वाराणसी (ब्यूरो)आतंकियों के हाथों मारे गए कश्मीरी पंडितों (ङ्क्षहदुओं) के मोक्ष के लिए बुधवार को मोक्ष नगरी काशी में त्रिङ्क्षपडी श्राद्ध किया गयाफिल्म द कश्मीर फाइल्स के फिल्मांकन के दौरान लिए गए संकल्प को अभिनेता अनुपम खेर ने पिशाच मोचन कुंड पर विधि-विधान पूर्वक पूरा कियासंकल्पवत हो आसनी ग्रहण कीत्रिङ्क्षपड बनाए और फल-फूल, कंदमूल, द्रव्य आदि अर्पित कर श्राद्धकर्म कियाकहा आज 32 साल बाद महादेव की नगरी में उन निर्दोष मृतकों की आत्मा को मोक्ष मिला होगाअनुष्ठान में उन कश्मीरी पंडितों के परिजन भी शामिल हुए जिन्होंने 1990 के नरसंहार में जान गंवाई थी.

सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना के संयुक्त तत्वावधान आयोजित विशेष अनुष्ठान में शामिल होने के लिए अनुपम खेर दोपहर में पहुंचेसफेद कुर्ता-पायजामा, गले में ओम अंकित लाल दुपट्टा, गंभीर मुख मुद्रा, हाथ जोड़कर फिल्म अभिनेता ने सभी का अभिवादन किया और हर एक का दिल जीत लियाकाशीवासियों ने हर हर महादेव के उद्घोष से उनका स्वागत कियाआयोजकों की ओर से उन्हें स्पर्श विधि (सांकेतिक रूप) से श्राद्ध करने का आग्रह किया गया, लेकिन अनुपम खेर ने विनम्रता के साथ समस्त विधान स्वयं पूर्ण करने की मंशा जताईसंकल्पवत हो समस्त विधान पूरे किएअनुष्ठान को लेकर फिल्म अभिनेता की गंभीरता का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि मोबाइल कैमरे से फोटो ले रहे एक ब्राह्मण को उन्होंने टोकने में संकोच नहीं कियाकहा, पहले अनुष्ठान पूरा कर लें, फिर फोटो भी खींच लीजिएगापंश्रीनाथ पाठक उर्फ रानी गुरु के सानिध्य में कन्हैया पाठक, सुरेश पाठक, मनोज पाठक, अमित पाठक, नारायण दत्त मिश्र, बालकृष्ण पांडेय, राकेश दुबे, कन्हैयालाल पंड्या, टंक प्रसाद भंडारी आदि तीर्थ पुरोहितों ने श्राद्ध कर्म करायाआगमन के संस्थापक डासंतोष ओझा मुख्य यजमान थे

कश्मीर में पहले से बेहतर माहौल : अनुपम खेर

अनुपम खेर ने कहा कि पिछले कई दशक की तुलना में इन दिनों कश्मीर का माहौल ङ्क्षहदुओं के लिए बेहतर हुआ हैइसे बनाए रखने की जरूरत हैकमियों को उजागर कर उसे बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि कश्मीरी पंडितों में सुरक्षा का भाव प्रबल होकहा कि बीते कई दशकों में कश्मीर के अंदर ङ्क्षहदुओं पर अत्याचार हुए तब मीडिया भी मौन थीअब इंटरनेट मीडिया का जमाना हैकोई चीज छिपी नहीं रह सकतीकहा कि कश्मीर में तैनात ङ्क्षहदू कर्मचारी व लोग एक बार फिर भयभीत हुए हैंऐसे में उनका हौसला बढ़ाने की जरूरत हैपलायन वर्तमान में विकल्प नहीं हो सकतासंघर्ष में मीडिया का साथ देना जरूरी हो गया है ताकि कश्मीर में ङ्क्षहदुओं पर हुए या हो रहे अत्याचार को दुनिया देख सके.

ये है त्रिङ्क्षपडी श्राद्ध

सनातन धर्म में मृतात्माओं के प्रेतत्व विमुक्ति के लिए अनेक प्रकार के श्राद्ध का वर्णन शास्त्रों में हैश्राद्ध करने से मृतात्माओं को प्रेत योनि से मुक्ति प्राप्त होती हैपितरों को संतुष्टि मिलती है और वे प्रसन्न होकर वंश वृद्धि सहित समृद्धि का आशीष प्रदान करते हैंपितरों के असंतुष्ट होने पर देव आराधना का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता हैश्राद्ध अनेक प्रकार के होते हैं जिनमें त्रिङ्क्षपडी श्राद्ध का विशेष महत्व हैक्योंकि त्रिङ्क्षपडी एक काम् श्राद्ध (विशेष कामना के लिए) हैइसमें तमोगुणी, रजोगुणी व सतोगुणी रूपी तीनों प्रेत योनियों जिनका क्रमश: पृथ्वी, अंतरिक्ष एवं वायुमंडल में स्थान होता है की पिशाच पीड़ा निवारणार्थ त्रिङ्क्षपडी श्राद्ध किया जाता हैत्रिङ्क्षपडी श्राद्ध में ब्रह्मा, विष्णु व रुद्र तीन देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा पूर्वक पूजा की जाती हैसात्विक प्रेत दोष निवारण के लिए ब्रह्मा का पूजन करते हुए यव (जौ) का ङ्क्षपड दिया जाता हैराजस प्रेत दोष निवारण के लिए विष्णु पूजन करते हुए चावल का ङ्क्षपड दिया जाता हैतामस प्रेत दोष निवारण के लिए तिल का ङ्क्षपड दिया जाता है और रुद्र पूजन करते हैयह पूजा ज्ञात-अज्ञात संबद्ध-असंबद्ध, स्वकुल-परकुल आदि सभी अतृप्त आत्माओं के मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता हैत्रिङ्क्षपडी श्राद्ध में अपने गोत्र, पितरों का नाम का नही लिया जाता क्योंकि कौन से स्वरूप की प्रेत बाधा या अतृप्त आत्मा विद्यमान है इसके बारे में शाश्वत ज्ञान नहीं होताअत: सभी अतृप्त आत्माओं की मोक्ष प्राप्ति के लिए त्रिङ्क्षपडी श्राद्ध करने का शास्त्र में विधि बताई गई.