वाराणसी (ब्यूरो)संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए परिसर में ही दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र की स्थापना की गईइसके तहत छात्रों को एक वर्षीय पाठ्यक्रम के साथ ही तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत शिक्षा देने की व्यवस्था की गईइस केंद्र में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के अंदर भय का माहौल व्याप्त हो गया हैप्रशासन की शिथिलता के कारण उनकी तीन साल की पढ़ाई छह साल में पूरी हो पा रही हैछात्रों का कहना है कि इस बारे में बार-बार विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम अधिकारियों से शिकायत भी गई लेकिन वे ध्यान देने को तैयार नहीं हैंउनकी प्रति सेमेस्टर होने वाली परीक्षा को प्रति एक साल पर आयोजित कराते हुए उनके सत्र को काफी लेट कर दिया जा रहा है.

व्यय के बराबर नहीं मिल रहा बजट

छात्रों की समस्या को ध्यान में रखते हुए जब कौशल केंद्र की निदेशक से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि प्रशासन जान-बूझकर इस सेंटर के छात्रों के साथ सौतेलापूर्ण व्यवहार कर रहा हैइस कारण सेंटर के लिए सही तरीके से सारी ïव्यवस्थाओं को लागू करवा पाना काफी कठिन हो गया हैछात्र से लेकर स्टाफ के साथ टीचर्स को ध्यान में रखते हुए काफी खर्च होता हैइसके साथ ही उन्होंने बताया कि यहां के सेंटर के लिए हमें जो राशि यूजीसी की तरफ से मिलती है उसे हम कहीं और नहीं खर्च कर सकते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से इधर-उधर खर्च कर दिया जा रहा है.

2015 में हुआ था फस्र्ट बैच का एडमिशन

दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र में विश्वविद्यालय की तरफ से पहला बैच स्टार्ट करते हुए 2015 में 100 बच्चों का एडमिशन लिया गया थाइसके बाद से प्रतिवर्ष यहां पर 100 बच्चों का एडमिशन तीन वर्षीय कोर्स में लिया जाता रहा हैइसके साथ ही कई अन्य डिप्लोमा कोर्सेज का भी एडमिशन होता रहा हैयहां का आलम यह है कि 2015 में पहले बैच के एडमिशन लेने वाले छात्र भी आज के दिन में विश्वविद्यालय परिसर के अंदर धक्के खाते हुए देखे जा रहे हंै और उनकी सुनवाई करने वाला कोई भी नहीं हैइस कारण पहले बैच के छात्रों को देखकर अब नए एडमिशन लेने वाले छात्रों का भी मनोबल गिरने लगा है और विश्वविद्यालय प्रशासन की नीतियों को दोषी ठहराते हैं.

टीचर्स नहीं तो क्लासेज नही

दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र के अंदर कुल 12 टीचर्स को अप्वाइंटमेंट करने की व्यवस्था है जोकि सेंटर के विभिन्न कोर्सेज के छात्रों को पढ़ाएंगेवास्तविकता में यह सेंटर टीचर्स की भारी भरकम समस्या से जूझ रहा हैवर्तमान में यहां पर महज 4 टीसर्च लेक्चर बेस पेमेंट पर कार्यरत हैं, जोकि किसी तरीके से सारे कोर्सेज के छात्रों के सिलेबस की खानापूर्ति करते हैंइसको लेकर छात्रों के द्वारा कई बार निदेशक से शिकायत की गई तो निदेशक के द्वारा आश्वासन भी दिया गया कि टीचर्स की व्यवस्था की जायेगी परंतु बजट के अभाव में टीचर्स की व्यवस्था करने में प्रशासन पूरी तरीके से फेल हो गया हैइसका खामियाजा यहां पर पढ़ाई करने वाले छात्रों को भुगतना हो रहा है.

सेंटर के कोर्स में तीन साल की पढ़ाई के लिए 2015 में एडमिशन लिया थापरीक्षा सेमेस्टर के अंतराल पर हो रही है, जिस कारण हम लोग तीन साल पीछे हो गए हैं.

शिवम चौबे, छात्र

यहां पर टीचर्स की काफी समस्या हैहमने जम्मू कश्मीर से आकर एडमिशन लिया हैअब लगता है कि फंस गया हूं क्योंकि पढ़ाई ही नहीं हो रही है.

वरूण शर्मा, छात्र

फैकल्टी एक दिन क्लास में दिखती है दूसरे दिन नहींहम लोगों की अभी तक दुर्गा सप्तशती की क्लासेज नहीं शुरू हुई हैकब डिग्री को पूरा करेंगे इसका पता नहीं है.

गोविंद शर्मा, छात्र

हमें छात्रों की समस्या की जानकारी हैउनकी समस्या के निराकरण के लिए कई बार वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पत्राचार किया जा चुका हैइसके साथ ही सेंटर के कई मसलों पर खुद के द्वारा खर्च का वहन करते हुए कार्य को पूरा करवाया जाता है.

विधु द्विवेदी, निदेशक, दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र, संविवि

हाल ही में विज्ञापन निकालते हुए चार अध्यापकों की नियुक्ति की गई हैएक-दो दिनों के अंदर कमेटी का गठन करते हुए और विज्ञापन निकाला जायेगा और नियुक्ति की जायेगीइसके साथ ही पाठयक्रम को समयानुसार करवाने का प्रयास किया जाएगा.

हरेराम त्रिपाठी, कुलपति, संविवि