वाराणसी (ब्यूरो)नगर निगम के अधिकारी लगातार यह दलील दे रहे हैं कि वे शहर के नाला सफाई को लेकर बेहद गंभीर हैंइनका कहना है कि बारिश शुरू होने से पहले शहर के हर गली-मुहल्लों के नाली-नालों की सफाई करा दी जाएगीअधिकारियों के इन दावों की पोल उस वक्त खुल रही है, जब यहां के उन एरिया के नालों की पड़ताल की गई, जहां बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा जलभराव की समस्या होती हैयहां दर्जनों ऐसे एरिया हैं, जहां हर साल जरा सी बारिश होने पर जलभराव हो जाता हैलेकिन, उस एरिया में अब तक नाला सफाई का काम शुरू नहीं हुआ हैआमतौर पर 15 जून से मानसून आता हैइस बार जिस प्रकार से गर्मी पड़ रही है, उस हिसाब से मौसम वैज्ञानिक भारी बारिश का अनुमान लगा रहे हैं

डूब सकती हैं सड़कें व गलियां

पूर्वांचल में मानसून आने में अब महज एक से दो सप्ताह ही शेष रह गया हैअगर इसी रफ्तार से नाले-नालों की यही स्थिति रही तो बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली बनारस की सड़कें व गलियां डूब सकती हैंमहमूरगंज, सिगरा, रथयात्रा मलदहिया, फातमान, पांडेयपुर, नई बस्ती आदि इलाकों में नाले की सफाई का इंतजार हो रहा है.

इन एरिया में हर साल समुंद्र जैसा नजारा

शहर में रविन्द्रपुरी, रथयात्रा, महमूरगंज, गिरजाघर, सोनिया, बजरडीहा, खोजवां, सरैया, सुकुलपुरा, रेवड़ी तालाब, नई सड़क, कबीरचौरा, पीलीकोठी, शिवाला, आदमपुर, कोयला बाजार, विशेश्वरगंज, मछोदरी, मुकीमगंज, पियरी, रानीपुर, औरंगाबाद, लक्सा, गुरुबाग, पियरी, मैदागिन, दशाश्वमेध रोड जैसे तमाम एरिया ऐसे हैं, जहां के नजारे बारिश के बाद समुंद्र जैसे हो जाते हैंइन एरियास में रहने वाले लाखों लोग हर साल जल भराव से होने वाली दिक्कत का सामना करते हैंबावजूद इसके यहां की इस समस्या का स्थायी समाधान न नगर निगम करा पा रहा और न शासन-प्रशासनऐसे में स्थानीय लोग सिर्फ इन लोगों को कोसकर रह जाते हंै

क्या वजह है जलभराव का

नगर निगम और सामान्य विभाग की ओर से जब हर साल नाली-नालों की सफाई होती है तो क्या वजह है कि बारिश के बाद भी उक्त एरिया के गली मुहल्ले जलमग्न हो जाते हंैइस पर जब मुहल्ले के लोगों से बात की गई तो उनका कहना है जब तक सीवर की समस्या का समाधान पूरी तरह से नहीं होगा तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगीसिर्फ साल में एक बार सफाई कराने से कुछ नहीं होने वाला हैपूरे सीवरेज सिस्टम को ठीक कराकर प्रॉपर निगरानी भी करानी होगी, तब कहीं जाकर जलभराव से मुक्ति मिलेगी

टैक्स देते हैं फिर भी व्यवस्था नहीं मिलती

लोगों का कहना हैं कि वे मकान से लेकर रोड टैक्स तक समय पर अदा करते हैं फिर भी उन्हें हर जगह मुसीबत का सामना करना पड़ता हैसुविधा मिलने के बजाय सिर्फ परेशानियां ही मिलती हैंकहने को तो हर साल मानसून आने से पहले शहर के हर गली-मुहल्लों के नाले-नाली को साफ कराया जाता हैफिर ये बारिश होने पर जाम हो जाते हैंअगर इसका परमानेंट सॉल्यूशन हो जाए तो लोगों को हर साल होने वाली इस समस्या से निजात मिल जाए.

पिछले साल फेस करनी पड़ी थी मुसीबत

शहर में छोटे नालों की लंबाई 1 लाख 37 हजार मीटर है, वहीं बड़े नालों की लंबाई 60 हजार मीटर हैपिछले साल इन नालों की साफ सफाई कराने को लेकर नगर निगम प्रशासन हांफ गया था और करीब 40 हजार मीटर की सफाई नहीं कर पाया थाउसी दौरान बारिश भी शुरू हो गई थी, जिसके बाद शहर के उक्त सभी इलाकों में जलजमाव की स्थिति पैदा हो गई थी.

विभागीय खींचतान को भुगत रहा शहर

जल निगम और नगर निगम के बीच हमेशा से जारी रस्साकसी का खामियाजा आज पूरा शहर भुगत रहा हैवर्ष 2008 में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जेएनएनयूआरएम के तहत स्टार्म वॉटर ड्रेनेज (एसडब्ल्यूडी) परियोजना को मंजूरी दी गई थीपरियोजना का उद्देश्य जल निकासी और सीवेज लाइनों को अलग करने के अलावा शहर को जलभराव की समस्या से बचाने के साथ भूमिगत जल को रिचार्ज कर जलनिकासी की सुविधाओं में सुधार करना था.

हमारा पूरा प्रयास रहता है कि शहर के लोगों को बारिश में जलभराव की समस्या का सामना करना न पड़ेजिन एरिया में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है, वहां लगातार साफ-सफाई के साथ सीवरेज सिस्टम को ठीक कराया जा रहा हैबजरडीहा जैसे बड़े एरिया में अब काफी बेहतर इंतजाम किए गए हैं.

एनपी सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम