वाराणसी (ब्यूरो)अन प्रोफेशनल ट्रेवेल्स संचालकों ने ट्रेवेल का मार्केट डिस्टर्ब करके रख दिया हैयकीन नहीं है तो शहर में जाकर देख सकते हैैंजिस प्रकार से काशी में टूरिस्टों की संख्या बढ़ी है उसी प्रकार से ट्रेवेल संचालकों की दुकानें दनादन खुली हैंगली-मुहल्ले और कालोनियों में एक गाड़ी रखकर और अपना बिल बुक छपवाकर ट्रेवेल संचालक बन गएहोटल, लॉज और दुकानों से कांटे्रक्ट कर टूरिस्टों को अच्छा-खासा चपत भी लगा रहे हैंदैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान 'बाबा नगरी में बड़े-बड़े धोखेÓ की कड़ी में टूरिस्टों के साथ ट्रेवेल संचालक किस तरह से ठगी कर रहे हैंइसकी पड़ताल की तो मामला चौंकाने वाला रहा

चमक उठीं दुकानें

काशी में टूरिस्टों की ठसाठस भीड़ से कई लोगों की दुकानें चमक उठी हैंजो पेशे से जुड़े नहीं हैं, वह भी ट्रेवेल संचालक बन बैठे हैैंहालात यह है कि हर गली, हर मुहल्ले में ट्रेवेल संचालक दिख जाएंगेनेटवर्क इतना तगड़ा है कि कोई भी टूरिस्ट आता है तो इसकी भनक इनको लग जाती हैफिर क्या अपने-अपने तरीके से कन्वेंश करना शुरू कर देते हंै.

100 के करीब रजिस्टर्ड संचालक

फिलहाल मार्केट के विशेषज्ञों का कहना है कि टूरिस्टों की संख्या बढऩे के बाद अब तक सौ ट्रेवेल संचालक रजिस्टर्ड हुए हंैबाकी बिना रजिस्ट्रेशन के ही अपनी दुकान चला रहे हैंसभी अपनी सेटिंग के अनुसार टूरिस्टों को ठगते हंैपूरा शहर घुमाने का कोई दस हजार लेता है तो कोई 15 हजारजैसा ग्राहक मिल गया वैसा चूना लगा दिया, की तर्ज पर ठगी को अंजाम देते हैंकहीं अगर कोई समझदार टूरिस्ट मिल गया तो इसको लेकर किचकिच भी होती हैमामला थाने तक पहुंचता है तो साल्व हो जाता है.

हर जगह कमीशन सेट

ट्रेवेल संचालकों की सेटिंग हर दुकानों पर होती हैकोई टूरिस्ट अगर ट्रेवेल की गाडिय़ां बुकिंग कराता है कहीं जाने के लिए उसमें मोटी रकम वसूलते हैं ही, साथ ही अगर टूरिस्ट को साड़ी लेना हो या फिर कोई सामान, तो अपने परीचित के शॉप पर ले जाते हैंखरीदारी करने पर अलग से मोटा कमीशन लेते हैंट्रेवेल से लेकर हर जगह टूरिस्टों को ठगने का सिलसिला जारी रहता है.

नाव वाले से सेटिंग

काशी में आने में बाद 90 परसेंट टूरिस्ट गंगा आरती तो देखते ही हैैं, साथ ही नौका विहार भी करते हैंटूरिस्टों संचालकों की नाव वालों से भी जबरदस्त सेटिंग होती हैकिसी की अगर सेटिंग नहीं होती है तो वह टूरिस्ट को दूर खड़ा करके नाव वाले से अपने अनुसार कमीशन सेट कर लेता है, तभी उसके नाव में बैठाता हैकन्वेंश करने में भले ही आधा घंटा या फिर एक घंटा का समय लग जाए तब तक टूरिस्ट को दूर ही खड़ा किए रहते हैं.

यूपी टूरिज्म ने शुरू किया रजिस्टे्रशन

अभी तक ट्रेवेल संचालक सर्विस टैक्स, जीएसटी के अलावा यूपी टूरिज्म मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन करवाते रहेठगी की घटना बढऩे के बाद अब यूपी टूरिज्म ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की हैअब तक 10 ट्रेवेल संचालकों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.

टूर एंड टे्रेवेल संचालकों का रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया हैपहले सिर्फ यूपी टूरिज्म मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन होता थाटूरिस्टों की संख्या बढऩे के बाद शहर में टूर एंड ट्रेवेल संचालकों की भी संख्या काफी बढ़ गयी हैऐसे लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए यूपी टूरिज्म ने पालिसी लाई है, ताकि इनके किराए पर भी अंकुश लग सके.

आरके रावत, उपनिदेशक, टूरिज्म डिपार्टमेंट

टूरिस्टों की मनमानी पर जिला प्रशासन को रोक लगाना चाहिएटूरिस्टों के साथ ठगी होती है तो शहर बदनाम होता है.

अतुल पांडेय, अधिवक्ता

बहुत सारे ट्रेवेल संचालक सही रेट निर्धारित कर रखे हैंलेकिन, जो नए संचालक बने हैं वह मनमाना किराया वसूलते हैंइससे मार्केट पर असर पड़ता है.

नवल खत्री, ट्रेवेल संचालक

बिना रजिस्टर्ड के कई टूर एंड ट्रेवेल की दुकानें चल रही हैंयह कोई नहीं पूछने वाला हैइस पर शासन और प्रशासन को गंभीरता से रोक लगाना चाहिए.

मनोज मौर्य, एक्टीविटिज

नाव वालों से लेकर सभी दुकानदारों से अच्छी खासी सेटिंग रहती हैसभी टूर एंड ट्रेवेल संचालकों को दूरी के अनुसार रेट निर्धारित होना चाहिए.

प्रवीण मेहता, मेंबर वीटीजी

हर गली, हर मुहल्ले में दनादन जो ट्रेवेल की दुकानें खुल रही हैं, इस पर रोक लगाना चाहिएइससे जो सही ट्रेवेल संचालक हैं, उनके बिजनेस पर असर पड़ता है.

अभिषेक सिंह, ट्रेवेल संचालक