वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी के लंका थाना पुलिस की अभिरक्षा से 14 फरवरी 2020 से संदेहास्पद स्थिति में गायब बीएचयू के छात्र शिवकुमार त्रिवेदी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ हैगुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान अपर शासकीय अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि गायब छात्र मानसिक रूप से अस्वस्थ थालंका थाने की पुलिस की अभिरक्षा से निकलकर 15 फरवरी 2020 को रामनगर स्थित तालाब में डूबने से उसकी मौत हो गईअज्ञात शव का डीएनए गायब छात्र के पिता के डीएनए से समान पाया गयासरकारी वकील की ओर से विधि विज्ञान प्रयोगशाला उत्तर प्रदेश, गोरखपुर की ओर से तैयार डीएनए रिपोर्ट की कॉपी हाईकोर्ट को सौंपा गया, जिस पर हाईकोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट एफिडेविट के साथ देने का आदेश दिया.

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

मामले में याचिकाकर्ता सह अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने हाईकोर्ट के समक्ष बहस करते हुए कहा कि छात्र की गुमशुदगी की रिपोर्ट 16 फरवरी दर्ज करने के बाद संबंधित जांच अधिकारी ने 6 महीने तक मामले में कोई जांच नहीं कीआरटीआई सूचना के अनुसार लंका थाने में 13 14 फरवरी वर्ष 2020 को तीन सीसीटीवी कैमरे क्रियाशील थे, लेकिन सीसीटीवी फुटेज को जांच में रिकार्ड पर नहीं लिया गयाक्या कारण है कि मामले में जांच कर रहे स्थानीय व वरीय पुलिस अधिकारियों को रामनगर थाने में मृतक छात्र के रिकॉर्ड नहीं मिले.

कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीर माना

अधिवक्ता सौरभ तिवारी की कोर्ट में दी गई दलीलों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए अधिवक्ता से सीसीटीवी डिटेल संबंधी बातों को एफिडेविट के साथ न्यायालय के समक्ष जमा करने को कहा हैगौरतलब है कि अधिवक्ता सौरभ तिवारी के पत्र का संज्ञान लेते हुए 19 अगस्त, वर्ष 2020 को जनहित याचिका दर्ज किया था, जिसके बाद अक्टूबर, 2020 तक स्थानीय वरीय पुलिस अधिकारियों नें मामले में जांच किया और 29 अक्टूबर 2020 को गृह विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले को सीबीसीआईडी (अपराध अनुसंधान शाखा) को जांच के लिए सौंप दिया था.

14 जुलाई को आ सकता है फैसला

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच के सदस्य न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई आगामी 14 जुलाई को तय की है.