का बहाव कम होने के कारण महाश्मशान घाट से निकली राख बह नहीं पा रही है और इसी कारण सारी गंदगी किनारे पर ही जमा हो जा रही हैवहीं कुछ लोगों ने यह भी बताया कि कानपुर के बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण गंगा का पानी मैला दिखने लगा है

प्रदूषण के ये भी कारण

वाराणसी के 84 घाटों पर हर तरफ सिर्फ नाव ही नाव देखने को मिलती हैइन नावों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण को बढ़ाने के साथ ही गंगा को मैली भी कर रहा है, क्योंकि इन नावों में ईधन के रूप में डीजल का इस्तेमाल हो रहा हैनाविकों की ओर से बार-बार कहे जाने के बाद भी सीएनजी स्टेशन अब तक नाविकों के रेंज में नहीं खोला गया है

अस्सी नाला भी कारण

गंगा प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह अस्सी नदी (अस्सी नाला) माना जाता हैयहां से प्रतिदिन गंगा में 50 एमएलडी (मिलियन लीटर रोजाना) से अधिक सीवर गिरता हैशहर का लगभग एक चौथाई सीवर का पानी विभिन्न नालों से होते हुए अस्सी में मिलता हैअस्सी नदी (अस्सी नाला) करीब आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गंगा में मिलती हैइसमें औसतन तीन करोड़ लीटर पानी प्रतिदिन बहता है

गंगा को बचाने के उपाय

- रमना में 102 करोड़ रुपए की लागत से एक एसटीपी का निर्माण

- 6 ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए, जिसमें 2 दीनापुर, 1 गोयठा, 1 रामनगर, 1 रमण, 1 बीएलडब्ल्यू, 1 बीएचयू में बनाया गया

गंगा का पानी काला देखा गया हैइस पर अब भी जांच चल रहा हैकई बार पानी कम फ्लो होने के कारण या कहीं से पानी छोड़े जाने के कारण भी हो जाता है, लेकिन वास्तिवक तोड़ पर कहना अभी मुश्किल है

एसके रंजन, परियोजना प्रबंधक, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई

गंगा में पिछले कुछ दिनों से गंदा पानी जा रहा हैसामने घाट के पास राइजिंग मेन फट गया है, जो आज देर रात तक ठीक कर लिया जाएगाजल्द ही गंगा के पानी को साफ करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी

घनश्याम द्विवेदी, चीफ इंजीनियर, जल निगम