जैविक खेती को प्रमोट करने के लिए BHU व भागीरथी सेवार्चन समिति की ओर किसानों को दी गयी training

VARANASI

रासायनिक उवर्रकों के इस्तेमाल से एक तरफ जीव जंतुओं पर खतरा पैदा हो गया वहीं दूसरी तरफ मानवों के मूल गुणधर्म में भी परिवर्तन देखने में आ रहा है। इनमें ऑक्सीटोसिन भी ऐसा ही एक केमिकल है। इसी जहर का प्रभाव है कि हमारे खेतों की मिट्टी अपनी मूल क्षमता खोती जा रही है। गिद्ध और कौवों जैसे जीवों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है।

शरीर पर पड़ रहा असर

सब्जियों के जरिये यह जहर मानव शरीर में पहुंच रहा है। जिसका कारण है कि क्क् वर्ष की उम्र में ही लड़कों को मूछ दाढ़ी निकलनें लगी है और लड़कियों का शारीरिक विकास भी प्रभावित हो रहा है। इससे बचने के लिए जैविक उर्वरक व खाद का प्रयोग ही एक मात्र उपाय है। यह बातें पिछले दिनों एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट बीएचयू व भागीरथी सेवार्चन समिति की ओर से जैविक हरित प्रशिक्षण कार्यक्रम वक्ताओं ने कही। अखरी स्थित जैविक खाद उत्पादन केन्द्र में हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक्सप‌र्ट्स ने गोबर, ट्राईकोडर्मा, वर्मीकम्पोस्ट बनाने तथा जैविक खाद के उपयोग की तकनीक भी बताई। कार्यक्रम में ख्00 से अधिक किसान शामिल हुए। अध्यक्षता बीएचयू के प्रो डॉ हरिकेश बहादुर सिंह ने की। कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर आरके सिंह बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए। स्वागत समिति के अध्यक्ष सुकेश पाण्डेय व संचालन कैलाश वाजपेयी तथा धन्यवाद ज्ञापन संजीव रत्‍‌न मिश्रा ने दिया। इस अवसर पर काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक के चीफ मैनेजर रामसागर त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे।